सुशील ने जीती नाक की लड़ाई, बने रहेंगे एसजीएफआई के अध्यक्ष

राजेंद्र सजवान

भारत के एकमात्र दोहरा ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार ने एकबार फिर स्कूल गेम्स  फेडेरेशन (एसजीएफआई)के  चुनाव में निर्विवाद जीत के साथ अध्यक्ष बने रहने की पात्रता प्राप्त कर ली है। आज यहां हुए ए जीएम में उन्हें सर्वसम्मति से फेडरेशन का मुखिया चुन लिया गया। सचिव और कोषाध्यक्ष होंगे। उनके अलावा आठ आठ उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव चुने गए हैं।

जैसा कि विदित है कि पिछले साल 29 दिसंबर को नागपत्नम, तमिलनाडु में हुए स्कूल गेम्स फेडरेशन आफ इंडिया(एसजीएफआई) के चुनाव में  अध्यक्ष सुशील कुमार की अनदेखी  किए जाने को लेकर खेल मंत्रालय ने नाराजगी व्यक्त करते हुए फिर से चुनाव की मांग की थी, जिसे मान लिया गया  और 9 मार्च को दिल्ली में चुनाव का फैसला किया गया, जिनमें सुशील का चुना जाना भी पहले ही  तय हो गया था, क्योंकि अध्यक्ष पद के वह अकेले उम्मीदवार थे।

चूंकि  मंत्रालय ने  पिछले चुनाव को देश के खेल कोड के विरुद्ध बताया और फिर से चुनाव कराए जाने का निर्देश दिया, इसलिए सुशील के विरोधियों में खलबली मच गई। छत्तीसगढ़ उच्चन्यायालय के फैसले के चलते सुशील को रोकने की भरसक कोशिश की गई लेकिन चुनाव प्रक्रिया नियमानुसार सम्पन्न हुई और सुशील को पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के लिए एक साल और मिल गया है। चुनाव में  सभी पदाधिकारी निर्विरोध चुन लिए गए ।

सुशील ने पिछले चुनाव के विरुद्ध आवाज उठाते हुए सचिव राजेश मिश्रा को सारे फसाद की जड़ बताया था और आरोप लगाया कि सचिव महोदय सालों से स्कूली खेलों को लूट रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मिश्रा ने  विश्वासघात किया और बिना अध्यक्ष की अनुमति और सलाह के चुनाव प्रक्रिया को अंजाम दिया और अपने अपनों को लाभ पहुंचाया।

इस बार गेंद सुशील के पाले में थी और उन्हें अगले साल भर तक के लिए  एस जेएफआई के अध्यक्ष पद पर बने रहने का वैधानिक हक मिल गया। ऐसा इसलिए क्योंकि नियमों के अनुसार कोई सरकारी अधिकारी  अधिक से अधिक पांच साल तक शीर्ष पद  पर रह सकता है। वह चार साल पहले ही पूरे कर चुके हैं।

एक साल के लिए ही सही लेकिन सुशील कुमार ने फिलहाल  एक बड़ी कानूनी और मनोवैज्ञानिक लड़ाई जीत ली है। रिटर्निंग ऑफिसर सेवा निवृत्त जज बी एस माथुर की मौजूदगी में   हुए चुनाव में विजय संतन  सचिव और  सुरेंद्र सिंह भाटी कोषाध्यक्ष  चुने गए। एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि सच्चाई की जीत हुई है और अब उनका पहला काम एसजीएफआई के खोए विश्वास को फिर से अर्जित करने का होगा। वह पद छोड़ने से पहले इस संस्था को आदर्श स्वरूप दे कर जाएंगे।

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