व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो का सनसनीखेज दावा: रूसी तेल से भारत के ब्राह्मणों को हो रहा फायदा

White House trade advisor Peter Navarro's sensational claim: Indian Brahmins are benefiting from Russian oilचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: व्हाइट हाउस के वरिष्ठ व्यापार सलाहकार पीटर नवारो के हालिया बयान ने भारत में एक नई बहस को जन्म दे दिया है, जिसमें उन्होंने सीधे तौर पर देश के उच्च वर्ग, विशेषकर ब्राह्मण समुदाय पर गंभीर आरोप लगाए हैं। नवारो ने दावा किया कि भारत के ब्राह्मण और अन्य विशेषाधिकार प्राप्त तबके मौजूदा वैश्विक भू-राजनीतिक संकट का इस्तेमाल निजी मुनाफे के लिए कर रहे हैं, जबकि आम भारतीय जनता इस स्थिति से प्रभावित हो रही है।

फॉक्स न्यूज़ को दिए गए इंटरव्यू में नवारो ने कहा, “मैं भारतीय लोगों से बस इतना कहना चाहता हूं कि कृपया समझिए कि क्या हो रहा है। ब्राह्मण इस पूरे व्यापार तंत्र से मुनाफा कमा रहे हैं, जबकि देश के सामान्य लोग उस कीमत को चुका रहे हैं। हमें यह बंद करना होगा।” उनका इशारा भारत द्वारा रूस से रियायती दरों पर कच्चा तेल खरीदने और फिर उसे रिफाइन कर वैश्विक बाजारों में ऊंची कीमत पर बेचने की ओर था।

नवारो का तर्क है कि इस व्यापार से भारत के कुछ ताकतवर उद्योगपति और राजनीतिक रूप से जुड़ा हुआ उच्च वर्ग भारी मुनाफा कमा रहा है, जबकि इससे एक तरफ रूस की युद्ध अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है और दूसरी तरफ अमेरिका व पश्चिमी देशों की रणनीति कमजोर हो रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारत में व्यापारिक और राजनीतिक निर्णयों पर जिन वर्गों का प्रभाव है, वे वैश्विक नैतिकता के मुकाबले निजी हितों को तरजीह दे रहे हैं।

नवारो की इस टिप्पणी ने भारत में तीखी प्रतिक्रिया को जन्म दिया है। सामाजिक संगठनों, राजनीतिक विश्लेषकों और विभिन्न समुदायों ने उनके बयान को “भड़काऊ” और “सांप्रदायिक” बताया है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह टिप्पणी न केवल भारत की आंतरिक सामाजिक संरचना को गलत तरीके से पेश करती है, बल्कि अमेरिका-भारत संबंधों को भी नुकसान पहुंचा सकती है।

भारत सरकार की ओर से फिलहाल इस विशिष्ट टिप्पणी पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विदेश मंत्रालय पहले ही यह साफ कर चुका है कि भारत की रूस से ऊर्जा खरीद अंतरराष्ट्रीय कानूनों के दायरे में है और वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए आवश्यक निर्णय लेता रहेगा।

इस बीच, कई जानकारों ने नवारो के बयान को 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों की पृष्ठभूमि में देखा है, जहां चीन और भारत जैसे देशों के खिलाफ सख्त रुख अपनाना अमेरिकी घरेलू राजनीति में लोकप्रिय हो सकता है। हालांकि, एक वर्ग यह भी मानता है कि भारत के कुछ औद्योगिक समूहों द्वारा वैश्विक परिस्थितियों से लाभ उठाया जाना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इसे जातीय चश्मे से देखना खतरनाक और असंवेदनशील है।

नवारो का यह बयान न केवल कूटनीतिक दृष्टिकोण से, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी एक संवेदनशील मुद्दे को हवा देता दिख रहा है, जिसका असर आने वाले समय में दोनों देशों के रिश्तों और भारत के भीतर सार्वजनिक विमर्श पर भी पड़ सकता है।

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