पाकिस्तान की ISPR ने रचा भारत के खिलाफ झूठा प्रोपेगेंडा, फर्जी सबूतों से किया बदनाम करने का प्रयास
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान ने एक बार फिर अपनी पुरानी आदत के मुताबिक भारत पर बेबुनियाद आरोप मढ़ने की कोशिश की है। पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) और डिप्टी प्रधानमंत्री इशाक डार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भारत पर पाकिस्तान में हुए आतंकी हमलों का दोष मढ़ा। लेकिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक यूज़र द्वारा किए गए खुलासों ने पाकिस्तान की इस प्रोपेगेंडा की पोल खोल दी है।
यूज़र ने ISPR के तथाकथित “सबूतों” की बारीकी से जांच कर बताया कि कैसे पाकिस्तान ने झूठी कहानियों, फर्जी स्क्रीनशॉट, नकली ऑडियो और छेड़छाड़ किए गए सबूतों के जरिए भारत को बदनाम करने की साजिश रची।
ISPR द्वारा पेश किए गए व्हाट्सएप कॉल रिकॉर्डिंग पर सवाल उठाते हुए यूज़र ने लिखा कि किसी भी डिजिटल फॉरेंसिक जांच में डेटा की अखंडता बनाए रखने के लिए क्लोन किए गए नॉन-एक्टिव डिवाइस का उपयोग किया जाता है। लेकिन ISPR ने लाइव, एक्टिव डिवाइस से डाटा निकाला, जो पूरी जांच को संदिग्ध बना देता है।
एक स्क्रीनशॉट में दिखाया गया चैट, संदिग्ध की गिरफ्तारी से पहले का बताया गया है, लेकिन स्क्रीनशॉट उसी समय का है जब संदेश भेजा गया था—यानी गिरफ्तारी से पहले ये स्क्रीनशॉट कैसे लिया गया?
ISPR द्वारा दिखाया गया ड्रोन, जिसे भारतीय बताया गया था, असल में एक चीनी DJI मॉडल निकला। यूज़र ने पूछा कि क्या इसका मतलब अब चीन पाकिस्तान में आतंकी हमले करवा रहा है?
वित्तीय लेन-देन को लेकर भी ISPR की कहानी में कई झोल हैं। पाकिस्तान का दावा है कि भारतीय हैंडलर्स ने छोटे ट्रांजेक्शन किए ताकि ISI की नजरों से बच सकें, लेकिन अगर ऐसा होता तो पाकिस्तानी पेमेंट गेटवे का उपयोग क्यों करते?
सबसे गंभीर आरोप ISPR द्वारा भारतीय सेना के अधिकारियों पर लगाए गए, लेकिन बिना किसी कॉल डिटेल, आईपी लॉग या अन्य डिजिटल सबूत के।
इन सभी तथ्यों से साफ है कि पाकिस्तान एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आंखों में धूल झोंकने और अपनी आंतरिक असफलताओं का दोष भारत पर डालने का असफल प्रयास कर रहा है।