चिन्नास्वामी स्टेडियम भगदड़ मामला : RCB मैनेजमेंट, KSCA और DNA इवेंट फर्म के खिलाफ FIR दर्ज

Chinnaswamy Stadium stampede case: FIR lodged against RCB management, KSCA and DNA event firmचिरौरी न्यूज

बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर 4 जून को हुए दर्दनाक भगदड़ मामले में कर्नाटक पुलिस ने RCB मैनेजमेंट, KSCA प्रशासनिक समिति और DNA इवेंट मैनेजमेंट फर्म के खिलाफ गंभीर धाराओं में FIR दर्ज की है। इस भगदड़ में कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 64 से अधिक लोग घायल हुए थे।

कब और कैसे हुआ हादसा?

FIR के अनुसार, RCB द्वारा अपनी जीत के जश्न के लिए बिना आवश्यक अनुमति के कार्यक्रम आयोजित किया गया था। RCB ने अपनी वेबसाइट पर यह घोषणा की थी कि स्टेडियम के बाहर फ्री पास बांटे जाएंगे, जिससे लाखों की संख्या में लोग बिना योजना के एकत्र हो गए। सुरक्षा व्यवस्था के अभाव, और गलत जानकारी के चलते भारी अफरा-तफरी मची, जिससे गेट नंबर 2, 2A, 6, 7, 15, 17, 18, और 21 पर भगदड़ मच गई।

किस-किस पर लगे हैं आरोप?

FIR में RCB फ्रेंचाइज़ी, KSCA, और DNA इवेंट फर्म को मुख्य आरोपी बनाया गया है। इनके अलावा “अन्य अज्ञात व्यक्तियों” को भी आरोपी माना गया है, जिससे संकेत मिलता है कि आगे और नाम भी शामिल किए जा सकते हैं।

FIR में लगाई गई धाराएं:
  • धारा 105 – गैर-इरादतन हत्या
  • धारा 115(2), 118(1), 118(2) – जानबूझकर चोट पहुंचाना और घातक हथियारों का इस्तेमाल
  • धारा 190 – गैरकानूनी जमावड़ा
  • धारा 132 – सरकारी कर्मचारी को बाधा पहुंचाना
  • धारा 125(a), 125(b) – झूठा हलफनामा और लापरवाही से जीवन को खतरे में डालना
पुलिस का पक्ष

कब्बन पार्क थाने के निरीक्षक गिरीश ए. के. द्वारा दर्ज की गई शिकायत में कहा गया है कि अगर पुलिस ने समय पर कदम न उठाए होते, तो इससे भी बड़ी त्रासदी हो सकती थी। 3 जून की शाम को ही पुलिस ने आयोजकों को चेतावनी दी थी कि भीड़ को संभालना मुश्किल होगा, और कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी गई थी। इसके बावजूद, आयोजकों ने दबाव डालकर कार्यक्रम को आयोजित किया।

अदालत की सख्ती

घटना के बाद विपक्ष और सामाजिक कार्यकर्ताओं की आलोचना के चलते यह FIR 24 घंटे बाद दर्ज की गई। इससे पहले सिर्फ Unnatural Death Report (UDR) ही दर्ज की गई थी। अब हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए PIL दर्ज किया है, और कांग्रेस सरकार से रिपोर्ट तलब की है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश वी. कामेश्वर राव की पीठ ने सरकार से पूछा है कि क्या SOPs का पालन किया गया था या नहीं।

राजनीतिक मांगें भी तेज़

कर्नाटक बीजेपी ने इस घटना की उच्च न्यायालय के वर्तमान जज से न्यायिक जांच कराने की मांग की है। इस हादसे ने एक बार फिर से बड़े सार्वजनिक आयोजनों में प्रशासनिक लापरवाही और आयोजकों की गैर-जिम्मेदाराना हरकतों को उजागर कर दिया है। अब देखना होगा कि FIR और न्यायिक प्रक्रिया के आगे बढ़ने से पीड़ितों को न्याय मिलता है या नहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *