इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी बढ़ने के ‘प्रतिकूल’ परिणामों से जूझ रहे हैं यूपी में उद्योग

चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: हाल ही में उत्तरप्रदेश का ओद्यौगिक क्षेत्र बिजली पर ड्यूटी और बिजली पर क्रॉस-सब्सिडी शुल्क का बोझ ढोता रहा है, जिसके चलते कई मैनुफैक्चरिंग युनिट्स के लिए उत्पादन की लागत कई गुना बढ़ गई है।

राज्य में उद्योगों द्वारा ओपन एक्सेस व्यवस्था के तहत प्राप्त की गई बिजली पर रु 1.56 प्रति युनिट की क्रॉस-सब्सिडी के चलते उद्योग जगत पर बुरा प्रभाव पड़ा है, साथ ही कोविड-19 के प्रभावों के साथ तो क्षेत्र पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।

क्रॉस-सब्सिडी ऐसी प्रणाली है जिसमें कुछ उपभोक्ताओं से ज़्यादा शुल्क वसूला जाता है, ताकि अन्य उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर बिजली मुहैया कराई जा सके। भारत में ओद्यौगिक युनिट्स आमतौर पर ज़्यादा शुल्क देती हैं, किंतु राष्ट्रीय टैरिफ नीति, 2016 के मुताबिक शुल्क इतना ज़्यादा नहीं होना चाहिए कि इसके कारण उद्योगों के विकास पर बुरा प्रभाव पड़े।

2017 में नई सरकार के सत्ता में आने के बाद से यूपी की बिजली वितरण प्रणाली सुधारों के दौर से गुज़र रही है। 2018 में राज्य सरकार ने यूपी विद्युत विनियामक आयोग के निर्देशनुसार उद्योगों को ओपन एक्सेस प्रणाली के माध्यम से बिजली खरीदने की अनुमति दी। इससे उपभोक्ताओं के लिए पावर कंपनियों से प्रतिस्पर्धी दरों पर बिजली खरीदने के विकल्प बढ़े। एक अन्य सकारात्मक विकास के तहत क्रॉस-सब्सिडी शुल्क जो 2018-19 में रु 0.63 प्रति युनिट था, उसे अप्रैल 2020 से हटा दिया गया ताकि राज्य में ओद्यौगिक विकास को बढ़ावा दिया जा सके और प्रत्यक्ष /अप्रत्यक्ष रोज़गार का सृजन हो।

इसके अलावा डायरेक्टर (कमर्शियल) पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, मेरठ क्षेत्र डिस्कोम ने एक्ज़क्टिव इंजीनियरों (वितरण) के लिए आदेश जारी किया, कि उनके डिस्कोम डिविज़न में ओपन एक्सेस बिजली के खरीददारों पर इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी लगाई जाए, जिससे रु 1.56 प्रति युनिट क्रॉस सब्सिडी के अलावा बिजली की लागत अचानक रु 0.50 प्रति युनिट बढ़ गई। इसके बाद जनवरी 2021 में डिस्कोम डिविज़न आगरा के द्वारा इसी तरह का एक और आदेश जारी किया गया।

ओद्यौगिक युनिट्स जो उत्पादन के लिए पावर पर निर्भर हैं, उनके लिए यह कदम मुश्किलों का कारण बन गया, खासतौर पर ऐसे समय में जब निर्माण क्षेत्र कोविड-19 के महामारी के प्रभावों से जूझने के बाद सरकार से राहत की उम्मीद कर रहा था। इस तरह की लेवी ने यूपी में उद्योगों की विकास योजनाएं बाधित होंगी, जिसकी परिकल्पना उत्तरप्रदेश सरकार ने की थी।

यह मामला फिक्की (यूपी राज्य परिषद) के संज्ञान में लाया गया, जिसने इतनी उच्च लेवी लगाए जाने के फैसले की आलोचना की, इसे ‘प्रतिकूल कदम’ बताया, जिससे न केवल इनपुट लागत बढ़ेगी, बल्कि भावी निवेशक का भरोसा भी कम होगा।

फिक्की(यूपी) ने इस आधार पर इसे ‘गलत’ कदम बताया है कि वितरण लाइसेंसी उत्तरप्रदेश इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी अधिनिमय 1952 की धारा 3 के तहत नहीं आता है, ऐसे में खासतौर पर यूपी के बाहर से ओपन एक्सेस पर बेची जाने वाली बिजली पर ड्यूटी नहीं लगाई जा सकती। यूपी इलेक्ट्रिसिटी अधिनियम में लाइसेंसी की परिभाषा ट्रेडिंग लाइसेंसी को कवर नहीं करती है। इसके अलावा 1998 में, यूपी की तत्कालीन सरकार ने उत्पादन के अपने स्रोतों पर इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी खत्म कर दी।

पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्री के मुताबिक इस तरह की लेवी लगाए जाने का कदम यूपी के उद्योगों के लिए हानिकारक होगा। ‘‘इस तरह के अनावश्यक कराधानों के परिणामस्वरूप राज्यों के बीच बिजली के परिवहन में बाधार उत्पन्न होगी, ऐसे में इसे कारोबार और वाणिज्य की स्वतन्त्रता के लिए पूर्वाग्रह कहा जा सकता है।’’ रणजीत मेहता, उपमहासचिव, पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्री ने कहा।

कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाईल इंडस्ट्री ने यह कहते हुए क्रॉस-सब्सिडी शुल्क हटाने की अनुशंसा दी है कि इस कदम के कारण राज्य की मुद्रा में किसी तरह के नुकसान की भरपाई ओद्यौगिक विकास से होगी।

‘‘हालांकि क्रॉस-सब्सिडी नहीं लगाने से राज्य के डिस्कोम के राजस्व में कुछ नुकसान होगा, किंतु इससे राज्य के जीडीपी में बढ़ोतरी होगी तथा 2.5 लाख कर्मचारियां के लिए प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोज़गार सृजन होगा। इसलिए समय आ गया है कि राज्य में उद्योगों के विकास के लिए लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाया जाए न कि पूरक दृष्टिकोण पर ज़ोर दिया जाए।’’ कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाईल इंडस्ट्री ने कहा।

उद्योग जगत के कई खिलाड़ियों ने इलेक्ट्रिसिटी पर उच्च ड्यूटी एवं क्रॉस-सब्सिडी शुल्क के परिणामस्वरूप उत्पादन की बढ़ती लागत पर चिंता जताई है।

‘‘इस तरह की ड्यूटी और क्रॉस-सब्सिडी शुल्क लगाए जाने से पावर की लागत कई गुना बढ़ी है और इसका राज्य के उद्योगों एवं निवेश पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। मैं संबंधित अधिकारियों से आग्रह करता हूं कि जल्द से जल्द ड्यूटी हटाने के लिए कदम उठाएं और उत्तरप्रदेश में उद्योगों को विकास के लिए अनुकूल माहौल प्रदान करें।’’ श्री शिशिर जयपुरिया, सीएमडी, गिन्नी फिलामेन्ट्स लिमिटेड ने कहा।

यह मामला पहले से फिक्की, पीएचडीसीसीआई और सीआईटीआई द्वारा यूपी के मुख्य सचिव, राज्य के ओद्यौगिक विकास मंत्रालय और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष भी प्रस्तुत किया गया है। उद्योग जगत के खिलाड़ियों को उम्मीद है कि आने वाले कुछ दिनों और सप्ताहों में इसका समाधान आएगा।

 

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