इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लाउडस्पीकर से अजान पर पाबंदी को सही ठहराया; कहा लाउडस्पीकर से अजान इस्लाम का हिस्सा नहीं

Women using POCSO, SC-ST Acts as weapons to extort money in maximum cases: Allahabad High Courtन्यूज़ डेस्क

नई दिल्ली: आज इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक बड़े ही सेंसिटिव मसला पर फैसला सुनाया है, जिसमे कहा गया है कि लाउडस्पीकर से अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अजान इस्लाम का अहम हिस्सा है, लेकिन लाउडस्पीकर से अजान इस्लाम का हिस्सा नहीं है, अजान के लिए मानव आवाज का इस्तेमाल किया जा सकता है और मस्जिदों से अजान दी जा सकती है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने माना कि किसी भी मस्जिद से लाउडस्पीकर से अजान दूसरे लोगों के अधिकारों में हस्तक्षेप करना है इसीलिए लाउडस्पीकर से अजान पर प्रतिबंध वैध है।

यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकान्त गुप्ता तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने अफजाल अंसारी व फर्रूखाबाद के सैयद मोहम्मद फैजल की याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 21 स्वस्थ जीवन का अधिकार देती है। वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किसी को भी दूसरे को जबरन सुनाने का अधिकार नहीं देती है। रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक स्पीकर की आवाज पर रोक का कानून है।

दरअसल गाजीपुर से बहुजन समाज पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी ने इलाहबाद हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल कि थी जिसमे जिलाधिकारी के मस्जिदों मे लाकडाउन के दौरान अंजान पर लगायी रोक का आर्डर दिया गया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अजान में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक के खिलाफ दाखिल अफजाल अंसारी के जनहित याचिका पर आज ये फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण मुक्त नींद का अधिकार जीवन के मूल अधिकारों का हिस्सा है। किसी को भी अपने मूल अधिकारों के लिए दूसरे के मूल अधिकारों का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है।

गाजीपुर से बसपा के सांसद अफजाल अंसारी ने गाजीपुर के साथ ही हाथरस और फर्रुखाबाद की मस्जिदों में अजान पर लगी रोक को हटाने के लिए याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने मस्जिदों से अजान की अनुमति दी है, लेकिन लाउडस्पीकर से अजान की अनुमति नहीं दी गई है।

बता दें कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए सभी प्रकार के आयोजनों एवं एक स्थान पर इकट्ठा होने पर उत्तर प्रदेश में रोक लगायी गयी है, साथ ही लाउडस्पीकर बजाने पर भी रोक है।

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