कांग्रेस की हार मतदाता सूची की वजह से नहीं, उसके नेतृत्व की वजह से होती है: अमित शाह
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: लोकसभा में चुनावी सुधारों पर हुई बहस के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस की हार मतदाता सूची की वजह से नहीं, बल्कि उसके नेतृत्व की वजह से होती है।
उन्होंने कहा कि SIR को लेकर विपक्ष देश में झूठ फैला रहा है और भारत के लोकतंत्र की छवि को नुकसान पहुँचा रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि मोदी सरकार किसी भी परिस्थिति में “घुसपैठियों को वोटिंग अधिकार नहीं देने देगी” और मतदाता सूची का शुद्धिकरण एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसे रोकने का प्रयास देशहित के विरुद्ध है।
अमित शाह ने कहा कि विपक्ष SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के बहाने राजनीति कर रहा है, जबकि इस प्रक्रिया का संचालन चुनाव आयोग करता है और इस पर सदन में चर्चा संभव नहीं। उन्होंने कहा कि सरकार चुनावी सुधारों पर चर्चा को तैयार थी, परंतु विपक्ष ने जानबूझकर SIR को केंद्र में रखकर गलत सूचनाएँ फैलाईं। शाह ने कहा कि SIR पर चार महीनों से एकतरफा झूठ चलाया जा रहा है, जबकि यह केवल मतदाता सूची में मृत्यु, दो जगह नाम और विदेशी नागरिकों के प्रविष्ट होने जैसी त्रुटियों को दूर करने का सामान्य तरीका है।
गृह मंत्री ने संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि अनुच्छेद 326 में मतदाता की पात्रता स्पष्ट है—मतदाता भारतीय नागरिक हो, 18 वर्ष का हो और कानून द्वारा तय अयोग्यताओं से मुक्त हो। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को अनुच्छेद 327 के तहत मतदाता सूची तैयार करने और उससे जुड़े कानूनों पर सिफारिश करने का पूरा अधिकार है। शाह ने कहा कि 1952 से कई बार SIR हुआ है लेकिन इसका विरोध पहली बार किया जा रहा है। चुनाव आयोग ने 2025 में इस प्रक्रिया को करने का निर्णय लिया है, और यह लोकतंत्र को मजबूत करने की आवश्यक प्रक्रिया है।
राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देते हुए शाह ने कहा कि कांग्रेस “वोट चोरी” का आरोप लगाकर जनता को भ्रमित कर रही है, जबकि इतिहास में वोट चोरी के उदाहरण उन्हीं के दल से जुड़े हैं। उन्होंने सरदार पटेल और नेहरू के मतों का जिक्र करते हुए कहा कि स्वतंत्रता के बाद प्रधानमंत्री चयन में वास्तविक बहुमत पटेल के पास था। उन्होंने इंदिरा गांधी के रायबरेली चुनाव को भी उदाहरण बताया, जिसे अदालत ने अवैध घोषित किया था। शाह ने कहा कि सोनिया गांधी भी भारतीय नागरिक बनने से पहले मतदाता बनीं, यह भी “वोट चोरी” का मामला था।
अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस की हार मतदाता सूची की वजह से नहीं, बल्कि उसके नेतृत्व की वजह से होती है। उन्होंने कहा कि “आपकी हार तय है, सूची पुरानी हो या नई”—और आरोप लगाया कि विपक्ष जीतता है तो चुनाव आयोग को महान बताता है, और हारता है तो उसी पर हमला करता है। शाह ने कहा कि एंटी-इन्कंबेंसी केवल उन्हीं के खिलाफ होती है जो जनता के हितों के खिलाफ काम करते हैं, और भाजपा को इससे बहुत कम सामना करना पड़ता है।
EVM पर उठाए गए सवालों को खारिज करते हुए शाह ने कहा कि ईवीएम ने वोट चोरी की परंपरा समाप्त कर दी है। उन्होंने बताया कि 2004 और 2009 में विपक्ष ने EVM से जीत का स्वाद चखा, लेकिन बाद में हार मिलने पर मशीन पर आरोप लगाने लगा। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने 2017 में देशभर के सामने चुनौती दी कि “कोई भी EVM हैक करके दिखाए”, मगर विपक्ष केवल प्रेस कॉन्फ्रेंस करता है, न अदालत में जाता है और न आयोग के पास।
शाह ने कहा कि 2014 में पीएम मोदी बनने के बाद से विपक्ष को ही आपत्ति है। NDA 44 चुनाव जीत चुका है और विपक्ष 30 चुनाव—अगर सूची में गड़बड़ी होती तो विपक्ष की जीतें कैसे संभव होतीं? उन्होंने कहा कि मतदाता सूची का शुद्धिकरण विपक्ष की ही मांग थी और आज जब चुनाव आयोग वही कर रहा है तो वे इसका विरोध कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विपक्ष का वास्तविक मुद्दा अवैध घुसपैठियों को मतदाता सूची में रखना है, लेकिन सरकार इसकी अनुमति नहीं देगी। शाह ने जोर देकर कहा कि “चाहे विपक्ष 200 बार बहिष्कार करे, हम एक भी घुसपैठिए को वोट डालने नहीं देंगे।” उन्होंने जनसांख्यिकीय बदलाव को राष्ट्र की एकता के लिए बड़ा खतरा बताते हुए कहा कि देश एक बार जनसांख्यिकीय आधार पर बंट चुका है और सरकार ऐसी किसी स्थिति को दोबारा जन्म नहीं लेने देगी।
शाह ने कहा कि RSS की विचारधारा देश के लिए समर्पण, राष्ट्र को समृद्धि के शिखर पर पहुंचाने और भारतीय संस्कृति का गौरव ऊँचा करने की है। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी गठबंधन ने उन न्यायाधीश के विरुद्ध महाभियोग प्रस्ताव लाया जिन्होंने तमिलनाडु में हिंदुओं को पूजा का अधिकार दिया—और ऐसी राजनीति को देश की जनता कभी माफ नहीं करेगी।
अमित शाह की इस भाषण ने सदन में तीखी राजनीतिक गर्माहट पैदा कर दी, जबकि विपक्ष ने उनके कई बयानों पर आपत्ति जताई। चुनाव सुधारों पर जारी बहस आने वाले दिनों में और तीखी होने की संभावना है।
