भविष्‍य के कार्यों के लिए महत्‍वपूर्ण है आर्टिफि‍शियल इंटेलीजेंस, रिसर्च में हुआ खुलासा

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: आज all.ai 2020 Virtual Summit के समापन दिवस पर, इंटेल इंडिया और इंडियन स्‍कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) ने ‘भारतीय श्रम बाजार पर आर्टिफि‍शियल इंटेलीजेंस (एआई) का प्रभाव’ नामक एक रिपोर्ट को पेश किया। इंटेल इंडिया द्वारा वित्‍तपोषित और आईएसबी के श्रीनी राजू सेंटर फॉर इंफोर्मेशन टेक्‍नोलॉजी एंड दि नेटवर्क्‍ड इकोनॉमी (एसआरआईटीएनई) द्वारा किए गए इस अध्‍ययन में उद्योगों पर एआई के प्रभाव के आकार और दायरे का आंकलन किया गया, जिसमें रोजगार की संख्‍या और प्रकृति में बदलाव एवं मानव पूंजी विकास भी शामिल है। अध्‍ययन के परिणाम दो सर्वेक्षणों पर आधारित हैं।

पहला सर्वेक्षण मशीन लर्निंग उपयुक्‍तता (एसएमएल) सर्वेक्षण था, जिसे प्रत्‍येक व्‍यवसाय में मशीन लर्निंग की उपयुक्‍तता का पता लगाने के लिए 106 भारतीय कारोबारों के 3099 कर्मचारियों के बीच किया गया। दूसरा सर्वेक्षण एआई और फ्यूचर ऑफ वर्क सर्वेक्षण था, जिसे भारत की विभिन्‍न सेक्‍टर की ऐसी 301 कंपनियों के बीच किया गया, जिन्‍होंने अपने कार्य प्रवाह में एआई/मशीन लर्निंग (एमएल) को अपनाया है।

अध्‍ययन पर बोलते हुए, निवरुति राय, कंट्री हेड, इंटेल इंडिया और वाइस प्रेसिडेंट, डाटा प्‍लेटफॉर्म्‍स ग्रुप, इंटेल कॉरपोरेशन ने कहा, “आर्टिफि‍शियल इंटेलीजेंस हमारे समय की सबसे महत्‍वपूर्ण जनरल-पर्पज टेक्‍नोलॉजीज में से एक है। एआई और फ्यूचर ऑफ वर्क सर्वे में 90 प्रतिशत से अधिक प्रतिभागियों ने संकेत दिया है कि एआई उनके कारोबार के लिए आवश्‍यक या अत्‍यधिक प्रांसगिक है। 80 प्रतिशत से अधिक लोगों ने कहा कि उनका कार्यबल अगले दो सालों में एआई को लागू करने के कारण उनका कार्यबल एक महत्‍वपूर्ण पुर्न-कौशल प्रक्रिया से गुजरेगा। भारत जैसी उभरती अर्थव्‍यवस्‍था के संदर्भ में, इन्‍नोवेशन को प्रोत्‍साहित करने और एआई के लाभ को बढ़ाने के लिए कार्य में एआई के एकीकरण और उसके प्रभाव को बेहतर ढंग से समझने की जरूरत है। इंटेल इंडिया और आईएसबी द्वारा किए गए इस अध्‍ययन से एआई और मशीन लर्निंग के प्रभाव के बारे में नीति निर्माताओं एवं उद्योगों को अर्थपूर्ण जानकारी के लिए भविष्‍य में किए जाने वाले अनुसंधानों में काफी मदद मिलेगी।”

