सूर्यकुमार यादव: बिना T20 फिफ्टी के बीता 2025, सवालों के घेरे में कप्तान का फॉर्म
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव के लिए बल्ले से 2025 का साल उसी परिचित निराशा के साथ समाप्त हुआ एक और असफल पारी, पवेलियन की ओर एक और लंबी वापसी, और जवाब से ज़्यादा सवाल। अहमदाबाद में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेले गए पांचवें और अंतिम T20I में भी कहानी नहीं बदली। पूरे साल एक भी T20I अर्धशतक न जड़ पाने वाले सूर्यकुमार इस मुकाबले में भी साफ तौर पर संघर्ष करते नज़र आए।
क्रीज पर उनका ठहराव बेहद छोटा और असहज रहा। जॉर्ज लिंडे की सटीक और अनुशासित गेंदबाज़ी ने उन्हें खुलकर खेलने का मौका नहीं दिया। 6 गेंदों में सिर्फ 5 रन बनाकर वे न तो टाइमिंग में सहज दिखे और न ही इरादे में। कॉर्बिन बॉश की रफ्तार को भांपकर आक्रामक शॉट खेलने की कोशिश में, सूर्यकुमार हार्ड लेंथ गेंद पर गलत टाइमिंग का शिकार हो गए और गेंद सीधे मिड-ऑफ पर चली गई। 12.1 ओवर में भारत का स्कोर 115/3 हो गया और कप्तान झुके कंधों के साथ पवेलियन लौटे। उनके चेहरे पर निराशा साफ झलक रही थी।
यह आउट होना सिर्फ एक पारी का अंत नहीं था, बल्कि उस लंबे और कठिन दौर का प्रतीक था जिसने T20 क्रिकेट के सबसे खतरनाक बल्लेबाज़ों में गिने जाने वाले सूर्यकुमार यादव की चमक को धीरे-धीरे फीका कर दिया है। पिछले करीब 14 महीनों और 25 मैचों से वे रन के लिए तरस रहे हैं। उनकी आखिरी T20I फिफ्टी अक्टूबर 2024 में आई थी। इसके बाद से आत्मविश्वास डगमगाया है, लय उनसे दूर होती चली गई है और आंकड़े लगातार गिरते गए हैं।
साल 2025 में खेले गए 22 T20I मुकाबलों में सूर्यकुमार का औसत महज़ 14 रहा है, जबकि स्ट्राइक रेट भी गिरकर 125 तक सिमट गया। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मौजूदा सीरीज़ में तीन मैचों में वे केवल 34 रन ही बना सके, औसत रहा 8.5। कुल मिलाकर इस साल 19 पारियों में उनके खाते में 218 रन आए हैं-औसत 13.62 और स्ट्राइक रेट 123.16। यह प्रदर्शन उनके करियर के आंकड़ों से बिल्कुल उलट है, जहां 93 पारियों में उनका औसत 35.29 और स्ट्राइक रेट 163.23 रहा है।
इतने कमजोर आंकड़े देखने के लिए लगभग एक दशक पीछे लौटना पड़ेगा, उस दौर में जब सूर्यकुमार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में खुद को स्थापित करने की कोशिश कर रहे थे। फर्क बस इतना है कि तब वे एक उभरते खिलाड़ी थे और आज वे भारतीय टीम के T20 कप्तान और मिडिल ऑर्डर की रीढ़ माने जाते हैं। इसलिए उनका संघर्ष अब कहीं ज़्यादा अहम और चिंताजनक हो गया है।
T20 वर्ल्ड कप में अब दो महीने से भी कम समय बचा है। ऐसे में कप्तान के बल्ले की खामोशी पर सवाल उठना लाज़मी है। फिलहाल, सूर्यकुमार अपनी कप्तानी की भूमिका के कारण टीम में बने हुए हैं, लेकिन जैसे-जैसे 2025 का कैलेंडर खत्म हो रहा है और उनके खाते में एक भी T20I फिफ्टी नहीं है, उनकी फॉर्म, आत्मविश्वास और टाइमिंग को लेकर उठ रहे सवालों को नज़रअंदाज़ करना अब आसान नहीं रहा।
