भारत की आंतरिक सुरक्षा, सामजिक संरचना और धार्मिक सहिष्णुता पर मंडराते खतरों से आगाह कराती पुस्तक ‘ब्लीडिंग इंडिया’ का हुआ विमोचन

ईश्वर

नई दिल्ली: भारत की आंतरिक सुरक्षा, सामजिक संरचना और धार्मिक सहिष्णुता पर मंडराते खतरों से आगाह कराती बिनय कुमार सिंह के द्वारा लिखी पुस्तक ‘ब्लीडिंग इंडिया’ का विमोचन दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में भारत के पूर्व गृह सचिव जी के पिल्लई, पूर्व ब्यूरोक्रेट्स और ‘दि मिथ ऑफ़ हिन्दू टेरर’ के लेखक आर वी एस मणि, पत्रकार अभिजीत  मजुमदार और इण्डिया पालिसी फाउंडेशन के डायरेक्टर कुलदीप रतनू  के द्वारा किया गया।

ब्लीडिंग इंडिया के लेखक बिनय कुमार सिंह की पहली किताब है जो गरुड़ पब्लिकेशन से प्रकाशित हुई है। ब्लीडिंग इंडिया के विमोचन के अवसर पर बिनय कुमार सिंह ने भारत की आंतरिक सुरक्षा, सामजिक समरसता और धार्मिक सहिष्णुता को तोड़ने के लिए संगठनात्मक रूप से चलाए जा रहे आंदोलन के बारे में कहा कि इस किताब में उन सभी बातों का जिक्र है जिसका एकमात्र उद्देश्य भारत को अस्थिर करना है।
बिनय कुमार सिंह ने बताया कि कैसे भीमा कोरेगांव आंदोलन भारत की सामाजिक सहिष्णुता को तोड़ने की साजिश थी, कैसे सीएए और एनआरसी के नाम पर भारत की आंतरिक सुरक्षा को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया जैसे आर्गेनाईजेशन ने क्षति पहुंचाने की साजिश की थी।

बता दें कि बिनय कुमार सिंह के अथक प्रयासों के कारण ही झारखंड सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर बैन लगाया था, और वहां सरकार बदलने के बाद भी अभी भी बैन है। झारखंड देश का पहला राज्य है जिसने पीएफआई को बैन किया था और इसका श्रेय बिनय कुमार सिंह को जाता है जिन्होंने अपने रिसर्च से, अपने लेखों के द्वारा लगातार पीएफआई के कारनामों को उजागर किया। अंत मे झारखंड सरकार ने पीएफआई को बैन किया।
बिनय कुमार सिंह ने कहा कि पिछले कुछ सालों में खासकर जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार केंद्र में आई है, देश विरोधियों का एकमात्र लक्ष्य भारत को अस्थिर करने की रही है। इस पुस्तक में उन्ही साजिशों को बेनकाब करने की कोशिश की गई है।

उन्होंने कहा कि पुस्तक में कई केस स्टडी के द्वारा इन बातों को सबूतों के साथ साबित करने की कोशिश की गई है कि भारत को कमजोर करने के लिए क्वड्रिगा जिसमें, इस्लामिक फण्डामेंटलिस्ट और उनके क्रिस्चियन मिशनरियों के साथ समझौता, नक्सलवाद, और इन सभी को पोषित करता हुआ बौद्धिक सहायता, को अपनाया गया है।

भारत के पूर्व गृह सचिव जी के पिल्लई ने पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा कि, बिनय कुमार सिंह की ब्लीडिंग इंडिया उनलोगों के लिए आंखे खोलने वाली पुस्तक साबित होगी जो भारत की आंतरिक सुरक्षा को ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं मानते। उन्होंने कहा कि आज से नही, बल्कि कई सालों से भारत की आंतरिक सुरक्षा की मजबूत करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। नक्सल प्रभावित इलाकों में जितना कार्य होना चाहिए वह नही हुआ, और नतीजा यह है कि आज भी हम इस समस्या से जूझ रहे हैं। आंतरिक सुरक्षा के लिए सड़क और संचार व्यवस्था सबसे महत्वपूर्ण है लेकिन इस तरफ जितना सरकारों को ध्यान देना चाहिए, वह नही दिया गया। आज भी कमोवेश स्थिति वैसी ही है।

वरिष्ठ पत्रकार अभिजीत मजुमदार ने किताब की चर्चा करते हुए कहा कि भारत की आन्तरिक सुरक्षा पर बहुत सी किताबें अंग्रेजी में लिखी गयी है जिसका पाठक वर्ग कम है। लेकिन कम पाठक वर्ग और लिखने वाले ज्यादा असरकारक हैं और उनकी बातों को भारत की जनता के साथ साथ नियम कानून बनाने वाले भी गंभीरता से लेते हैं। उन्होंने गरुड़ पब्लिकेशन से आग्रह किया कि ब्लीडिंग इण्डिया को हिंदी में भी प्रकाशित किया जाय जिससे इस किताब की पहुँच आम जनता तक हो सके।

उन्होंने कहा कि इस किताब में लिखी गयी बातों को जब आप देखेंगे तो ऐसा लगेगा कि यह सब पहले से तय था, और यही इस किताब की खासियत है। पूरी किताब रिसर्च पर आधारित है और पढने वाले को भारत की अंदरूनी समस्यायों को समझने में आसानी होगी।

दी मिथ ऑफ़ हिन्दू टेरर के लेखक और पूर्व ब्यूरोक्रेट्स आर वी एस मणि ने कहा कि ब्लीडिंग इण्डिया जैसी किताबों का आना देश के लिए बहुत जरुरी है। भारत के विरुद्ध प्रोपेगेंडा फ़ैलाने वालों को बेनकाब करती हुई ये पुस्तक तथ्य पर आधारित है जिसे लोग पढेंगे और पसंद करेंगे। पुस्तक विमोचन के अवसर पर इण्डिया पालिसी फाउंडेशन के डायरेक्टर कुलदीप रतनू और गरुड़ पब्लिकेशन के अंकुर पाठक ने भी अपने विचार रखे।

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