बिहार में 61 लाख मतदाताओं के नाम हटाने पर सियासी तूफान, विपक्ष ने चुनाव बहिष्कार की दी चेतावनी
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की अंतिम समय-सीमा से महज एक दिन पहले चुनाव आयोग (ECI) के सामने एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। आयोग ने गुरुवार को बताया कि पुनरीक्षण प्रक्रिया के तहत 99 प्रतिशत मतदाताओं को कवर कर लिया गया है, लेकिन लगभग 61 लाख नाम मसौदा मतदाता सूची से हटाए जाने वाले हैं। ये वे मतदाता हैं जिन्हें मृत, स्थायी रूप से स्थानांतरित, दो जगहों पर पंजीकृत या फिर लापता पाया गया है।
आयोग के अनुसार, अब तक 7.21 करोड़ मतदाताओं—जो कुल मतदाताओं का 91.32 प्रतिशत हैं—के फार्म प्राप्त कर लिए गए हैं और उन्हें डिजिटाइज़ कर लिया गया है। इन सभी के नाम 1 अगस्त को जारी होने वाली मसौदा मतदाता सूची में शामिल किए जाएंगे। शेष फार्म भी BLO और BLA की रिपोर्ट्स के साथ डिजिटाइज हो रहे हैं, जिन्हें आपत्तियों और दावों की प्रक्रिया में सत्यापित किया जाएगा। यह प्रक्रिया 1 सितंबर तक चलेगी।
चुनाव आयोग ने जानकारी दी कि 61 लाख हटाए जाने वाले नामों में 21.6 लाख मृत मतदाता, 31.5 लाख स्थायी रूप से स्थानांतरित, सात लाख एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत और एक लाख लापता हैं। इन मतदाताओं की सूची बूथ स्तर पर सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ साझा की जा चुकी है, ताकि वे कोई आपत्ति या विसंगति दर्ज करा सकें।
बिहार में अक्टूबर-नवंबर में संभावित विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची को स्वच्छ बनाने के उद्देश्य से चल रहा यह अभियान अब सियासी संकट में तब्दील हो गया है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने गुरुवार को इस प्रक्रिया को “धोखाधड़ी” करार देते हुए चुनाव बहिष्कार तक की चेतावनी दे दी। उन्होंने कहा, “हम विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का विकल्प खुला रखे हुए हैं। जब समय आएगा, हम सहयोगी दलों से बातचीत कर इस पर अंतिम निर्णय लेंगे। जो कुछ SIR के नाम पर किया जा रहा है, वह एक साफ-सुथरा फर्जीवाड़ा है।”
कांग्रेस पार्टी ने भी चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोलते हुए इस प्रक्रिया को मनमाना और ‘तुग़लकी’ करार दिया। पार्टी नेता अल्लावरु ने आयोग के आंकड़ों को गलत बताया और मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को चुनौती दी कि वे किसी भी विधानसभा क्षेत्र में जाकर इस प्रक्रिया की यादृच्छिक जांच करें। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि यह पूरी प्रक्रिया भाजपा के साथ मिलीभगत में की जा रही है, जिससे हाशिए पर खड़े समुदायों को मतदान से वंचित किया जा सके।
बढ़ते विवादों के बीच चुनाव आयोग ने दोहराया है कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी ढंग से की जा रही है और सभी राजनीतिक दलों को हर चरण में जानकारी दी गई है। जैसे-जैसे 1 अगस्त की तारीख नज़दीक आ रही है, जब मसौदा सूची सार्वजनिक होगी, पूरे बिहार की निगाहें इस पर टिक गई हैं कि जनता और विपक्षी दल इस विवादास्पद पुनरीक्षण प्रक्रिया पर क्या रुख अपनाते हैं।