बिहार विधानसभा चुनाव: महागठबंधन में टिकट बंटवारे को लेकर बगावत, आरजेडी कार्यकर्ताओं का पटना में हंगामा
चिरौरी न्यूज
पटना/मोतीहारी: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन (महागठबंधन) में टिकट बंटवारे को लेकर जबरदस्त आंतरिक कलह उभरकर सामने आ गई है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के भीतर खासकर असंतोष का माहौल है, जहां कई पुराने और समर्पित कार्यकर्ता टिकट नहीं मिलने से नाराज हैं। नाराजगी इस कदर बढ़ गई कि राजधानी पटना में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के 10 सर्कुलर रोड स्थित आवास के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया गया।
प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं ने पार्टी नेतृत्व, खासकर लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव पर गंभीर आरोप लगाए। कार्यकर्ताओं का कहना है कि टिकट बेचे जा रहे हैं और वफादारी की कोई कद्र नहीं की जा रही है। प्रदर्शन के दौरान ‘कुर्ता फाड़’ आंदोलन देखा गया, जिसमें गुस्साए कार्यकर्ताओं ने अपने कपड़े फाड़कर विरोध जताया। साथ ही, पार्टी के पोस्टरों को फाड़ा गया और तेजस्वी यादव के खिलाफ नारेबाजी की गई।
उषा देवी की बगावत ने पकड़ी रफ्तार
बोधगया से टिकट मांग रही वरिष्ठ आरजेडी नेता उषा देवी ने खुलकर पार्टी नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्हें टिकट न मिलने से आक्रोशित समर्थकों ने मोतीहारी और पटना में प्रदर्शन किया। उषा देवी ने आरोप लगाया कि पैसे लेकर टिकट बांटे जा रहे हैं और पुराने नेताओं को दरकिनार किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “हमने पार्टी के लिए 20 साल तक काम किया, लेकिन आज हमें ही दरकिनार किया जा रहा है।”
महागठबंधन की स्थिति: अंदरूनी कलह और अनिश्चित भविष्य
बिहार में महागठबंधन, जिसमें राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस, और लेफ्ट दल जैसे भाकपा (CPI), माकपा (CPI-M), और माले (CPIML) शामिल हैं, अभी तक सीट शेयरिंग पर एकमत नहीं हो सके हैं। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में गठबंधन की चुनावी रणनीति पर भी सवाल उठ रहे हैं। कई सीटों पर एक से अधिक दावेदार होने के कारण आंतरिक संघर्ष गहरा गया है।
सूत्रों के मुताबिक, महागठबंधन के कई घटक दलों को भी आरजेडी के रवैये पर आपत्ति है, और वे अलग चुनाव लड़ने पर विचार कर रहे हैं। कांग्रेस की तरफ से भी कुछ नेताओं ने संकेत दिए हैं कि अगर सम्मानजनक सीटें नहीं मिलीं तो वे गठबंधन से बाहर हो सकते हैं।
2025 का चुनाव: गठबंधन के लिए अग्निपरीक्षा
2020 के विधानसभा चुनावों में महागठबंधन एनडीए के मुकाबले बहुत कम अंतर से हार गया था। तब तेजस्वी यादव ने अकेले दम पर पार्टी को 75 सीटें दिलाई थीं। मगर इस बार अंदरूनी बिखराव और टिकट वितरण की राजनीति ने महागठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
यदि हालात जल्द नहीं संभाले गए, तो महागठबंधन के लिए 2025 का विधानसभा चुनाव लड़ना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। और इसका सीधा लाभ भाजपा और जेडीयू को मिल सकता है, जो पहले से ही तेजस्वी यादव को ‘अवसरवादी नेता’ करार दे रहे हैं।
भाजपा का तंज: महागठबंधन है भी या नहीं?
बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सम्राट चौधरी ने इस मुद्दे पर तंज कसते हुए कहा, “ये साफ नहीं है कि महागठबंधन बना भी है या नहीं। सबसे बड़ा सवाल यही है कि महागठबंधन अस्तित्व में है भी या नहीं।”
उन्होंने कहा कि जिस गठबंधन में पारदर्शिता नहीं हो, जहां कार्यकर्ताओं को अपमानित किया जाए, वहां स्थिरता की उम्मीद करना बेकार है।
महागठबंधन में जारी घमासान ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। जिस एकता और मजबूती के दम पर महागठबंधन भाजपा-जेडीयू गठबंधन को चुनौती देने उतरा था, वह अब खुद अंदर से कमजोर होता दिख रहा है। आने वाले दिनों में अगर आरजेडी नेतृत्व असंतुष्ट नेताओं और कार्यकर्ताओं को साध नहीं पाया, तो बिहार में विपक्ष की राजनीति एक बड़े संकट में घिर सकती है।
