भारत-इंग्लैंड चौथे टेस्ट के ड्रॉ पर सोशल मीडिया में बहस तेज, गावस्कर ने इंग्लैंड की रणनीति पर उठाए सवाल
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: मैनचेस्टर में भारत और इंग्लैंड के बीच खेला गया चौथा टेस्ट ड्रॉ समाप्त होने के बाद क्रिकेट जगत में तीखी बहस छिड़ गई है। मैच के अंतिम चरण में जब भारत के रविंद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर अपने-अपने शतक की ओर बढ़ रहे थे, तब इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने भारत को ड्रॉ स्वीकार करने का विकल्प दिया। हालांकि मैच का नतीजा तय हो चुका था, लेकिन भारतीय टीम के सामने व्यक्तिगत और सामूहिक लक्ष्य थे, जिसे वे हासिल करना चाहते थे। अंततः जडेजा और सुंदर ने शतक पूरे किए, लेकिन स्टोक्स के इस व्यवहार ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ ला दी।
पूर्व भारतीय कप्तान और दिग्गज बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने इस मुकाबले में भारतीय टीम के जज्बे और संघर्ष की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि केवल चार विकेट गिरने के बावजूद टीम ने जिस तरह दबाव में बल्लेबाजी की, वह गर्व करने लायक है। गावस्कर ने इंग्लैंड की रणनीति पर भी सवाल उठाया कि आखिर उन्होंने 600 रन के पार पहुंचने के बाद भी अपनी पारी घोषित क्यों नहीं की। उन्होंने याद दिलाया कि जब भारत ने बर्मिंघम में इंग्लैंड को 600 से अधिक का लक्ष्य दिया था, तब इंग्लैंड के खिलाड़ियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि भारत डर गया है, इसलिए उन्होंने इतना बड़ा स्कोर दिया। लेकिन अब जब इंग्लैंड को वैसी ही स्थिति में मौका मिला, तो वे खुद 336 रन पीछे रह गए।
गावस्कर ने इस पर चुटकी लेते हुए कहा कि यह सब केवल दिखावा और बड़ी-बड़ी बातें थीं। उन्होंने भारत के कप्तान शुभमन गिल को भी सलाह देते हुए कहा कि वह मीडिया कॉन्फ्रेंस में बेन स्टोक्स से पूछें कि उन्होंने 240 या 250 रन की बढ़त से संतोष क्यों नहीं किया और 311 रन की बढ़त क्यों ली। साथ ही जब स्टोक्स ने शतक पूरा कर लिया था, तो उन्होंने पारी घोषित कर गेंदबाजों को अतिरिक्त समय क्यों नहीं दिया?
गावस्कर ने कहा कि “मुझे पता है शुभमन गिल यह सवाल नहीं पूछेंगे, वह बहुत विनम्र हैं। लेकिन अगर ‘एसजी’ (सुनील गावस्कर) होते, तो यह सवाल जरूर पूछा जाता, और मैं अभी पूछ रहा हूं।”
इस मैच की समाप्ति ने जहां भारतीय बल्लेबाजों के धैर्य और इच्छाशक्ति की तारीफें बटोरीं, वहीं इंग्लैंड की सोच और खेल भावना पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्रिकेट की दुनिया में इस मुकाबले को खेल की गरिमा और रणनीति के नजरिये से लंबे समय तक याद रखा जाएगा।