एआई और फ्यूचर ऑफ वर्क सर्वेक्षण की एक महत्‍वपूर्ण खोज यह है कि जिन कंपनियों के पास मशीन लर्निंग के लिए उच्‍च उपयुक्‍तता के साथ वाले प्रोजेक्‍ट्स हैं, उन्‍हें बड़े आकार और मात्रा का निवेश हासिल होने की संभावना है। इन प्रोजेक्‍ट्स में अगले पांच सालों के दौरान निवेश में उच्‍च वृद्धि होने की भी उम्‍मीद है। सर्वेक्षण में अगले दो सालों के दौरान कार्यबल नियुक्ति और पुर्न-प्रशिक्षण में वृद्धि आने का भी संकेत मिला है। all.ai समिट के चौथे दिन एआई इंडेक्‍स का भी अनावरण किया गया। यह इंडेक्‍स भारत में एआई के लिए तैयारी और अपनाने के तरीकों का पता लगाने के लिए अपनी तरह के पहले बैरोमीटर की तरह काम करेगा।

दीपा मणि, प्रोफेसर ऑफ इंफोर्मेशन सिस्‍टम्‍स और एग्‍जीक्‍यूटिव डायरेक्‍टर, एसआरआईटीएनई, आईएसबी ने कहा, “हाल के वर्षों में तकनीकी विकास ने कार्यस्‍थलों पर मशीनों के उपयोग की शुरुआत की है और कार्य के नए प्रारूपों में उत्‍पादकता में महत्‍वपूर्ण वृद्धि की है। महामारी ने इस विकास को गति दी है, जिससे काम को व्‍यवस्थित और व्‍यापक रूप मिला है। इसलिए, नीति निर्माताओं और संगठनों के लिए यह महत्‍वपूर्ण है कि वे भविष्‍य के काम के लिए एक गहन समझ विकसित करें, क्‍योंकि वह काम और कर्मचारियों के लिए नीतियां बनाते हैं।”

रिपोर्ट क्‍या कहती है: दो सर्वेक्षणों से प्राप्‍त परिणामों का उपयोग करते हुए, एसआरआईटीएनई के अनुसंधानकर्ताओं ने  निम्‍नलिखित चार अध्‍ययन किए:

