‘धर्म युद्ध’ के संकल्प से ही हारेगा जिहाद

(फोटो केवल प्रतीकात्मक इस्तेमाल के लिए)

रीना सिंह, अधिवक्ता, उच्चतम न्यायालय

सदियों से सनातन धर्म के अनुयायियों को विदेशी आक्रान्ताओं, चाहे वो मुगल हों या अंग्रेज हों, सभी ने अत्याचार कर शोषित किया। अगर मैं  हिन्दूओं  पर हुए अत्याचारो के बारे में लिखुँ तो शब्द और पन्ने कम पड़ जायेंगे।

इतिहास साक्षी है कि विश्व में एक भी घटना ऐसी नही घटी जिसमें किसी हिन्दू ने किसी दूसरे धर्म का शोषण या उस धर्म को खत्म करने का प्रयास किया हों। हम हिन्दू उस निर्दयी बजीर खान को नही भूले है जिसने गुरु गोबिंद सिंह के सात वर्ष और पांच वर्ष के मासूम फतेह सिंह और जोरावर सिंह को इस्लाम ना अपनाने पर दिवार में जिंदा चुनवा दिया था, हम हिन्दू उस जिहादी टीपू सुल्तान को भी नही भूले है जिसने एक दिन में लाखों हिन्दूओं का नरसंहार किया था।

अखंड भारत में 1947 में हुआ बटवारा विश्व के इतिहास में मजहब के आधार पर किसी भी देश का पहला और आखिरी बटवारा था जिसमें हैवानियत का सबसे बड़ा शिकार महिलाओं को होना पड़ा, इस दौरान औरतों के साथ बलात्कार, कत्ल, धर्मांतरण जैसी जघन्य घटनाये हुई और हज़ारों कि संख्या में महिलाये लापता हो गयी थी।

इन दंगो के दौरान खुद को हैवानियत से बचाने के लिए हजारो महिलाओं ने खुद ही अपनी जान दे दी थी। कई जगह के कुएं औरतों की लाशों से भर गए थे। एक तरह के धर्म के लोगों को खत्म करने का उन्माद दंगाइयों के दिल में ऐसा भरा हुआ था की कुछ जिलों में हिन्दू -सिखो की आबादी 30 फीसदी से घट कर एक फीसदी ही रह गयी थी। क्या ये जिहाद नही था?  हैवानियत का मंजर ऐसा,  की किसी की भी रूह कांप जाये। यह आग सिर्फ 75 साल पुरानी नही है, इस जहर के बीजों को साथ लेकर हजारों साल पहले विदेशी आक्रांताओ ने हिंदुत्व को खत्म करने के लिए हिदुस्तान की जमीन पर आक्रमण किया था।

हिन्दू कोई धर्म नही है अपितु एक जीवन शैली है, अगर हम इतिहास उठा कर देखे तो हम पाएंगे की हजारों वर्षो से हिंदुत्व को प्रताड़ित किया जा रहा है, बाबर के समय से हिन्दू मंदिरो को खंडित करने का जो प्रकरण चला वह मुगल शासन में बढ़ता ही चला गया। अंग्रेजो ने इस मतभेद का अपने स्वार्थ के लिए खूब उपयोग किया तथा फुट डालो राज करो की नीति के कारण देश को धर्म के नाम पर विभाजित होना पड़ा। हिन्दूओं के विरुद्ध यह अत्याचार विभाजन के साथ ही खत्म नही हुआ, परन्तु इसका विषैला जहर कही ना कही हमारी जड़ों को खोखला कर हमे हमारी ही पहचान और संस्कृति पर प्रश्न चिन्ह लगाने को प्रेरित करता रहा। पिछले सौ वर्षो में हम अपने धर्म और संस्कृति से जितना विमुख हुए उतना विमुख कोई भी पीढ़ी नही हुई थी। बाबर द्वारा राम मंदिर को तोड़ना और लाखों निर्दोष हिन्दूओं का कत्ल करना क्या जिहाद का हिस्सा नही था?

