क्या बिहार में बदलाव ला सकती है पुष्पम प्रिया चौधरी?

शिवानी शर्मा

पटना: बिहार, जहाँ लोगों के रग रग में राजनीति बसती है,  जहाँ अफसर से लेकर एक रिक्शावाला तक राजनीति में दिलचस्पी रखता है, उस बिहार को बेहतर बनाने का सपना लेकर आई हैं बिहार की बेटी ‘पुष्पम प्रिया चौधरी’. यह नाम बिहार की राजनीती में नया है. बिहार के मुख्यमंत्री पद के लिए खुद को एक उम्मीदवार बताने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी ने यह बात एक अख़बार में विज्ञापन के ज़रिए दी है.

कौन है पुष्पम प्रिया चौधरी?

पुष्पम प्रिया चौधरी मूल रूप से दरभंगा की रहने वाली है. पुष्पम एक ब्राहमण परिवार से आती हैं. पुष्पम के दादाजी उमाकांत चौधरी दरभंगा के मिलेट कॉलेज में हिंदी के प्रोफेसर थे जो हायाघाट विधानसभा सीट से दो बार चुनाव हार चुके थे. पुष्पम के पिता पूर्व जेडीयू नेता विनोद चौधरी हैं. इंग्लैंड के ‘द इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज विश्वविद्यालय’ से एमए इन डेवलपमेंट स्टडीज और ‘लंदन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स एंड पॉलीटिकल साइंस’ से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में एमए किया है। आपको बता दे, पुष्पम प्रिया ने भारत से एमबीए भी किया है.

क्या है पुष्पम प्रिया का पार्टी नाम और चिन्ह?

पुष्पम प्रिया चौधरी ने पार्टी का नाम ‘प्लुरल्स’ रखा है. यह नाम अभी तक के हर भारतीय पार्टियों के नाम से थोड़ा हट कर है. प्लुरल्स पार्टी का चुनाव चिन्ह एक सफ़ेद घोडा है जिसके सफ़ेद पंख लगे हुए हैं. प्लुरल्स का टैगलाइन है ‘जन गण सबका शासन’. इस पार्टी के सीईओ और वैश्विक प्रवक्ता आकाश मेहता हैं. इसके स्थापक सदस्य और राष्ट्रिय प्रवक्ता सरस्वती पद्मनाभम हैं. पुष्पम प्रिया चौधरी ने मुख्यमंत्री नितीश कुमार के घर नालंदा से अपने पार्टी के लिए सदस्यता अभियान को शुरु किया है.

पुष्पम प्रिया के इस कदम का उनके पिता स्वागत करते हैं. उनके पिता विनोद चौधरी का कहना है कि पुष्पम प्रिया चौधरी वयस्‍क और पढ़ी-लिखी है. यह उनका अपना फैसला है. अगर वह पार्टी के सुप्रीम लीडर को चैलेंज करती हैं तो जाहिर सी बात है कि पार्टी इस तरह के किसी भी कदम का समर्थन नहीं करेगी. तो वही पुष्पम के दोस्तों का कहना है कि वह बहुत ही सक्षम महिला हैं जो बिहार की कमी पर लोगों को शामिल करने की कोशिश कर रही हैं. उनका मानना है कि वास्तविक विकास, शासन और लोगों की भलाई के विचार-विमर्श को अप्रासंगिक और अनुत्पादक चर्चाओं की तुलना में केंद्र-मंच पर ले जाना चाहती हैं, इसलिए सकारात्मक राजनीति वह है, जिसके द्वारा प्लुरल्स की कसम खाते हैं.

पुष्पम प्रिया चौधरी ने अपने एक इश्तिहार से पूरे बिहार राज्य में हडकंप मचा कर रख दिया. अख़बारके पहले पन्ने पर खुद को मुख्यमंत्री का उमीदवार बताने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी क्या बिहार का चुनाव जीत पाएंगी यह तो वक़्त ही बतायेगा लेकिन पुष्पम प्रिया ने जिस तरह यहाँ के राजनितिक दलों को चुनौती दी है जिसका परिणाम आने वाले समय में क्या होगा, ये साड़ी बातें अभी भविष्य के गर्भ में है.

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