महामारी के बावज़ूद भारत के लिए स्वीडन की दीर्घकालीन प्रतिबद्धता बढ़ी

Sweden's long-term commitment to India increased despite pandemicचिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली:

  • बिज़नेस क्लाइमेट सर्वे 2021/22 के मुख्य निष्कर्ष में भारत पर स्वीडिश कंपनियों का अटूट विश्वास दिखा
  •  भारतीय निवेश दोगुना करने के संकेत

13वें बिज़नेस क्लाइमेट सर्वे (बीसीएस) से सामने आया है कि भारत में व्यापार करने वाली स्वीडिश कंपनियों का महामारी वर्ष 2020 से कहीं अधिक हमारे देश में विश्वास बढ़ा है। उन्होंने यहां व्यापार करने में आसानी को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण दिखाया है।

स्वीडिश चैंबर ऑफ कॉमर्स इंडिया (एससीसीआई) 2008 से हर साल बिजनेस क्लाइमेट सर्वे करता है। इसमें भारत में स्वीडन के दूतावास, मुंबई में स्वीडन के महावाणिज्य दूतावास और बिजनेस स्वीडन का सहायोग रहता है। यह भारतीय व्यवसाय में स्वीडिश कंपनियों के भरोसे को समझने का एक प्रयास है। साथ ही, बाधाओं का पता लगाने और कम करने का लक्ष्य रहता है।

इस वर्ष सर्वे के प्रश्न भारत में स्थापित 210 स्वीडिश कंपनियों को भेजे गए। इनमें 190 ने उत्तर दिए इस तरह 90 प्रतिशत प्रतिक्रिया दर रही।

स्वीडन की विदेश व्यापार और नॉर्डिक कार्य मंत्री अन्ना हॉलबर्ग बताती हैं: “महामारी के बावजूद स्वीडन और भारत का द्विपक्षीय सहयोग अधिक मजबूत हुआ है और स्वीडिश कंपनियों ने बार-बार भारत के लिए दीर्घकालिक प्रतिबद्धता दुहराई है। इसलिए मुझे खास कर यह गर्व है कि 2021/22 बिजनेस क्लाइमेट सर्वे (बीसीएस) में इतनी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया दर दर्ज की गई और इसमें ‘स्वच्छ परिवर्तन’ और कार्यबल में महिलाओं को बढ़ावा देने जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला गया। बीसीएस में भारत के व्यापार माहौल पर मूल्यवान जानकारी दी गई है, जैसा कि स्वीडिश कंपनियों का मानना है। यह स्वीडिश सरकार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और इसका ‘आर्थिक, औद्योगिक एवं वैज्ञानिक सहयोग’ के लिए संयुक्त आयोग की आगामी बैठक में अहम योगदान होगा और भारत और यूरोपीय संघ के बीच आगामी व्यापार वार्ता की तैयारी के लिए भी यह महत्वपूर्ण है।’’

भारत में आज 220 से अधिक स्वीडिश कंपनियां हैं। ये विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों में कार्यरत हैं जैसे कि औद्योगिक उपकरण, आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स, हेल्थकेयर मेडटेक एवं फार्मा, बिजनेस सर्विसेज, खुदरा उपभोक्ता सामान एवं सेवाएं, ऑटोमोटिव भारी वाहन और ऑटो उपकरण। पर्यावरण प्रौद्योगिकी और ऊर्जा (जल, कचरा, एचवीएसी, आदि) के क्षेत्र में और भी कंपनियां आ रही हैं। कुल मिलाकर इनकी संख्या प्रत्यक्ष रूप से 200,000 से अधिक है और अन्य 2.2 मिलियन अप्रत्यक्ष रूप से कार्यरत हैं।

बीसीएस के उद्घाटन पर माननीय राजदूत क्लास मोलिन ने कहा: ‘‘स्वीडिश कंपनियां भारत में फल-फूल रही हैं। महामारी की कठिनाइयों के बावजूद स्वीडिश कंपनियों ने भारत में निवेश, कार्य विस्तार जारी रखा और भारत पर उनका अटूट विश्वास है। बिजनेस क्लाइमेट सर्वे से यह स्पष्ट है कि बहुत सारी स्वीडिश कंपनियां आने वाले वर्षों में भारत में निवेश बढ़ाने की योजना में हैं जो बहुत उत्सावर्धक है।’’

इस वर्ष सर्वे का शीर्षक ‘टुवर्ड्स सस्टेनेबल ग्रोथ’ है। इसमें स्वीडिश कंपनियों ने भारत के साथ  दीर्घकालिक सहयोग की प्रतिबद्धता दुहराई है जो भारत के कारोबारी माहौल में उत्साहजनक विकास की संभावनाओं को दर्शाता है। यह सर्वे बहुत सहायक और उत्साहजनक माना गया है।

महामारी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को उलटपुलट कर दिया है और आज पूरे विश्व में अधिक जलवायु-अनुकूल व्यवसाय प्रक्रियाएं अपनाने का दबाव है। इसके मद्देनजर सर्वे में भारत के अंदर स्वच्छ परिवर्तन के प्रयास और इनोवेटिव इकोसिस्टम का भी आकलन किया गया है। इसके अलावा भारत में रोजगार के अवसर और कार्यबल में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में वृद्धि पर भी ध्यान दिया गया है क्योंकि यह दोनों देशों के व्यापारिक करारों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों में एक है।

स्वीडिश चैंबर ऑफ कॉमर्स इंडिया के अध्यक्ष और वोल्वो ग्रुप इंडिया के प्रबंध निदेशक और अध्यक्ष कमल बाली ने बताया, “कम्पनियों के लिए कार्मिक कल्याण और सुरक्षा का महत्व बढ़ रहा है। उनकी भावी सफलता का आधार मानव संसाधन की चुस्ती, अनुकूलन की क्षमता और लचीलापन होगा। अर्थव्यवस्था और व्यवसाय में स्पष्ट सुधार दिख रहे हैं। ऐसे में हमारा अधिक ध्यान सभी क्षेत्रों में सब के विकास और लैंगिक समानता पर होगा। हमारा चैंबर इस उच्च उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध है।”

वर्तमान में स्वीडिश कंपनियों का ध्यान भारत में सतत विकास और एकीकृत विकास के लिए निवेश पर केंद्रित है।

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