देश के विभाजन के समय हुए कत्लेआम और हैवानियत को क्या नाम देंगे? 90  के दशक में जब कश्मीरी पंडितों को अपने पूर्वजों की जमीन से विस्थापित होना पड़ा, उस समय देश का गृहमंत्री एक मुसलमान था,  इतिहास गवाह है की आज तक संयुक्त राष्ट्र में कश्मीरी हिन्दूओं के विस्थापन को लेकर कोई चर्चा नही हुई।  क्यूँ हर बार हिन्दू को ही प्रताड़ित होना पड़ता है, क्या यह उसके सहनशील होने की सजा है?

आज के इस भौतिकवादी युग में जब सूचना प्रौद्योगिकी अपनी चरम सीमा पर है तब इस समय में हमारी युवा पीढ़ी भी उस छदम षड़यन्त्र का शिकार हो रही है जिसे हमारे पूर्वज विभिन्न रूपों से परास्त करते आ रहे है। लव जिहाद के रूप में मुस्लिम युवक एक हिन्दू नाम रख कर हिन्दू युवती को अपने प्रेम जाल में फँसा कर उसका भविष्य खराब कर है, ऐसा करने के लिए इन मुस्लिम युवको को अच्छी खासी धनराशि अपने मौलाना और मौलवियों से मिलती है। हमारा सनातन धर्म आखिर कब तक हजारो वर्षो से चले आ रहे अलग-अलग तरह के जिहाद से लड़ता रहेगा, अब समय आ गया है कि हिन्दू संगठित हो एक ऐसी यज्ञ की अग्नि प्रज्वलित करें जिसमें यह जिहाद स्वाहा हो जाये क्यूंकि सनातन धर्म की विरासत को कायम रखना जरुरी है। समय आ गया है की धर्म की रक्षा के लिए हमे धर्म युद्ध करना होगा, हमे याद रखना चाहिए की हमारा हिन्दू धर्म हमे शास्त्र के साथ-साथ शस्त्र की भी शिक्षा देता है।

हमें जिहादियों को यह दिखाना होगा की हम छदम रूप से छिपकर युद्ध नही लड़ते, हमे माला जपने के साथ-साथ तलवार चलानी भी आती है, हमारी वाणी में भी धार है फिर भी हम शांत रहते है क्यूंकि हम में सनातन धर्म के संस्कार है। यह, वह समय है की युवा हिन्दू अपने आप के प्रति जागृत हो और अपनी पहचान को किसी भी कीमत पर ना छोड़े। इतिहास गवाह है की हिन्दू कभी भी किसी भी साहित्य और संस्कृति का विरोधी नही है, हिन्दू सिर्फ जिहाद और आतंकवाद का विरोधी है, हिन्दू युवा को यह समझना होगा की अपनी पहचान को बचाने के लिए अगर हमे किसी दूसरे व्यक्ति को उसी की ही भाषा में समझाना पड़े तो वह भी गलत नही है, यदि सामने वाला पक्ष शांति से नही रहेगा तो उसे शांति सिखानी होगी, इसमें कुछ पर्याय नही कि हम अपनी रक्षा किसी हिसंक प्राणी या हिंसक जानवर के खिलाफ विनम्र होकर नही कर सकते।

मैं दैत्य तुझमें जाग,  मैं राक्षस जैसा तुझमें जाग रहा, ले संकल्प अगर, तु बचा ले खुद को, देख तुझे मैं मार रहा। इतिहास गवाह है कि भगवान कृष्ण जैसा बांसुरी बजाने वाले के होते हुए भी महाभारत का युद्ध हुआ। देश के विभाजन तथा कश्मीरी पंडितो के विस्थापना जैसी घटना दुबारा ना हो इसके लिए हर हिन्दू को संकल्प के साथ इस जिहाद के विरुद्ध धर्म युद्ध लड़ना होगा।

A separate tribunal should be formed to resolve religious issues(लेखिका सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता हैं। चिरौरी न्यूज़ का लेख में दिए गए विचारों से सहमत होना अनिवार्य नहीं है।)

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