राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय में KVIC का भव्य फ़ैशन शो
दिलीप गुहा
नई दिल्ली: खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) ने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फ़ॉर खादी (CoEK) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फ़ैशन टेक्नोलॉजी (NIFT) के सहयोग से को फ़ैशन डिज़ाइन काउंसिल ऑफ इंडिया (FDCI) द्वारा क्यूरेट किए गए एक शानदार फ़ैशन शो का आयोजन किया, जिसमें CoEK द्वारा डिज़ाइन की गई खादी की उत्कृष्ट वेशभूषा और साड़ियाँ प्रदर्शित की गई।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में KVIC के चेयरमैन श्री मनोज कुमार उपस्थित थे। इसके साथ ही KVIC की CEO सुश्री रूप राशि, NIFT की महा निदेशक श्रीमती तनु कश्यप और FDCI के चेयरमैन सुनील सेठी भी उपस्थित रहे, जिनके सहयोग ने इस पहल को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रगति मैदान स्थित राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय एम्फीथिएटर में आयोजित इस कार्यक्रम ने फैशन, नृत्य और लाइव संगीत का अनूठा संगम प्रस्तुत किया। इसमें CoEK द्वारा डिज़ाइन की गई समकालीन खादी साड़ियाँ, आधुनिक परिधान और अपसाइकल्ड कलेक्शन शामिल थे, जिन्हें देशभर के खादी संस्थानों द्वारा तैयार किया गया था।
‘नवयुग खादी’ शीर्षक से प्रस्तुत यह शो CoEK द्वारा विकसित किया गया था—जो MSME मंत्रालय और KVIC द्वारा NIFT में स्थापित एक संस्था है, जिसका उद्देश्य खादी पारिस्थितिकी तंत्र में डिज़ाइन नवाचार को बढ़ावा देना है। प्रधानमंत्री के “खादी फ़ॉर नेशन, खादी फ़ॉर फ़ैशन” के विज़न से प्रेरित इस प्रस्तुति ने खादी को एक ऐसे कालजयी वस्त्र के रूप में स्थापित किया, जो भारतीय विरासत में रचा-बसा होने के साथ-साथ आधुनिक सौंदर्यशास्त्र से भी पूर्णतः मेल खाता है।
दिन की शुरुआत इंटरैक्टिव वर्कशॉप श्रृंखला से हुई, जिसमें आगंतुकों ने हैंड स्पिनिंग, साड़ी ड्रेपिंग और प्राकृतिक रंगाई में भाग लिया। ये वर्कशॉप ‘बिल्डिंग अ न्यू नैरेटिव’ थीम पर आधारित नवयुग खादी प्रदर्शनी के पूरक थे, जिसने नवाचार और परंपरा के संगम तथा कारीगरों को नए, जागरूक उपभोक्ताओं से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रखा।
शाम होते-होते कार्यक्रम एक जीवंत रनवे शो में बदल गया, जिसमें खादी के विविध परिधानों की खूबसूरत झलक देखने को मिली। CoEK द्वारा प्रस्तुत संग्रह ने खादी की बहुमुखी प्रतिभा को उजागर किया—पारंपरिक साड़ियों से लेकर समकालीन सिल्हूट तक। असम की मेखला चादर, बिहार की बावन बूटी, ओडिशा की इकत और कर्नाटक की सिल्क बुनाई सहित विभिन्न खादी संस्थानों की साड़ियाँ प्रदर्शित की गईं। इसके अलावा जैकेट, ड्रेसेज़, ट्राउज़र्स और लेयर्ड एंसेंबल्स भी शामिल थे, जिनमें कारीगरों ने अपनी सूक्ष्म और कलात्मक शिल्पकारी का योगदान दिया।
शो का एक प्रमुख आकर्षण ‘कत्रन कलेक्शन’ था—जो बचे हुए कपड़ों के टुकड़ों से तैयार एक अभिनव अपसाइकल्ड लाइन थी। छोटे-छोटे अवशेषों को अनोखे और अभिव्यक्तिपूर्ण परिधानों में बदलकर इस कलेक्शन ने सतत फैशन और सजग डिज़ाइन की अहमियत को रेखांकित किया। FDCI द्वारा क्यूरेट किए गए इस शो ने यह दर्शाया कि स्लो फ़ैशन भी उतना ही साहसी, आधुनिक और सुरुचिपूर्ण हो सकता है।
कार्यक्रम में NIFT म्यूज़िक सोसाइटी ‘रंग’ ने मनमोहक संगीत प्रस्तुति दी, जिसने शाम के वातावरण को और भी जीवंत बना दिया। बड़ी संख्या में उपस्थित दर्शकों का उत्साह यह दर्शाता था कि भारतीय सतत वस्त्रों, विशेषकर खादी, के प्रति रुचि लगातार बढ़ रही है और यह परंपरा एवं नवाचार के संगम वाले भविष्य के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
शो की एक खास बात यह रही कि प्रस्तुत किए गए सभी डिज़ाइन ‘नवयुग खादी’ में खरीद के लिए उपलब्ध हैं, जिससे फैशन प्रेमियों को उच्च गुणवत्ता वाली खादी उत्पादों तक सीधी पहुंच मिली। आगंतुकों को इस कपड़े की गर्माहट, आकर्षण और बहुमुखी प्रतिभा का अनुभव 4 का अवसर मिला—वे गुण जो खादी को सतत और हस्तशिल्प आधारित फ़ैशन की पसंदीदा पहचान देते हैं।( the exhibition will run upto 3rd Nov2025
कार्यक्रम ने इस शिल्प के पीछे काम करने वाले कारीगरों को भी सम्मानित किया, और KVIC की इस प्रतिबद्धता को पुनर्स्थापित किया कि वह बुनकरों को सशक्त बनाते हुए भारत की समृद्ध वस्त्र विरासत को संरक्षित करता रहेगा। कच्चे माल से लेकर रिटेल तक KVIC का लगातार समर्थन खादी संस्थानों को मूल्य श्रृंखला के हर चरण—कपास से कपड़े और कपड़े से फैशन—तक जोड़ता है। वहीं CoEK प्रधानमंत्री के “खादी फ़ॉर नेशन, खादी फ़ॉर फ़ैशन, खादी फ़ॉर ट्रांसफ़ॉर्मेशन” के मंत्र से प्रेरित होकर डिज़ाइन नवाचार को प्रोत्साहित करता रहेगा।
FDCI के चेयरमैन और KVIC सलाहकार सुनील सेठी ने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए अपनी टीम के समन्वयकों, कोरियोग्राफ़रों और मॉडलों की सराहना की। उन्होंने कहा, “खादी भारत की आत्मा है। इस मंच के माध्यम से हम युवा डिज़ाइनरों को खादी के इतिहास से जोड़ते हुए उन्हें इसके वैश्विक फ़ैशन परिदृश्य में संभावित भविष्य की कल्पना करने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं।”
राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय में आयोजित KVIC का यह खादी शो परंपरा, युवाशक्ति और नवाचार का सशक्त संगम साबित हुआ—यह दर्शाते हुए कि खादी केवल अतीत का वस्त्र नहीं, बल्कि भारत के फैशन भविष्य को आकार देने वाला एक जीवंत और गतिशील टेक्सटाइल है।
