आखिर क्यों जरुरत है नये संसद भवन की?

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: आज प्रधानमंत्री ने नए संसद भवन का शिलान्यास किया, जो तक़रीबन 2 साल बाद 2022 में बंकर तैयार हो जायेगा।  लेकिन अब सवाल उठता है कि जब भारत के पास एक विशाल संसद भवन है तो नई की जरुरत क्यों।  मौजूदा संसद भवन दिल्ली के पहचानों में शुमार है, लोग दूर दूर से इसे देखने आते है और तक़रीबन 100 सालों से दिल्ली में हो रहे सभी छोटे बड़े बदलाव का साक्षी है।

तब सवाल ये है कि इतने महत्वपूर्ण भवन की जगह नया क्यों? इसकी एक बहुत बड़ी वजह जो प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में भी बताया है कि आनेवाले समय में देश में सांसदों की संख्या का बढ़ना तय है। आजादी के समय से सांसदों की संख्या नहीं बढ़ी है, क्योंकि २०२६ तक डीलिमिटेशन पर रोक है, लेकिन उसके बाद ऐसी संभावना है कि डीलिमिटेशन हो और लोकसभा सांसदों की संख्या मौजूदा 545 से बढ़कर 700 से ज्यादा हो जाए। तो ऐसे में बढे हुए सांसद सदस्य कहाँ बैठेंगे और उनके लिए ज्यादा स्पेस की जरुरत होगी।

इसी बात का जिक्र प्रधानमंत्री ने भी किया था कि भविष्य की जरूरतों को देखते हुए इस संसद भवन को बनाने का फैसला किया गया है। असल में साल 2029 का लोकसभा चुनाव से पहले देश में डीलिमिटेशन की बात हो रही है। लेकिन मौजूदा लोकसभा में अधिकतम 545 सांसद ही बैठ सकते हैं। वहीं जब लोकसभा में सांसदों की संख्या बढ़ेगी तो उसी परिपेक्ष में राज्यसभा की सीटें भी बढ़ेगी। लेकिन राज्यसभा में भी फिलहाल मौजूदा दौर में अधिकतम 245 सांसद ही बैठ सकते हैं।

दूसरी जो सबसे बड़ी वजह बदलते वक्त के साथ में सांसदों को उनकी जरूरतों के हिसाब से संसद भवन में व्यवस्था नहीं है। लिहाजा उनकी जरूरत के हिसाब से वह व्यवस्था की जाए। लेकिन मौजूदा संसद भवन परिसर में ऐसा मुमकिन नहीं था।  खासकर महिला सांसदों को ज्यादा तकलीफ हो रही थी, जिसे ध्यान में रखकर भी यह फैसला लिया गया कि एक नया संसद भवन होना चाहिए।  प्रधानमंत्री ने जो बात कही उसका अंदाजा कर्नाटक से बीजेपी की महिला सांसद सुमनलता के इस बयान से भी लगाया जा सकता है जिसमें उन्होंने महिला सांसदों को मौजूदा संसद भवन में किस तरह की दिक्कत आती है उस बात का जिक्र किया।

तीसरी वजह मौजूदा संसद भवन में अभी तक सांसदों के लिए कार्यालय का नहीं होना, जो नए संसद भवन में होगा। इस से सांसद अपने काम काज सुचारू रूप से कर सकेंगे।
इन सभी बातों को ध्यान में रखकर नई संसद भवन में जहां लोकसभा में 888 सांसदों के बैठने की व्यवस्था की गई है, वहीं राज्यसभा में 384 सांसदों के बैठने का इंतजाम किया जाएगा। नए संसद भवन के निर्माण में तक़रीबन 900 करोड़ का खर्चा आएगा लेकिन भारत में लोकतंत्र मजबूत रहे इसके लिए ये रकम मामूली सी लगती है।

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