कर्नाटक में जाति जनगणना पर भिड़ी कांग्रेस और बीजेपी, भाजपा ने सिद्धारमैया सरकार की रिपोर्ट को बताया ‘विफल मॉडल’

Congress and BJP clash over caste census in Karnataka, BJP calls Siddaramaiah government's report a 'failed model'चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: कर्नाटक में जाति जनगणना को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा केंद्र को जाति जनगणना में मार्गदर्शन देने की पेशकश पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। गुरुवार को भाजपा ने मुख्यमंत्री के बयान की आलोचना करते हुए कांग्रेस सरकार द्वारा की गई जाति जनगणना को “कैसे न की जाए जाति जनगणना” का उदाहरण बताया।

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आर. अशोक ने कहा, “मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का यह बयान कि कर्नाटक की जाति जनगणना मॉडल को अपनाया जाए, हास्यास्पद है। एक ऐसी रिपोर्ट जिसका मूल दस्तावेज ही गायब है, जिस पर सचिवों के हस्ताक्षर तक नहीं हैं, जहां फॉर्म स्कूल के बच्चों से 5-10 रुपये में भरवाए गए, जिन घरों में कुत्ते थे उन्हें गिनती से बाहर कर दिया गया, और जिसे दस साल बाद भी आधिकारिक रूप से स्वीकार नहीं किया गया — वह रिपोर्ट एक असफल प्रयोग का उदाहरण है।”

अशोक ने दावा किया कि भाजपा ने कभी जाति जनगणना का विरोध नहीं किया। उन्होंने कहा, “2010 में लोकसभा में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने यूपीए सरकार को स्पष्ट रूप से बताया था कि भाजपा जातीय गणना को 2011 की जनगणना में शामिल करने का समर्थन करती है। संसद में इस पर पारित सर्वसम्मत प्रस्ताव का भी भाजपा ने समर्थन किया था।”

उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि जब उन्हें जाति जनगणना करने का मौका मिला, तो उन्होंने 2011 की सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC-2011) को खराब योजना और निष्क्रिय क्रियान्वयन के चलते विफल कर दिया। “कांग्रेस ने करोड़ों रुपये खर्च किए, लेकिन उसकी रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं की गई। यह कांग्रेस की जाति जनगणना को लेकर कथित प्रतिबद्धता को उजागर करता है,” अशोक ने कहा।

भाजपा नेता ने आगे कहा, “भाजपा ने कभी जाति जनगणना का राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल नहीं किया। जब सत्ता में थे तो ईमानदारी से इसे लागू करने का प्रयास किया, और जब विपक्ष में रहे तब भी इसे राजनीतिक नाटक का हिस्सा नहीं बनाया। हमारी चिंता केवल यह रही है कि जाति जनगणना का राजनीतिक दुरुपयोग न हो।”

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अब जो जाति जनगणना करने जा रही है, वह पूरी तरह पारदर्शी, वैज्ञानिक और उद्देश्यपूर्ण होगी, न कि कांग्रेस सरकार की तरह राजनीतिक लाभ के लिए आंकड़ों को तोड़-मरोड़ कर।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बुधवार को केंद्र सरकार के जाति जनगणना के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “जिस तरह भाजपा ने हमारी पांच गारंटी योजनाओं का पहले मजाक उड़ाया और बाद में उन्हें अपनाया, उसी तरह केंद्र की यह पहल भी कांग्रेस की जनकल्याणकारी नीतियों की स्वीकारोक्ति है।”

उन्होंने कहा, “कर्नाटक सरकार द्वारा कराई गई सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक सर्वेक्षण एक मजबूत मॉडल है। हम केंद्र सरकार को इसमें हर संभव मार्गदर्शन देने को तैयार हैं। हमारी सरकार ने केवल जाति नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति का भी आंकलन किया है, जिस आधार पर आरक्षण नीति में बदलाव किया गया।”

सिद्धारमैया ने केंद्र से अपील की कि वह आगामी जनगणना के साथ सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक सर्वेक्षण भी कराए ताकि नीतिगत निर्णय ठोस आंकड़ों पर आधारित हों।

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