सामंथा रूथ प्रभु ने किया खुलासा: “फोन से जुड़ा था मेरा अहम, तीन दिन का साइलेंस रिट्रीट बना आंखें खोलने वाला अनुभव”

Samantha Ruth Prabhu reveals: "My ego was attached to the phone, three days of silence retreat became an eye-opening experience"
(Pic: Instagram)

चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: अभिनेत्री सामंथा रूथ प्रभु, जो 2022 में ऑटोइम्यून बीमारी मायोसाइटिस से ग्रसित पाई गई थीं, ने अपनी हेल्थ पॉडकास्ट ‘Take 20’ के नए एपिसोड में अपनी जिंदगी में आए बदलावों और एक बेहद खास अनुभव को साझा किया।

हेल्थ कोच रयान फर्नांडो के साथ बातचीत में सामंथा ने बताया कि उन्होंने अपनी बीमारी के बाद जीवनशैली में कई बदलाव किए, जिनसे वे काफी संतुष्ट थीं। लेकिन एक चीज जिसे वह नियंत्रित नहीं कर पा रही थीं, वह थी — फोन के साथ उनका रिश्ता।

उन्होंने कहा, “मैंने अपनी ज़िंदगी में बहुत कुछ बदला और अपने नए रूटीन से खुश थी, लेकिन एक चीज़ जो मैं छोड़ नहीं पा रही थी, वह थी मेरा फोन। ये झूठा भ्रम था कि ‘यह मेरा काम है और इसे करना ज़रूरी है’।”

इसी सोच को चुनौती देने के लिए सामंथा ने तीन दिन का साइलेंस रिट्रीट किया, जिसमें ना कोई फोन था, ना बातचीत, ना आंखों का संपर्क, ना पढ़ना, ना लिखना — किसी भी प्रकार का कोई मानसिक उत्तेजन नहीं।

जब रयान फर्नांडो ने पूछा कि क्या यह “ड्रग डिटॉक्स” जैसा अनुभव था, तो सामंथा ने सहमति में जवाब दिया: “हां, बिल्कुल वैसा ही।”

उन्होंने इसे एक “विनम्र कर देने वाला अनुभव” बताते हुए कहा, “मुझे एहसास हुआ कि मेरा बहुत सारा अहम मेरे फोन से जुड़ा हुआ है — मैं कौन हूं, कितना महत्वपूर्ण हूं, क्या हासिल किया है — और जब वह सब नहीं होता, तो आप बस एक जीव मात्र होते हैं, जैसे कोई कीड़ा या पक्षी। बस जन्म लेना, जीना और मर जाना — इतना ही।”

उन्होंने कहा कि यह अनुभव “आंखें खोलने वाला” रहा और वह इसे दोबारा करना चाहेंगी। साथ ही उन्होंने माना कि फोन की लत किस तरह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बाधित करती है।

मायोसाइटिस से लड़ाई

सामंथा ने 2022 में मायोसाइटिस नामक बीमारी के बारे में बताया था, जिसके चलते उन्होंने फिल्मों से कुछ समय का ब्रेक लिया। यह एक दुर्लभ ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली खुद ही मांसपेशियों पर हमला करने लगती है, जिससे कमजोरी, थकावट और दर्द होता है।

सामंथा का यह अनुभव न केवल सेल्फ-अवेयरनेस की मिसाल है, बल्कि तकनीक और मानसिक स्वास्थ्य के बीच जटिल संबंध को भी उजागर करता है।

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