शी जिनपिंग से मुलाकात से पहले भारत-चीन संबंधों को स्थिर और दीर्घकालिक बनाने पर पीएम मोदी का जोर

चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के साथ संबंधों को मजबूत करने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया है और कहा है कि दोनों एशियाई शक्तियों के बीच एक स्थिर रिश्ता इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए आवश्यक है।
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन से पहले जापान के प्रमुख समाचार पत्र दि योमिउरी शिंबुन को दिए एक साक्षात्कार में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नई दिल्ली बीजिंग के साथ रिश्तों को “रणनीतिक, दीर्घकालिक दृष्टिकोण” से आगे बढ़ाना चाहती है, जो आपसी सम्मान, साझा हितों और संवेदनशीलता पर आधारित हो।
प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात 31 अगस्त को तियानजिन में SCO शिखर सम्मेलन के इतर होने वाली है। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देश हाल के वर्षों में तनावपूर्ण रहे संबंधों को सामान्य करने की कोशिश कर रहे हैं, विशेष रूप से 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद से रिश्तों में काफी खटास आ गई थी।
प्रधानमंत्री मोदी की यह सात वर्षों में चीन की पहली यात्रा है। वह SCO शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं, जो एक क्षेत्रीय सुरक्षा संगठन है और जिसमें रूस, ईरान और मध्य एशिया के कई देश शामिल हैं। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब वैश्विक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है, विशेष रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के फैसले के बाद।
कजान में शी जिनपिंग से अपनी पिछली मुलाकात का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि तब से अब तक भारत-चीन संबंधों में “लगातार और सकारात्मक” प्रगति हुई है। उन्होंने कहा, “भारत और चीन के बीच स्थिर, पूर्वानुमेय और सौहार्दपूर्ण संबंध — दो पड़ोसी और दुनिया की दो सबसे बड़ी जनसंख्या वाले देश होने के नाते — न सिर्फ क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक शांति और समृद्धि पर भी सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।”
प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी बल दिया कि भारत और चीन के बीच सहयोग बहुपक्षीय एशिया और बहुध्रुवीय विश्व के लिए भी अहम है। उन्होंने कहा, “वर्तमान में वैश्विक अर्थव्यवस्था जिस अस्थिरता से गुजर रही है, ऐसे समय में भारत और चीन जैसे दो बड़े आर्थिक शक्तियों का मिलकर काम करना वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में स्थिरता लाने के लिए जरूरी है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि भारत चीन के साथ रणनीतिक संवाद बढ़ाने को तैयार है, ताकि दोनों देश साझा विकास संबंधी चुनौतियों से मिलकर निपट सकें।
मोदी गुरुवार को नई दिल्ली से दो दिवसीय जापान यात्रा पर रवाना हुए थे, जहां वह 29–30 अगस्त तक 15वें भारत-जापान वार्षिक सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। टोक्यो में अपने कार्यक्रमों के बाद वह तियानजिन जाएंगे, जहां SCO शिखर सम्मेलन में भाग लेने के साथ-साथ शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे।
