बीसीजी वैक्‍सीन से थमेगी कोरोना की रफ्तार, शोध में किया गया दावा

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: भारत में कोरोना ने ऐसी रफ़्तार पकड़ी है कि अब हर दिन 50 हज़ार से ज्यादा मरीज सामने आने लगे हैं। आज दिन भर में 54 हज़ार से ज्यादा मामला सामने आया है। देश में अब कोरोना संक्रमण के मामले 17 लाख से ज्यादा हो गया है। नित नए उपायों के वावजूद भी इसकी रफ़्तार थमने का नाम नहीं ले रही है।

कई सारे रिसर्च किये जा रहे हैं कोरोना को लेकर लेकिन अभी तक कोई ठोस उपाय नज़र नहीं आया है। अब दावा किया जा रहा है कि टीबी के लिए इस्‍तेमाल होने वाली बीसीजी वैक्‍सीन कोरोना वायरस के खिलाफ भी असरकारक साबित हो रही है। एक अमेरिकी रिसर्च पेपर में दावा किया गया है कि बीसीजी के टीके से 30 दिन वायरस के प्रसार को कम किया जा सकता है।

अमेरिकन एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ साइंस ने दावा किया है कि जिन देशों में बीसीजी का टीका अनिवार्य है, वहां कोरोना के पहले 30 दिनों में संक्रमण के मामले और मौतों की संख्या कम दर्ज किये गये हैं। रिसर्च में यह भी दावा किया जा रहा है कि अगर अमेरिका ने बीसीजी वैक्‍सीन को अनिवार्य कर दिया होता तो वहां 29 मार्च तक कोरोना से 500 से भी कम लोगों की मौत होती।

बता दें कि भारत में टीबी से बचाने के लिए सभी नवजात शिशुओं को राष्ट्रीय बाल टीकाकरण कार्यक्रम के तहत बीसीजी का टीका दिया जाता है। बीसीजी के प्रभाव को परखने के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया तीसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण कर रहा है। हालांकि अभी तक उसने पहले और दूसरे चरण का नतीजा नहीं बताया है, लेकिन बताया जा रहा है कि कोरोना वायरस से सबसे अधिक खतरे का सामना कर रहे अधिक उम्र के लोगों, अन्य जटिल बीमारियों से जूझ रहे मरीजों और चिकित्सा कर्मियों में संक्रमण और उसके दुष्प्रभाव को कम करने में बीसीजी टीका वीपीएम1002 के प्रभाव का परिक्षण जोर शोर से चल रहा है।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) इस बारे में अध्ययन करेगा कि तपेदिक के खिलाफ उपयोग किया जाने वाला बीसीजी टीका क्या कोरोना वायरस संक्रमण होने को रोक सकता है। आईसीएमआर के चेन्नई स्थित राष्ट्रीय यक्ष्मा अनुसंधान संस्थान (एनआईआरटी) द्वारा तमिलनाडु सरकार को 15 जुलाई को परीक्षण की मंजूरी दी जा चुकी है। इसके तहत बीसीजी टीके की बुजुर्गों पर कारगरता का अध्ययन किया जाएगा।

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