वित्त मंत्री ने अपने X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर लिखा, “2013-14 में जहां DBT का आंकड़ा ₹7,368 करोड़ था, वह 2024-25 में बढ़कर ₹6.83 लाख करोड़ हो गया है। यानी दस वर्षों में 90 गुना से भी अधिक की बढ़ोतरी हुई है। यह इस बात का प्रमाण है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हर रुपया सीधे नागरिकों तक पहुंच रहा है।”
डिजिटल भुगतान में भारत शीर्ष पर
सीतारमण ने आगे बताया कि 2024-25 में भारत में ₹260 लाख करोड़ से अधिक के रियल-टाइम ट्रांजैक्शन प्रोसेस किए गए हैं। साथ ही लगभग 18,600 करोड़ लेन-देन सालाना की मात्रा में संसाधित किए जा रहे हैं, जो भारत को इस क्षेत्र में वैश्विक लीडर बनाते हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में भारत की तकनीकी यात्रा क्रांतिकारी रही है।
“भारत अब डिजिटल नवाचार, टेक्नोलॉजी-आधारित शासन और वैश्विक विश्वास का केंद्र बन गया है। मैन्युफैक्चरिंग से लेकर स्पेस टेक्नोलॉजी, डिजिटल भुगतान से लेकर ग्रामीण कनेक्टिविटी तक, बदलाव साफ दिखाई दे रहा है — यह प्रभावशाली और दीर्घकालिक है।”
उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल डिवाइस और प्लेटफॉर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ‘विकसित भारत’ की दिशा में सुचारू शासन, नागरिक सशक्तिकरण और तकनीक-प्रथम दृष्टिकोण को दर्शाता है।
डिजिटल भुगतान, जनधन योजना और DBT जैसी योजनाओं के जरिए भारत एक टेक-फर्स्ट अर्थव्यवस्था की ओर तेजी से बढ़ रहा है। मोदी सरकार की यह रणनीति न केवल तकनीकी क्षेत्र को मजबूत कर रही है, बल्कि सीधे नागरिकों तक लाभ पहुंचाकर पारदर्शिता और विश्वास को भी नई ऊंचाई दे रही है।