बस के नीचे कुचली गई फिर मजदूरों की बेबस जान, आखिर कौन हैं जिम्मेदार?

शिवानी रजवारिया

नई दिल्ली: जब से मजदूरों का पलायन शुरू हुआ है तब से एक के बाद एक दर्दनाक हादसे देखने और सुनने में आ रहे हैं। तिल तिल मर रहे मजदूरों की जिंदगी का कोई मल ही नहीं है, तभी तो कभी बसों के नीचे कुचले जा रहे हैं, तो कभी ट्रेनों के नीचे। अभी कुछ दिन पहले ट्रेन से कट कर कई मजदूरों की जान चली गयी थी, अब फिर से एक ऐसी ही घटना उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के पास घटी है, जहाँ एक बस ने मजदूरों को कुचल दिया जिसमे समाचार लिखे जाने तक 6 मजदूरों की मौत हो गयी थी। घायलों को मुजफ्फरनगर अस्पताल रेफेर कर दिया गया है।

जानकारी के मुताबिक अपने घर को पैदल जा रहे मजदूरों को एक बस ने अपने नीचे कुचल दिया। हादसा 13 मई की रात को हुआ जब मजदूर अपने घर मुजफ्फरनगर की ओर जा रहे थे। इस हादसे में कुछ मजदूरों की जान चली गई और कुछ घायल हुए हैं। बस को चलाने वाला ड्राइवर मौके से फरार हो गया है क्योंकि इस वक्त पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं चल रहे हैं लिहाज़ा बस सवारी से लदी नहीं होगी।

एक रिपोर्ट के मुताबिक मुज़फ्फरनगर के कोतवाली पुलिस थाने के SHO अनिल कपर्वान कहते हैं, ‘हमें बुधवार रात 11 बजे जानकारी मिली कि नेशनल हाईवे-9 पर पैदल चल रहे कुछ लोगों का बस एक्सीडेंट हो गया है। घटनास्थल पर पहुंचने पर स्थानीय लोगों ने बताया कि हादसे का शिकार हुए लोग प्रवासी थे। सभी को अस्पताल ले जाया गया, जहां छह को मृत घोषित कर दिया गया और दो को इलाज के लिए मेरठ रेफर किया गया। ड्राइवर के खिलाफ लापरवाही का केस दर्ज होगा।’

पुलिस ने मृतकों की पहचान 51 बरस के हरेक सिंह, 22 साल के विकास, 18 साल के गुड्डू, 22 साल के वासुदेव, 28 साल के हरीश और 28 बरस के विरेंद्र के तौर पर की है। पुलिस ने कहा है कि अभी तक इस बात की जानकारी नहीं लग पाई है कि वह लोग कहां से निकले थे और उनका घर कहां था वह कहां जा रहे थे। अंदाजन जिस जगह यह हादसा हुआ है सब लोग मुजफ्फरनगर की ओर जा रहे थे तब भी शुरू हो गई है और उनके घरों का पता लगाया जा रहा है ताकि उनके परिजनों को इस हादसे की सूचना दी जा सके।

मजदूरों की हो रही मौतों का कारण क्या है। सरकार कहती है जो मजदूरों के लिए हर संभव सुविधाएं उपलब्ध करा रही है उन्हें खाना दे रही है रहने के लिए प्रवास दे रही है उनके लिए आर्थिक पैकेज ला रही है उन्हें हर तरीके की सुविधा मुहैया कराई जा रही है, तो सवाल ये उठता है जब सब कुछ मिल रहा है तो क्यों यह मजदूर अपनी जान के साथ खेल रहे हैं। सोचने की बात है जब सब कुछ मिल ही रहा है तो फिर क्यों?

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