अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए भीषण हमले, ट्रंप बोले – ‘अगर शांति नहीं आई तो अगला वार और भी घातक होगा’

America carried out massive attacks on Iran's nuclear sites, Trump said - 'If peace is not restored, the next attack will be even more deadly'
(File pic/Twitter)

चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार रात (अमेरिकी समय अनुसार) घोषणा की कि अमेरिकी सेना ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों – फोर्डो, नतांज और इस्फहान – पर सफलतापूर्वक हवाई हमले किए हैं। ट्रंप ने चेतावनी दी कि अगर ईरान ने जल्द ही शांति की राह नहीं अपनाई, तो अमेरिका और अधिक ठिकानों पर “सटीकता, रफ्तार और कौशल” के साथ हमला करेगा।

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा, “मैं उन महान अमेरिकी देशभक्तों को बधाई देना चाहता हूं जिन्होंने आज रात उन शानदार मशीनों को उड़ाया और हमारे सैन्य बलों को इस तरह के अभूतपूर्व ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए सलाम करता हूं। ऐसी सैन्य कार्रवाई दशकों में नहीं देखी गई है।”

उन्होंने आगे कहा, “या तो अब शांति होगी या फिर ईरान के लिए एक बहुत बड़ी त्रासदी। अभी कई लक्ष्य बचे हुए हैं जिन्हें कुछ ही मिनटों में तबाह किया जा सकता है। आज रात का हमला सबसे कठिन और शायद सबसे घातक था।”

ट्रंप ने कहा कि इन हमलों का मकसद ईरान की “न्यूक्लियर एनरिचमेंट कैपेसिटी” को खत्म करना और “दुनिया के सबसे बड़े आतंक समर्थक देश” से परमाणु खतरे को समाप्त करना था।

ट्रंप ने साथ ही इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का धन्यवाद करते हुए कहा, “हमने एक टीम की तरह काम किया, शायद वैसी टीम दुनिया ने पहले कभी नहीं देखी। हम इस भयानक खतरे को खत्म करने के बहुत करीब पहुंच चुके हैं। इज़रायली सेना ने अद्भुत काम किया है।”

यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब 13 जून को इज़रायल ने ईरान पर अचानक हमला किया था, जिसे उसने ईरान को परमाणु हथियार प्राप्त करने से रोकने की पूर्व-चेतावनी कार्रवाई बताया था। ईरान लगातार इन आरोपों से इनकार करता आया है।

ईरानी सरकारी मीडिया ने पुष्टि की है कि फोर्डो परमाणु सुविधा पर हमला हुआ है, हालांकि नुकसान की पूरी जानकारी अभी नहीं दी गई है।

गौरतलब है कि अमेरिका ने 2018 में 2015 के परमाणु समझौते से खुद को अलग कर लिया था और इसके बाद से कूटनीतिक प्रयासों के बावजूद कोई नया समझौता नहीं हो पाया। अब ट्रंप ने इज़रायल के सैन्य अभियान को पूरा समर्थन दे दिया है, जिससे क्षेत्र में तनाव और अधिक बढ़ गया है, जो पहले से ही गाज़ा युद्ध के चलते काफी अस्थिर है।

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