टीम किसी एक खिलाड़ी के इर्द-गिर्द नहीं घूमेगी,” कोच गंभीर का बड़ा संदेश
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: “यह टीम किसी एक खिलाड़ी पर आधारित नहीं होगी, यह टीम की भावना और सामूहिक प्रयास पर चलेगी। लड़कों ने जिस तरह संघर्ष किया, वह काबिल-ए-तारीफ है। मैं हमेशा से मानता रहा हूं कि आपको वो मिलना चाहिए जिसके आप हकदार हैं, न कि सिर्फ वो जो आप चाहते हैं। और मुझे लगता है कि इन खिलाड़ियों ने यह सम्मान अर्जित किया है।” यह कहना था भारतीय टेस्ट टीम के मुख्य कोच गौतम गंभीर का, जिन्होंने बीसीसीआई द्वारा जारी एक वीडियो में यह विचार साझा किए।
गंभीर की कोचिंग में पहली बार टेस्ट क्रिकेट में भारत ने एक बड़ी चुनौती का सामना किया और उसे सम्मानपूर्वक पूरा भी किया। विराट कोहली, रोहित शर्मा और आर अश्विन जैसे दिग्गजों की गैरमौजूदगी में, युवा शुभमन गिल की कप्तानी में टीम इंडिया ने इंग्लैंड के खिलाफ 2-2 से सीरीज़ ड्रॉ कर यह जता दिया कि अब यह टीम किसी ‘स्टार सिस्टम’ पर नहीं, बल्कि टीम वर्क की बुनियाद पर चलेगी।
गंभीर ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि उनकी कोचिंग में नायक-पूजा (हीरो वर्शिप) की कोई जगह नहीं होगी। जब तक कोहली और रोहित टीम का हिस्सा थे, तब तक यह बदलाव लाना चुनौतीपूर्ण था। लेकिन दोनों के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के बाद गंभीर को वह स्पेस मिला, जिसमें वे टीम को अपनी विचारधारा के अनुरूप गढ़ सकें।
भले ही उनका टेस्ट कोचिंग करियर न्यूज़ीलैंड के खिलाफ घरेलू मैदान पर 0-3 की हार से शुरू हुआ हो और ऑस्ट्रेलिया में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 1-3 से हाथ से निकल गई हो, लेकिन इंग्लैंड दौरा उनके लिए सबसे बड़ी परीक्षा साबित हुआ। और इसमें गंभीर और उनकी युवा टीम खरे उतरे।
सीरीज़ की शुरुआत हेडिंग्ले में पांच विकेट से हार के साथ हुई, लेकिन इसके बाद टीम ने जबरदस्त वापसी करते हुए एजबेस्टन में 336 रन की ऐतिहासिक जीत दर्ज की। लॉर्ड्स में भी भारत ने इंग्लैंड को आखिरी पलों तक दबाव में रखा, हालांकि मुकाबला 22 रन से गंवा दिया। मैनचेस्टर में टीम ने हर हाल में हार टालते हुए ड्रॉ सुनिश्चित किया और फिर केनिंग्टन ओवल में हुए निर्णायक टेस्ट में केवल छह रन से जीत दर्ज कर सीरीज़ 2-2 से बराबर कर दी।
यह जीत सिर्फ स्कोरलाइन नहीं, बल्कि उस विचारधारा की जीत थी, जिसे गंभीर ने टीम में रोपने की कोशिश की है—जहां नाम नहीं, काम बोलता है। जहां व्यक्तिगत रिकॉर्ड्स नहीं, बल्कि टीम का उद्देश्य प्राथमिकता है।
ओवल टेस्ट की जीत और पूरी सीरीज़ की जुझारू प्रदर्शन ने यह साफ कर दिया कि भारत की टेस्ट टीम अब एक नए युग में प्रवेश कर चुकी है—गंभीर युग में, जहां जुनून है, धैर्य है और सबसे अहम, टीम को ऊपर रखने की सोच है।