केरल अर्बन कॉन्क्लेव को सर्वदलीय समर्थन, 300 बिंदुओं वाला रोडमैप बना राष्ट्रीय मॉडल

All-party support to Kerala Urban Conclave; 300-point roadmap becomes national model
(केरल के स्थानीय स्वशासन मंत्री एम.बी. राजेश श्रीलंका की राजधानी कोलंबो और दक्षिण अफ्रीका के शहर डरबन के मेयरों के साथ)

चिरौरी न्यूज

कोच्चि: केरल अर्बन कॉन्क्लेव 2025 के समापन के बाद इसे शहरी प्रशासन में “नए केरल मॉडल” की शुरुआत माना जा रहा है। इस दो दिवसीय कार्यक्रम से राज्य की पहली व्यापक शहरी नीति के लिए 300 सिफारिशें सामने आईं, जिन्हें देशभर के लिए आदर्श माना जा रहा है।

आने वाले वर्षों में शहरों को कैसे बेहतर बनाया जाए, विषय पर आयोजित इस कॉन्क्लेव को लेकर स्थानीय स्वशासन मंत्री एम.बी. राजेश ने कहा कि यह “भविष्य के शहरों की दिशा में ऐतिहासिक कदम” है। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि 25-वर्षीय विकास दृष्टि पहली बार नागरिकों, विशेषज्ञों और निर्वाचित प्रतिनिधियों की साझा भागीदारी से तैयार होगी।

राजेश ने आगे कहा कि यह राजनीति से ऊपर उठकर काम करेगी और पूरे देश के लिए एक मिसाल बन सकती है।

कॉन्क्लेव में 3,000 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया और शहरों को रहने लायक, बराबरी वाला और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने पर चर्चा की। इसमें पारदर्शिता के लिए सामाजिक ऑडिट, निवेश बढ़ाने के लिए व्यापार परिषदें, और बड़े शहरों से बाहर विकास के लिए क्षेत्रीय केंद्रों की स्थापना जैसे सुझाव दिए गए।

साथ ही, हर शहर में रीयल-टाइम डेटा से काम करने वाली ऑब्ज़र्वेटरी, डिजिटल टैक्स वसूली, ग्रीन बॉन्ड और प्रवासी योगदान का उपयोग, और जलवायु के अनुकूल ढाँचे को शामिल करने की बात भी कही गई।

इस कार्यक्रम की खास बात यह रही कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों के मंत्री और महापौरों ने इसकी सराहना की और अपने राज्यों में भी ऐसी योजनाएं शुरू करने की इच्छा जताई। इससे यह साफ हुआ कि शहरी विकास को लेकर सभी दल एकमत हैं।

इस आयोजन में भारत और विदेश के कई मंत्री और महापौर शामिल हुए, जिससे यह सम्मेलन एक अंतरराष्ट्रीय मंच बन गया। केरल ने संयुक्त राष्ट्र की दो संस्थाओं के साथ समझौते भी किए, जिससे उसकी शहरी नीति को विश्व स्तर पर पहचान मिलेगी और भारतीय शहरों के नेताओं को प्रशिक्षण और सहयोग के नए अवसर मिलेंगे।

नीति विशेषज्ञों का मानना है कि यह सम्मेलन भारत में शहरी विकास का एक अहम मोड़ बन सकता है। केरल का यह 300-बिंदु वाला रोडमैप नागरिक भागीदारी, डेटा आधारित प्रशासन और टिकाऊ वित्तीय मॉडल के साथ अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण बन सकता है।

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