छत्तीसगढ़: सुकमा में 27 सक्रिय माओवादियों ने किया आत्मसमर्पण, नक्सलवाद के खिलाफ बड़ी सफलता

Chhattisgarh: 27 active Maoists surrender in Sukma, a major success against Naxalism.
(File photo/twitter)

चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले में बुधवार को 27 सक्रिय माओवादी आतंकियों ने सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, जिसे राज्य सरकार की वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण सफलता माना जा रहा है।
आत्मसमर्पण करने वालों में पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की कुख्यात बटालियन-01 के दो हार्डकोर नक्सली भी शामिल हैं। ये दोनों माओवादी पिछले कई वर्षों से सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर थे और उनके ऊपर भारी इनाम घोषित किया गया था। ये बस्तर क्षेत्र में हिंसक गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं।

कुल इनामी राशि ₹50 लाख

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले इन माओवादियों पर कुल मिलाकर ₹50 लाख का इनाम घोषित था। इसमें शामिल हैं:
• एक माओवादी पर ₹10 लाख
• तीन माओवादियों पर ₹8 लाख प्रत्येक
• एक पर ₹9 लाख
• दो पर ₹2 लाख प्रत्येक
• नौ माओवादियों पर ₹1 लाख का इनाम
आत्मसमर्पण करने वालों में 10 महिलाएं और 17 पुरुष माओवादी शामिल हैं।

सरकारी योजनाओं का असर

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ‘छत्तीसगढ़ नवसंकल्प आत्मसमर्पण नीति’ और ‘नियत नेल्ला नर योजना’ का असर अब दूरस्थ और अंदरूनी इलाकों में भी देखने को मिल रहा है। जिन माओवादियों पर कोई इनाम घोषित नहीं था, वे संगठन में लॉजिस्टिक सपोर्ट और स्थानीय स्तर पर जनसमर्थन जुटाने जैसे कामों में लगे हुए थे।
आत्मसमर्पण को संयुक्त सुरक्षा बलों की लगातार दबाव और सरकार की पुनर्वास योजनाओं के प्रभाव के रूप में देखा जा रहा है। अधिकारियों का मानना है कि यह कदम अन्य सक्रिय नक्सलियों के लिए एक मजबूत संदेश साबित हो सकता है और खासकर दक्षिणी छत्तीसगढ़ के संवेदनशील ज़िलों में एक नई आत्मसमर्पण लहर की शुरुआत कर सकता है।

मुख्यधारा में वापसी की पहल

अब इन सभी आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को राज्य की पुनर्वास नीति के तहत प्रक्रिया में लाया जाएगा, जिसके तहत उन्हें मुख्यधारा में लौटने, सुरक्षित जीवन बिताने, आर्थिक सहायता और व्यावसायिक प्रशिक्षण जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।

यह आत्मसमर्पण ऐसे समय हुआ है जब राज्य में आगामी त्योहारों और चुनावों को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक सख्त किया जा रहा है।

जिला प्रशासन ने इस घटनाक्रम को “चरमपंथ के खिलाफ निर्णायक मोड़” और “विनाश के बजाय संवाद की जीत” करार दिया है। अधिकारियों को उम्मीद है कि इस कदम से नक्सली नेटवर्क की ताकत कमजोर होगी और क्षेत्र में स्थायी शांति बहाल करने की दिशा में एक और ठोस कदम साबित होगा।

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