  1. मशीन लर्निंग उपयुक्‍तता (एसएमएल) और इसके परिणामस्‍वरूप 106 भारतीय व्‍यवसायों की संवेदनशीलता, जैसा नेशनल क्‍लासीफि‍केशन ऑफ ऑक्‍यूपेशन (एनसीओ 2004) में परिभाषित है, का पता लगाने के लिए पूरे भारत में विविध व्‍यवसायों में कार्यरत 3099 कर्मचारियों के बीच एक सर्वेक्षण किया गया।
  • कार्य मूल्‍याकंन खंड में एसएमएल से संबंधित 23 प्रश्‍न पूछे गए थे। पेंटर्स, कानूनी पेशेवर, व्‍यक्तिगत देखभाल, उत्‍कृष्‍ट श्रमिक जैसे व्‍यवसायों ने अधिक एसएमएल स्‍कोर प्राप्‍त किया, जबकि खनन, निर्माण, प्रिंटिंग, मेटल मॉल्डिंग, बढ़ई और अन्‍य व्‍यवसायों ने एसएमएल इंडेक्‍स में कम स्‍कोर हासिल किया। एसएमएल इंडेक्‍स पर अधिक स्‍कोर हासिल करने वाले सेक्‍टर्स और व्‍यवसाय मशीन लर्निंग के लिए अधिक उपयुक्‍त हैं, और ऐसे सेक्‍टर्स की कंपनियां बिजनेस मॉडल, प्रक्रिया और रोजगार की प्रकृति को पुन:परिभाषित कर एमएल के लाभों को पूरी तरह से महसूस करने की अधि‍क क्षमता रखती हैं।
  • अध्‍ययन ने एसआरआईटीएनई अनुसंधानकर्ताओं को रिमोट वर्क और कार्य निष्‍पादन के दौरान मानवीय निकटता के लिए उत्‍तरदायित्‍व के परिप्रेक्ष्‍य में व्‍यवसायों का आंकलन करने में सक्षम बनाया।
  • इस सर्वेक्षण के विश्‍लेषण का उपयोग एसएमएल, मानवीय निकटता की आवश्‍यकता (एनएचपी) और रिमोट वर्क के लिए ऑक्‍यूपेशनल सूचकांक का निर्माण करने में किया गया।
  1. मशीन और मानव के बीच बातचीत, भविष्‍य के लिए रोजगार का नया स्‍वरूप और व्‍यवसायों एवं व्‍यावसायिक प्रक्रियाओं का पुनर्निमाण पर सटीक टिप्‍पणी करने के लिए एसआरआईटीएनई के शोधकर्ताओं ने एआई और फ्यूचर ऑफ वर्क सर्वेक्षण किया। भारत में अपने कार्य प्रवाह में एआई/एमएल का उपयोग करने वाली 301 कंपनियों के साथ 3 माह तक किए गए इस सर्वेक्षण में एआई/एमएल पहल से संबंधित जानकारी, इसके प्रभावों को अंतनिर्हित करने वाले संगठनात्‍मक तंत्र सहित इन्‍नोवेशन, उत्‍पादकता एवं श्रमिक व्‍यवहार पर इसके व्‍यापक प्रभाव से संबंधित जानकारी हासिल की गई। कुछ प्रमुख परिणामों में शामिल हैं:
  • 90 प्रतिशत से अधिक प्रतिभागियों ने माना कि एआई उनके व्‍यवसाय के लिए आवश्‍यक या अत्‍यधिक प्रासंगिक है।
  • 70 प्रतिशत से अधिक उत्‍तरदाताओं ने एआई के उपयोग के साथ क्षमता अधिग्रहण में बदलाव देखा। इन बदलाव में कार्य निष्‍पादन में मौलिक रूप से नई अवधारणाओं या सिद्धांतों को शामिल करना, नए कौशल जो कंपनी के पास पहले नहीं थे, पूरी तरह से नए या अलग ज्ञान से सीखना, विभिन्‍न तरीकों और प्रक्रियाओं को अपनाना या उच्‍च स्‍तर का पुर्नप्रशिक्षण शामिल हो सकता है।
  • विभिन्‍न कंपनी श्रेणियों में 70 प्रतिशत से अधिक उत्‍तरदाताओं ने माना कि अगले दो सालों में एआई के लिए उनके संगठन में कर्मचारियों की संख्‍या में वृद्धि होगी।
  • 70 प्रतिशत प्रतिभागियों ने एआई को अपनाने का समर्थन करने के लिए सभी कंपनी-स्‍तर पहलों में वृद्धि होने का संकेत दिया है।
  • 80 प्रतिशत लोगों ने कहा कि अगले दो सालों में एआई के लागू होने के कारण उनके कर्मचारियों को महत्‍वपूर्ण पुर्न-प्रशिक्षण प्रक्रिया से गुजरना होगा।
  • निर्णय लेने के लिए मानव-मशीन बातचीत की प्रकृति का मूल्‍यांकन करने के लिए, सर्वेक्षण में निम्‍नलिखित परिदृश्‍यों पर विचार किया गया: ऑटोमेशन की कमी, डिसीजन सपोर्ट (सिस्‍टम सजेस्‍ट: मानव द्वारा निर्णय और कार्य संपादन), कंसेंसुअल एआई (सिस्‍टम के साथ मानव कंसर्न), मॉनिटर्ड एआई (मानव के पास पावर) और फुल ऑटोमेशन (मानव की भूमिका नहीं)।
