नोएडा में बड़ी ऑनलाइन पोर्नोग्राफी रैकेट का भंडाफोड़, 15.66 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग का हुआ खुलासा

चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: केंद्रीय जांच एजेंसियों ने एक बड़ी ऑनलाइन पोर्नोग्राफी रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जिसमें एक दंपत्ति, उज्जवल किशोर और उनकी पत्नी नीलू श्रीवास्तवा, विदेशी फंडिंग और सोशल मीडिया के माध्यम से मॉडल्स की भर्ती कर रहे थे। इस रैकेट का संचालन पिछले पांच वर्षों से चल रहा था और यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फैला हुआ था।
सूत्रों के मुताबिक, यह दंपत्ति साइप्रस स्थित कंपनी टेकनियस लिमिटेड से जुड़ा हुआ था, जो कि Xhamster और Stripchat जैसे प्रसिद्ध वयस्क मनोरंजन वेबसाइट्स का संचालन करता है। आरोप है कि इस दंपत्ति ने बैंक ट्रांजैक्शन में गलत डिटेल्स का इस्तेमाल करते हुए विदेशी कंपनियों को फंड ट्रांसफर किए, और उन्हें विज्ञापन और मार्केट रिसर्च के भुगतान के रूप में दिखाया।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में दंपत्ति के नोएडा स्थित घर पर छापा मारा और 15.66 करोड़ रुपये की अवैध विदेशी फंडिंग का खुलासा किया। जांच में यह भी पता चला कि मुख्य आरोपी उज्जवल किशोर इससे पहले रूस में एक समान रैकेट चला चुके थे, जिसके बाद उन्होंने भारत में अपनी पत्नी के साथ इस रैकेट को शुरू किया।
दंपत्ति ने फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करके मॉडल्स की भर्ती की। उन्हें आकर्षक वेतन का वादा किया। कई महिलाएं दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र से इन विज्ञापनों के जरिए फंसीं और जब वे नोएडा स्थित दंपत्ति के घर पहुंची, तो उन्हें पोर्नोग्राफी रैकेट में शामिल होने का प्रस्ताव दिया गया।
ED ने दंपत्ति के घर से एक पेशेवर वेबकैम स्टूडियो बरामद किया, जिसका इस्तेमाल वयस्क सामग्री को ऑनलाइन प्रसारित करने के लिए किया जा रहा था। इस स्टूडियो में तीन महिलाएं काम कर रही थीं और लाइव स्ट्रीमिंग कर रही थीं। ED ने इन महिलाओं के बयान भी दर्ज किए हैं।
जांच के दौरान यह भी पता चला कि ग्राहक द्वारा किए गए भुगतान के आधार पर मॉडल्स से विभिन्न प्रकार की सेवाएं ली जाती थीं, जैसे आधे चेहरे के शो, पूरे चेहरे के शो, और नग्नता से संबंधित सेवाएं। ग्राहक इन सेवाओं का उपयोग करने के लिए टोकन खरीदते थे, और सेवा की श्रेणी के आधार पर शुल्क में भिन्नता होती थी। दंपत्ति ने इस रैकेट से 75 प्रतिशत आय रखी, जबकि 25 प्रतिशत मॉडल्स को दी जाती थी।
शुरुआत में, दंपत्ति को ग्राहक से क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से भुगतान प्राप्त हो रहे थे। ED ने यह भी पाया कि टेकनियस लिमिटेड द्वारा नीदरलैंड्स में एक बैंक खाते में 7 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए थे, जिन्हें बाद में अंतर्राष्ट्रीय डेबिट कार्ड के माध्यम से भारत में नकद में निकाला गया।
जांच एजेंसी के अनुसार, इस रैकेट के जरिए हजारों महिलाओं को भर्ती किया गया हो सकता है।