कर्नाटक में खींचतान जारी, सिद्धारमैया ने मंच से शिवकुमार का नाम लेने से किया इनकार

The tug of war continues in Karnataka, Siddaramaiah refuses to take Shivakumar's name from the stageचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: कर्नाटक सरकार में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही अंदरूनी खींचतान एक बार फिर सतह पर आ गई, जब मैसूरु जिले में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार का नाम लेने के सुझाव पर नाराज़ हो गए।

यह वाकया ‘साधना समावेश’ नामक कार्यक्रम में हुआ, जिसका आयोजन कांग्रेस सरकार की उपलब्धियों को उजागर करने और नई परियोजनाओं की घोषणा के लिए किया गया था। मंच पर खुद शिवकुमार भी उपस्थित थे, लेकिन उन्होंने भाषण देने के बाद आपात स्थिति का हवाला देते हुए बेंगलुरु लौटने का फैसला किया।

जब सिद्धारमैया मंच पर पहुंचे और गणमान्य व्यक्तियों का परिचय दे रहे थे, तब उन्होंने शिवकुमार का नाम नहीं लिया। एक कांग्रेस नेता ने उन्हें इसका सुझाव दिया, जिस पर मुख्यमंत्री भड़क उठे।

उन्होंने तीखे लहजे में कहा, “डीके शिवकुमार यहाँ नहीं हैं ना? कृपया बैठ जाइए। आप किस तरह के वकील हैं?”

उन्होंने आगे कहा, “डीके शिवकुमार बेंगलुरु लौट गए हैं। मंच पर बैठे लोगों का नाम लिया जाता है, न कि उन लोगों का जो वहां मौजूद ही नहीं हैं। प्रोटोकॉल यही है कि उन्हीं का नाम लें जो यहाँ उपस्थित हों, घर में बैठे लोगों का नहीं। यह बात वकीलों को समझनी चाहिए।”

इस प्रतिक्रिया का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और इसे कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही अंदरूनी राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है।

गौरतलब है कि विपक्षी भाजपा लंबे समय से दावा करती रही है कि डीके शिवकुमार जल्द ही सिद्धारमैया की जगह ले सकते हैं। हालांकि कांग्रेस नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि फिलहाल मुख्यमंत्री बदलने की कोई योजना नहीं है। सिद्धारमैया खुद भी अपने इस्तीफे की अटकलों को खारिज कर चुके हैं और शिवकुमार ने भी सार्वजनिक रूप से उनका समर्थन किया है। बावजूद इसके, दोनों नेताओं के बीच की खींचतान समय-समय पर सार्वजनिक मंचों पर उजागर होती रही है।

यह तनाव 2023 के विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद शुरू हुआ था, जब कांग्रेस को प्रचंड जीत मिली थी। उस वक्त शिवकुमार को मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने उन्हें उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के पदों से संतुष्ट कर लिया। कुछ रिपोर्टों में यह भी दावा किया गया था कि रोटेशनल सीएम का समझौता हुआ है, हालांकि इसकी कभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई।

अब एक बार फिर मंच पर सीएम की नाराज़गी ने यह संकेत दे दिया है कि कर्नाटक सरकार के शीर्ष पद को लेकर अंदरूनी उथल-पुथल अभी थमी नहीं है।

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