अनिल अग्रवाल फाउंडेशन ने महामारी के चलते बच्चों की पढ़ाई नहीं रुके इसका पूरा ध्यान रखा

Anil Agarwal Foundation took full care that the education of the children did not stop due to the epidemic.चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली:

  • वेदांता की जन कल्याण शाखा अनिल अग्रवाल फाउंडेशन ने महामारी के दौर में 4 लाख से अधिक बच्चों की शिक्षा में प्रत्यक्ष योगदान दिया
  • फाउंडेशन की अग्रणी सामाजिक पहल नंदघर ने 7 करोड़ बच्चों को दिया बेहतर जीवन

बाल दिवस के अवसर पर वेदांता समूह के अध्यक्ष श्री अनिल अग्रवाल ने शिक्षा के महत्व और बच्चों के समग्र विकास पर जोर दिया। महामारी के चलते पूरे देश के करोड़ों बच्चों की पढ़ाई थम गई इसके मद्देनजर वेदांता ने बहुत कम समय में पढ़ाई की वैकल्कि व्यवस्था कर यह सुनिश्चित किया कि किसी बच्चे की पढ़ाई का नुकसान नहीं हो। वेदांता ने पिछले कुछ वर्षों में भारत में कई प्रभावी सामाजिक विकास कार्यक्रम शुरू किए हैं और आज देश के सबसे अधिक सामाजिक रूप से जिम्मेदार कॉर्पोरेटों में वेदांता का बड़ा नाम है। .

जहां तक बच्चों की आरंभिक देखभाल की बात है अनिल अग्रवाल फाउंडेशन ने अपनी अग्रणी सामाजिक पहल प्रोजेक्ट नंदघर के तहत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से ई-लर्निंग सामग्री प्रदान कर रहा है जो व्हाट्सएप और आईवीआरएस के माध्यम से उपलब्ध है। साथ ही, लाभार्थियों को घर ले जाने के लिए सूखा राशन भी दिया जा रहा है। महामारी के दौर में उनके लिए टेलीमेडिसिन हेल्पलाइन की व्यवस्था की गई है। आज भारत के 12 राज्यों में 2700 से अधिक नंदघर हैं जो एक लाख से अधिक बच्चों को सुविधाएं पहंुचा रहे हैं।

श्री अनिल अग्रवाल ने इस अवसर पर कहा, ‘‘बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए अच्छी शिक्षा और पौष्टिक आहार आवश्यक है। आइये, बाल दिवस पर हम इस दिशा में सरकार केे प्रयासों में सहयोग देने का संकल्प लें। हमारी पहल नंदघर का एक लाख से अधिक बच्चों को लाभ मिल रहा है और इस तरह पूरे भारत के आंगनवाड़ी नेटवर्क की पुनर्कल्पना की जा रही है।‘‘

वेदांता ने महामारी के दौरान प्रोजेक्ट ई-कक्षा के माध्यम से राजस्थान सरकार के साथ सहयोग करार कर हिंदी माध्यम के स्कूलों के लिए ई-कंटेंट का विकास किया, डिजिटल प्लेटफॉर्म और ऑफलाइन डेस्कटॉप एप्लिकेशन के माध्यम से निःशुल्क और उच्च गुणवत्ता शिक्षा सुनिश्चित कर सरकारी स्कूलों के 2.68 लाख विद्यार्थियों की शिक्षा जारी रखने में मदद की। वेदांता ने न केवल सामग्री तैयार की बल्कि उपलब्ध भी कराई। विषम परिस्थिति में पढ़ाई की कमी दूर करने के लिए वेदांता के कर्मचारियों ने अपने प्रोजेक्ट कनेक्ट के तहत बच्चों को मुफ्त शिक्षा देना आरंभ कर दिया। उन्होंने खास कर अंकगणित और भाषा ज्ञान विकसित करने पर विशेष ध्यान दिया।

जहां तक दिव्यांग बच्चों की बात है वेदांत ने यह सुनिश्चित किया कि उनकी शैक्षिक कतई न रुके। इस मकसद से प्रोजेक्ट जीवन तरंग के माध्यम से सुनने और देखने से लाचार बच्चों के लिए भारतीय सांकेतिक भाषा पर वर्चुअल सेशन आयोजित किए गए।

वेदांता वर्षों से भारत में कई प्रभावी सीएसआर कार्यक्रमों का संचालन कर रही है और देश के सबसे अधिक सामाजिक रूप से जिम्मेदार कॉरपोरेटों में वेदांता का बड़ा नाम है। पिछले वित्तीय वर्ष में विभिन्न सीएसआर गतिविधियों पर कम्पनी ने 331 करोड़ रुपये खर्च किए। इसमें महामारी राहत कार्य, बाल कल्याण और शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य सेवा, स्थायी कृषि और पशु कल्याण, युवाओं के रोजगार कौशल विकास, पर्यावरण संरक्षण और पुनर्निर्माण, समुदाय में बुनियादी सुवधिाओं के विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया।

वेदांता ने विभिन्न अभियानों के तहत कोविड-19 महामारी से लड़ने में बड़ी मदद की। कोविड-19 के खिलाफ जंग में 201 करोड़ रुपये देने की प्रतिबद्धता की। इसमें पीएम-केयर फंड मंे 101 करोड़ रुपये का योगदान और इसके अतिरिक्त 100 करोड़ रुपये सहायक समुदायों, दिहाड़ी मजदूरों, सुरक्षा स्वास्थ्य सेवा और संविदा पर कार्यरत साझेदारों या व्यावसायिक भागीदारों के कल्याण के लिए प्रदान किए। वेदांता के कोविड राहत कार्य से लगभग 15 लाख लोग लाभान्वित हुए हैं।

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