नेपाल को पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री बनीं सुशीला कार्की, संविधानिक विवादों के बीच ली शपथ

Sushila Karki became the first woman interim Prime Minister of Nepal, took oath amid constitutional disputesचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने शुक्रवार देर शाम देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। 73 वर्षीय कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है, जो नेपाल के इतिहास में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब देश में जनरेशन-जेड (Gen-Z) आंदोलन के कारण राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है और केपी शर्मा ओली की सरकार हाल ही में गिर चुकी है।

संवैधानिक विवादों के बीच ‘आवश्यकता के सिद्धांत’ पर नियुक्ति

संविधान के अनुसार, प्रधानमंत्री बनने के लिए प्रतिनिधि सभा (हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स) का सदस्य होना अनिवार्य है। सुशीला कार्की न तो प्रतिनिधि सभा की सदस्य हैं और न ही कोई निर्वाचित नेता। साथ ही, संविधान का अनुच्छेद 132(2) कहता है कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश को किसी भी सरकारी पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद, कार्की की नियुक्ति “आवश्यकता के सिद्धांत” (Principle of Necessity) के तहत की गई है, जिसे नेपाल में अतीत में भी संकट के समय लागू किया गया है।

संवैधानिक विशेषज्ञ बिपिन अधिकारी ने कहा, “यह सिद्धांत नियम-कानून का स्थानापन्न नहीं हो सकता। यदि हम बार-बार संविधान को दरकिनार करते हैं, तो यह आदत बन सकती है, जिससे भविष्य में और संकट खड़ा हो सकता है।”

Gen-Z आंदोलन की पसंद बनीं सुशीला कार्की

Gen-Z आंदोलनकारियों, संवैधानिक विशेषज्ञों और सेना प्रमुख से व्यापक चर्चा के बाद कार्की का नाम सामने आया। आंदोलनकारियों ने भ्रष्टाचार और सुशासन की मांग को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन किया था, जिसमें अब तक 51 लोगों की मौत हो चुकी है और व्यापक हिंसा देखी गई है।

पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई ने कार्की की नियुक्ति को “सकारात्मक और उपयुक्त” बताया और उन्हें पूर्ण समर्थन देने की बात कही। वहीं, पूर्व मुख्य न्यायाधीश कल्याण श्रेष्ठ ने कहा कि वह कार्की की न्यायिक क्षमता और ईमानदारी पर भरोसा करते हैं।

संक्षिप्त जीवनी: न्यायिक संघर्ष से प्रधानमंत्री पद तक

सुशीला कार्की का जन्म 1952 में पूर्वी नेपाल के विराटनगर (मोरंग जिला) में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उन्होंने त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक और वाराणसी के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर किया। 1979 में उन्होंने कानूनी प्रैक्टिस शुरू की और 2009 में सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश नियुक्त हुईं। 2016 में वह नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं।

2017 में उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोपी और ताकतवर एंटी करप्शन प्रमुख लोकमान सिंह कार्की को अयोग्य करार दिया।

एक विवादित फैसले में जब उन्होंने सरकार की पसंद के पुलिस प्रमुख की नियुक्ति को अवैध ठहराया, तो उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उसे असंवैधानिक करार देकर उन्हें बहाल कर दिया।

अंतरिम सरकार से अपेक्षाएं

बिपिन अधिकारी ने कहा कि कार्की की अंतरिम सरकार से यह अपेक्षा है कि वह जल्द से जल्द चुनाव कराए, हिंसा में मारे गए लोगों को न्याय दिलाए और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। साथ ही, उन्हें सभी पक्षों को साथ लेकर चलना होगा, जो वर्तमान संकट के माहौल में बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य है।

नेपाल के लिए यह नियुक्ति ऐतिहासिक है – न केवल इसलिए कि यह पहली बार है जब कोई महिला इस पद पर पहुंची हैं, बल्कि इसलिए भी कि यह राजनीतिक और संवैधानिक संकट की घड़ी में किया गया एक साहसी और विवादास्पद निर्णय है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *