पर्व-त्यौहार घर पर मनाएं, सावधानी के संग खुशियां मनाएं

(File Photo)

डॉ धनंजय गिरि

आज तीज है। महिलाएं अपने संतान और पति की मंगलकामना के साथ यह व्रत करती हैं। कल से पूरे देश में गणेशोत्सव का आयोजन किया जाएगा। उसके बाद एक के बाद एक कई पर्व-त्यौहार हैं। करीब यह सिलसिला तीन-चार महीनों तक चलेगा। माना कि अभी कोरोना का कहर कम है, लेकिन अभी भी सावधानी लेने की जरूरत है।

कुछ दिनों से कोरोना संक्रमण का मामला फिर से बढ़ता जा रहा है। देश के अधिकतर राज्यों में बच्चों के लिए स्कूल, कॉलेज और कोचिंग भी खोल दिए गए हैं। त्यौहारों का मौसम शुरू हो गया है। ऐसे में सबकी चिंता है कि कोरोना को कैसे रोका जा सकता है। त्यौहार है, तो लोग मनाएंगे ही। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और देश के विशेषज्ञ लगातार कोविड वैक्सीन और मास्क पर सबसे अधिक जोर दे रहे हैं।
नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल लगातार मास्क को उपयोग में रहने के लिए कहते आ रहे हैं। उनका कहना है कि मास्क उतारने और मास्क के बिना जीने का समय अभी नहीं है। त्यौहारों को इस साल भी पहले की तरह धूमधाम और जोश के साथ नहीं मनाएं, ध्यान रखें और सतर्कता जारी रखें। कोरोना अभी गया नहीं है। कोरोना का टीका गर्भवती महिलाओं और बच्चों को पूरी सुरक्षा प्रदान करता है। हिचकिचाएँ नहीं, सभी अपनी बारी पर वैक्सीन का दूसरा डोज़ अवश्य लें।

आपको टीका लगाया गया है, इसका मतलब यह नहीं है कि आप लोगों से भरी हुई जगहों पर जा सकते हैं। यह समझना चाहिए कि विशेषज्ञों का सुझाव है कि जब तक अंतिम व्यक्ति को टीका नहीं लगा दिया जाता, तब तक कोरोना वायरस के प्रसार का जोखिम बना रहेगा। इस खतरे को कम करने के लिए किसी को तब तक घर के अंदर सावधान रहना चाहिए, जब तक कि आबादी के एक बड़े हिस्से को टीका नहीं लग जाता।  हमें मास्क पहनना और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना नहीं भूलना चाहिए। हमें लोगों से विशेषकर परिवार के सदस्यों से सावधान रहने के लिए कहना चाहिए। एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर हमें उन लोगों में जागरूकता फैलानी चाहिए, जिन्हें हम जानते हैं ताकि वे भी जिम्मेदार बन सकें।

मास्क से ढका चेहरा न सिर्फ कोरोना से आपकी सुरक्षा करता है बल्कि इससे दूसरों की संक्रमणसे रक्षा होती है। चेहरे पर मास्क की वजह से खांसने, छींकते या बात करते समय हवा में घुलने वाले कफ क्लाउड को रोकाजा सकता है। यह कफ क्लाउड्स या ड्राप लेट्स हवा में पांच से आठ सेकेंड तक अधिक सक्रिय रहते हैं।

विशेषज्ञोंके अनुसार साधारण व्यक्ति के मुंह से कफ या ड्रॉपलेट्स कफ क्लाउड के जरिए बाहर निकलता है, एसएआरसीओवीटू संक्रमित मरीज के कफ क्लाउड मेंउपस्थित वायरस मास्क न लगाने या सही तरीके से न लगाने पर आसानी से दूसरेव्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। सही तरीके से लगाए गए मास्क सेक्लाउड वॉल्यूम सात गुना तक घट जाता है। वहीं एन95 मास्क लगाने से संक्रमण का खतरा 23 गुना तक कम हो जाता है। इस बाबतजेट थिअरी के आधार पर विश्लेषण करबताया गया कि कफ के बाद के पहले 5 से 8 सेकेंड हवा में ड्रॉपलेटसंक्रमण फैलने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।

खांसते वक्त रुमाल काप्रयोग करना या फिर कोहनी में ही खांसने से कफ क्लाउड की दूरी घट जाती है।दूसरे शब्दों में कहें तो इस तरह के उपायों से संक्रमण के फैलने की संभावनासीमित हो जाती है। मास्क का प्रयोग करने के साथ ही निर्धारित दूरी का पालन कर कमरे में, सिनेमा हॉल में कार या एयरक्राफ्टके केबिन में हवासर्कुलेट करने की न्यूनतम दर बनाए रखने में भी सहायता मिलती है, और संक्रमण की की स्थिति कम को कमकिया जा सकता है।  कोविड अनुरूप व्यवहार की सभी प्रमुख जरूरी सावधानियों मेंमास्क के प्रयोग को इसलिए अधिक प्राथमिकता पर रखा गया है, इसके बाद निर्धारित दूरी और नियमित रूप से हाथों कोसाबुन से धोने औरसैनिटाइजर के प्रयोग से वायरस को प्राथमिक चरण पर ही खत्म किया जा सकता है।विशेषज्ञ कहते हैं वायरस के सतह पर बैठने और हाथ के जरिए अन्य वस्तुओं कोछूने से भी वायरस एक जगह से दूसरी जगह पहुंच जाता है, इसलिए सही समय पर सैनिटाइजर का प्रयोगसंक्रमण को बढ़ने नहीं देता है।

(लेखक सामाजिक कार्यकर्ता और बिहार प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता हैं।)

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