“राष्ट्रहित को दलविरोधी कहना आत्ममंथन की ज़रूरत”: शशि थरूर का कांग्रेस में आलोचनाओं पर जवाब
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर केंद्र सरकार की तारीफ के बाद अपनी ही पार्टी के कुछ नेताओं की नाराज़गी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि जो कोई भी राष्ट्रहित में काम करने को दलविरोधी गतिविधि मानता है, उसे खुद पर सवाल उठाने की ज़रूरत है।
थरूर इन दिनों भारत सरकार द्वारा विदेशों में भेजी गई प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं, जो पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत का पक्ष बता रहा है।
समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में उन्होंने कहा, “जब कोई राष्ट्र की सेवा कर रहा हो, तो ऐसी बातों की ज़्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए।”
उन्होंने कहा, “मेरे मित्र सलमान खुर्शीद ने पूछा है – क्या देशभक्त होना इतना मुश्किल हो गया है? और मैं कहूंगा कि जो लोग राष्ट्रहित को दलविरोधी मानते हैं, उन्हें खुद से सवाल पूछना चाहिए, न कि हमसे।”
थरूर की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें निशाने पर लिया है। पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा और नेता उदित राज ने उनकी आलोचना करते हुए कहा कि थरूर ने अपने विदेश दौरे के दौरान यूपीए सरकार के समय की सर्जिकल स्ट्राइक का ज़िक्र नहीं किया।
कांग्रेस के भीतर आलोचना और सफाई
पार्टी ने 29 मई को एक बयान में कहा था कि थरूर पार्टी का हिस्सा हैं, लेकिन 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक को पहली बार की कार्रवाई बताकर उन्होंने गलती की है। पवन खेड़ा ने उनकी किताब के एक पन्ने का स्क्रीनशॉट भी साझा किया, जिसमें थरूर ने मोदी सरकार पर 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया था।
उदित राज ने तो उन्हें “भाजपा का सुपर प्रवक्ता” तक कह डाला।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए थरूर ने कहा, “हम इस वक्त एक मिशन पर हैं और हमारा ध्यान एक बड़े और ज़्यादा महत्वपूर्ण संदेश पर है। हम इस समय की गर्मागर्म बहस या टिप्पणियों की चिंता में नहीं पड़ना चाहते।”
जब उनसे पूछा गया कि क्या वे कांग्रेस में बने रहेंगे, तो थरूर ने दो टूक जवाब दिया, “मैं एक निर्वाचित सांसद हूं, और मेरे कार्यकाल के चार साल बाकी हैं। मुझे नहीं लगता कि इसमें किसी सवाल की गुंजाइश है।”
थरूर की ही तरह, मिशन पर विदेश में मौजूद सलमान खुर्शीद ने भी देश में उठ रहे राजनीतिक सवालों पर नाराज़गी जताई। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “जब कोई आतंकवाद के खिलाफ देश का संदेश लेकर दुनिया के सामने जाता है, तब यह देखना बेहद दुखद होता है कि देश में लोग राजनीतिक नफे-नुकसान की गणना कर रहे हैं। क्या देशभक्त होना वाकई इतना मुश्किल हो गया है?”
शशि थरूर की टिप्पणी ने कांग्रेस में विचारों के टकराव को उजागर कर दिया है। जहां कुछ नेता उन्हें राष्ट्रहित की आड़ में सरकार का पक्ष लेने वाला मान रहे हैं, वहीं थरूर का मानना है कि राष्ट्रसेवा दलगत राजनीति से ऊपर होती है। अब देखना होगा कि पार्टी नेतृत्व इस बहस को किस दिशा में ले जाता है।