ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद भारत की शर्तों पर हुआ युद्ध विराम समझौता
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पिछले कुछ दिनों में चलाए गए निर्णायक प्रतिशोधी अभियान ऑपरेशन सिंदूर के तहत की गई सैन्य कार्रवाई ने देश की बढ़ती सैन्य शक्ति को दर्शाया। इसके परिणामस्वरूप शनिवार देर दोपहर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की घोषणा हुई, जो सूत्रों के अनुसार पूरी तरह से नई दिल्ली की शर्तों पर हुआ।
शनिवार शाम 5 बजे से युद्धविराम प्रभावी हुआ, इससे पहले भारत ने पाकिस्तान के आठ एयरबेस ध्वस्त कर दिए, 100 से अधिक उच्च-मूल्य वाले आतंकवादियों को समाप्त किया और आतंकवादी ठिकानों व सैन्य संसाधनों को भारी नुकसान पहुँचाया।
सूत्रों के अनुसार, यह युद्धविराम किसी समझौते या किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से नहीं बल्कि पाकिस्तान की सैन्य कमजोरी और उसके आगे लड़ाई जारी रखने की अक्षमता के चलते हुआ। विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने कहा, “पिछले कुछ दिनों में पाकिस्तान को ज़मीन और आसमान दोनों में बहुत भारी नुकसान उठाना पड़ा है। स्कर्दू, सरगोधा, जैकबाबाद और भोलारी जैसे अहम एयरबेस बुरी तरह तबाह हो गए हैं।”
भारत की सख्त रणनीतिक नीति और यह घोषणा कि भविष्य में कोई भी आतंकी हमला “युद्ध का कार्य” माना जाएगा, ने खेल की परिभाषा ही बदल दी। अमेरिका ने इस नीति को औपचारिक रूप से मान्यता दी और पाकिस्तान पर दबाव बनाकर युद्धविराम की स्थिति सुनिश्चित की।
इस समझौते में केवल सैन्य कार्रवाई और गोलीबारी रोकने पर सहमति हुई है। भारत की ओर से स्पष्ट कर दिया गया है कि यह फैसला न तो सिंधु जल संधि पर असर डालेगा, न ही अटारी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट को बंद करने या पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सार्क वीज़ा छूट योजना रद्द करने के निर्णयों को बदलेगा।
हालाँकि कोई राजनीतिक या व्यापक वार्ता इस युद्धविराम का हिस्सा नहीं है, फिर भी वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक बातचीत ज़रूर हुई। अमेरिकी विदेश मंत्री और उपराष्ट्रपति वेंस ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और पाकिस्तान के सेना प्रमुख से बातचीत कर स्थिति को शांत करने में भूमिका निभाई।
भारत ने इस अभियान से स्पष्ट संदेश दिया है — अब आतंकवाद को भुगतने का युग समाप्त हो चुका है। अब भारत जवाब देता है, नियम तय करता है और नियंत्रण में युद्धविराम लागू करता है।
जैसा कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, “भारत आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ हमेशा दृढ़ और समझौता न करने वाला रुख अपनाता आया है और आगे भी अपनाता रहेगा।”