  • o  लगभग 70 प्रतिशत उच्‍च-राजस्‍व वाली कंपनियां निर्णय लेने के लिए कंसेंसुअल एआई, मॉनिटर्ड एआई और डिसीजन-सपोर्ट मेकैनिज्‍म पर निर्भर हैं।
  •   मध्‍यम आकार की कंपनियों में, लगभग 50 प्रतिशत कंपनियां पूरी तरह से मानव निर्णय पर निर्भर हैं क्‍यों‍कि वे एआई का उपयोग नहीं करती हैं।
  • 40 प्रतिशत से अधिक लघु एवं सूक्ष्‍म राजस्‍व वाली कंपनियां निर्णय समर्थन के लिए एआई का उपयोग कर रही हैं।
  • सर्वेक्षण में 80 प्रतिशत से अधिक उत्‍तरदाताओं ने कहा कि एआई को लागू करने से या तो संगठन या संगठन में एक से अधिक विभागों को फायदा हुआ है।
  • सर्वेक्षण में पाया गया कि लघु, सूक्ष्‍म, मध्‍यम और उच्‍च राजस्‍व कंपनियों में से 80 प्रतिशत के पास विशिष्‍ट एआई टीम है। कुल कंपनियों में से लगभग 40 प्रतिशत ने बताया कि एआई पहल पर सुझाव देने के लिए एक नामित प्रोग्राम मैनेजर को जिम्‍मेदारी सौंपी गई है।
  1. आर्थिक गतिविधि (ऑनलाइन) के लिए एआई और एमएल के निहितार्थ को समझने के लिए एसएमएल इंडेक्‍स का उपयोग किया गया। शोधकर्ताओं ने निफ्टी 500 कंपनियों के ट्विटर पोस्‍ट का उपयोग आर्थिक गतिविधियों के लिए प्रॉक्‍सी के रूप में किया। उन्‍होंने कंपनी-स्‍तर के ट्वीट के साथ सेक्‍टोरल स्‍कोर के साथ जोड़ा और महामारी के कारण इस साल की शुरुआत में लगाए गए राष्‍ट्रव्‍यापी लॉकडाउन के प्रभाव का विश्‍लेषण किया।
  • अध्‍ययन डिजिटल निर्भरता पर मौजूदा अनुसंधान की पुष्टि करता है, जिसमें कहा गया है कि डिजिटल प्‍लेटफॉर्म्‍स उपभोक्‍ताओं के लिए निरंतर पहुंच उपलब्‍ध कराने के माध्‍यम से संकट के दौरान कंपनियों के बाजार में बने रहने की संभावना को बढ़ा सकते हैं।
  • डिजिटल ऑपरेशन वाले सेक्‍टर्स और व्‍यवसाय कोविड-19 महामारी के प्रभाव से निपटने में सक्षम होंगे, जब इनकी तुलना कम या न के बराबर डिजिटल ऑपरेशन वाले समकक्षों से की जाती है तब डिजिटल निर्भरता का महत्‍व काफी बढ़ जाता है।
  1. अंत में, एसआरआईटीएनई शोधकर्ताओं ने कोविड-19 के कारण भारत में राष्‍ट्रव्‍यापी लॉकडाउन से पहले 106 प्रकार के रोजगारों के लिए एनएचपी स्‍कोर वाले बहु-स्रोत डाटासेट का उपयोग किया और डॉकडाउन के दौरान घर से काम करने वाले कर्मचारियों का अनुभव जानने के लिए एक सर्वेक्षण किया।
  • विश्‍लेषण से पता चला कि अधिक एनएचपी के साथ काम करने वाले कर्मचारी निम्‍न एनएचपी के साथ काम करने वाले कर्मचारियों की तुलना में कम उत्‍पादक हैं और अधिक अलगाव का अनुभव करते हैं।
  • अनुसंधान में रिमोर्ट वर्क के परिणामस्‍वरूप उत्‍पन्‍न संचार और समन्‍वय चुनौतियों को कम करने के लिए कार्यस्‍थल की प्रक्रियाओं और संरचनाओं को बेहतर एंग से डिजाइन करने के लिए संगठनों की आवश्‍यकता पर प्रकाश डालता है, जो उच्‍च एनएचपी रोजगार में कर्मचारियों के लिए सबसे अधिक प्रतिकूल कार्य परिणाम पर असर डालता है।

इन परिणामों ने आईएसबी की रिसर्च टीम को एक एआई इंडेक्‍स, जो सूचना का बहु-आयामी भंडार है, विकसित करने के लिए प्रेरित किया है। यह इंडेक्‍स भारत में एआई की स्थिति के लिए एक गहरी समझ विकसित करने के लिए शोधकर्ताओं, नीति-निर्माताओं, कार्यकारियों और आम जनता के लिए एक व्‍यापक जानकारी उपलब्‍ध कराएगा।

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