बच्चों के स्वास्थ्य सुधार की दिशा में बड़ा कदम, सीएससी एकेडमी ने शुरू की कई परियोजनाएं
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: इंसान के जीवन में बचपन एक अहम पड़ाव होता है जब व्यक्ति के लिए स्वस्थ जीवन और समृद्ध भविष्य का आधार तय होता है। इसके बावजूद भारत में कुपोषण, सीमित स्वास्थ्य सेवाएं, साफ-सफाई की खराब स्थिति और दूसरी चुनौतियां बच्चों के लिए चिंता का सबब बन जाती हैं।
भारत की जनगणना के अनुसार, लगभग 57 लाख से अधिक लोगों को सुनने में समस्या आती है। इसके अलावा 19 लाख से अधिक लोग बोलने व बातचीत में दिक्कत महसूस करते हैं। विशेष चिंता का विषय है कि 0-6 वर्ष की आयु वर्ग में 20।42 लाख बच्चे किसी न किसी शारीरिक समस्या से पीड़ित हैं। जिनमें से 23 फीसदी श्रवण समस्या से पीड़ित हैं। यह एक चौंका देने वाला आंकड़ा है। गांवों में यह समस्या अधिक है। यहां श्रवण दोष से पीड़ित बच्चों की संख्या कहीं अधिक है। अगर बचपन में ही बच्चे की सुनने की समस्या का निदान हो जाए तो ऐसा देखा गया है कि आगे चलकर प्रत्येक 1000 नवजात शिशुओं में से केवल 1-2 को ही इस समस्या का सामना करना पड़ता है। बच्चों के लिए श्रवण दोष में शुरुआती उपचार अधिक महत्वपूर्ण होता है।
इन्हीं सब चुनौतियों से निपटने और बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए सीएससी एकेडमी ने सीएससी बाल स्वास्थ्य परियोजना शुरू की। यह पहल सीएससी एकेडमी द्वारा सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए शुरू की गई थी जिसमें बचपन के दौरान बच्चों के विकास को प्राथमिकता दी जाती है। परियोजना का लक्ष्य देश भर में सीएससी के नेटवर्क के माध्यम से 1 से 10 वर्ष की आयु के बच्चों को स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना है। परियोजना का उद्देश्य बाल विकास के बारे में जागरूकता बढ़ाना, बचपन में बच्चों की बीमारियों का शीघ्र पता लगाना है।
साल 2023 में शुरू हुई इस परियोजना में गरीब और वंचित वर्ग के 50,000 बच्चों को लाभ प्रदान करना था। परियोजना में देश के सभी राज्यों को शामिल किया गया। खुशी की बात यह है कि सीएससी ने इस लक्ष्य को पूरी तरह से हासिल कर लिया है।
कार्यक्रम के तहत नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच के अलावा, बचपन की बीमारियों का शीघ्र पता लगाने और बाल विकास को बढ़ावा देने के लिए माता-पिता/देखभाल करने वालों और समुदाय के लिए जागरूकता सत्र आयोजित किए गए। सैकड़ों निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए गए और जहां बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया।
संजय राकेश, एमडी और सीईओ-सीएससी एसपीवी ने कहा, “भारत ने नवजात मृत्यु दर को कम करने की दिशा में काफी प्रगति की है। आज भले ही भारत ने बाल मृत्यु दर में कमी लाने में महत्वपूर्ण प्रगति दिखाई है, लेकिन समय की जरूरत है कि सबसे अधिक हाशिए पर रहने वाले और गरीब लोगों तक पहुंचा जाए और विशेष रूप से बालिकाओं के स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाए।”
