भारत-चीन संबंधों में शांति और स्थिरता ही प्रगति का आधार: जयशंकर

Peace and stability is the basis of progress in India-China relations: Jaishankar
(File Pic: Twitter)

चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: नई दिल्ली में सोमवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात के दौरान कहा कि भारत-चीन संबंधों में किसी भी सकारात्मक गति की आधारशिला सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता को संयुक्त रूप से बनाए रखने की क्षमता है और यह आवश्यक है कि तनाव कम करने की प्रक्रिया आगे बढ़े।

जयशंकर ने कहा कि वांग यी की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से होने वाली बातचीत बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि सीमा पर शांति बनाए रखना ही दोनों देशों के रिश्तों को आगे ले जाने का आधार है। बैठक में विदेश सचिव विक्रम मिस्री सहित अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। जयशंकर ने कहा कि जब दुनिया के दो सबसे बड़े देश मिलते हैं, तो अंतरराष्ट्रीय स्थिति पर चर्चा होना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि भारत एक न्यायसंगत, संतुलित और बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था की अपेक्षा करता है, जिसमें एशिया का बहुध्रुवीय स्वरूप भी शामिल है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनाए रखना और उसे मजबूत करना बेहद जरूरी है। आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ लड़ाई को भी उन्होंने प्राथमिकता बताया। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस द्विपक्षीय वार्ता से कई अहम मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान होगा।

मंगलवार को वांग यी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ सीमा विवाद पर विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता का एक नया दौर शुरू करेंगे और दिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे।

जयशंकर ने कहा कि यह बैठक दोनों देशों को द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा और वैश्विक परिदृश्य पर चर्चा का अवसर प्रदान करती है, जिसमें कुछ साझा हितों से जुड़े मुद्दे भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि बातचीत में आर्थिक और व्यापारिक मुद्दे, तीर्थयात्राएं, जनसंपर्क, नदी जल आंकड़े साझा करने, सीमा व्यापार, कनेक्टिविटी और द्विपक्षीय संवाद जैसे विषय शामिल होंगे। जयशंकर ने कहा कि हमारे रिश्तों ने एक कठिन दौर देखा है और अब दोनों देश आगे बढ़ना चाहते हैं, इसके लिए दोनों पक्षों की ओर से स्पष्ट और रचनात्मक दृष्टिकोण जरूरी है। इस दिशा में हमें तीन ‘म्यूचुअल्स’ यानी आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हितों से मार्गदर्शन लेना होगा। मतभेदों को विवाद में नहीं बदलना चाहिए और प्रतिस्पर्धा को संघर्ष नहीं बनने देना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि वे जुलाई में चीन यात्रा के दौरान उठाए गए कुछ विशेष मुद्दों को दोबारा चर्चा में लाना चाहेंगे। जयशंकर ने यह भी उल्लेख किया कि भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की चीन की वर्तमान अध्यक्षता के दौरान उसके साथ निकट सहयोग किया है।

31 अगस्त से 1 सितंबर के बीच तियानजिन में होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन का उल्लेख करते हुए उन्होंने वांग यी को इस सम्मेलन के लिए सफलता की शुभकामनाएं दीं और आशा जताई कि सम्मेलन में ठोस फैसले लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर हमारी यह चर्चा एक स्थिर, सहयोगात्मक और दूरदर्शी भारत-चीन संबंध को आकार देने में सहायक होगी, जो दोनों देशों के हितों की सेवा करे और उनकी चिंताओं का समाधान करे।

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