स्वदेशी खेलों पर पहली दो दिवसीय ई-कॉन्फ्रेंस 21-22 सितंबर को

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: देश में स्वदेशी खेलों में जागरूकता एवं इनके प्रचार-प्रसार के लिए फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पेफी) द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तर की ई-कांफ्रेंस का आयोजन आगामी 21 व 22 सितंबर 2020 को ऑनलाइन किया जा रहा है, जिसका शीर्षक ‘अपने स्वदेशी खेलों को जाने और पहचाने’ रखा गया है। इस कॉन्फ्रेंस में देशभर के सभी राज्यों से स्वदेशी, परंपरागत क्षेत्रीय एवं वैदिक कालीन खेलों पर शोध पत्र एवं लेख आमंत्रित किए गए हैं। इस कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ. शरद कुमार शर्मा ने बताया कि इस कार्यक्रम के आयोजन का मुख्य उद्देश्य भारतीय संस्कृति में खेलों का महत्व एवं उनके माध्यम से न सिर्फ शारीरिक अपितु मानसिक, भावात्मक आदि सामाजिक गुणों को सफलतापूर्वक प्राप्त कर सर्वांगीण विकास को कैसे प्राप्त किया जाता था और उस समय में यह खेल इसको प्राप्त करने में क्या भूमिका निभाते थे, इससे सभी का परिचय कराना है।

पेफी के द्वारा देश की नई शिक्षा नीति का समर्थन करते हुए यह स्वीकार किया गया है कि विद्यार्थियों के शुरुआती शिक्षा/आयामों में स्वदेशी खेलों के माध्यम से बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास करना है, जिससे आगे चलकर यह बच्चे आधुनिक खेलों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दे सकें।

यह आयोजन अपने आप में अतिआवश्यक कहा जा सकता है क्योंकि देश में अभी तक इस ओर ध्यान न देने के कारण अधिकांश भारतीय परंपरागत स्वदेशी खेल विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। इस कॉन्फ्रेंस में प्राप्त होने वाले सभी चुने गए शोध पत्रों एवं लेखों को प्रस्तुत कर विस्तार से समझाया जाएगा और बाद में एक पुस्तक के माध्यम से जारी किया जाएगा, जोकि भविष्य में इनकी पहचान एवं प्रचार-प्रसार के लिए उत्तम प्रयास सिद्ध होगा। इस कार्यक्रम में विशिष्ट अथिति के रूप में एक प्रसिद्धि स्वदेशी खेल “मलखम्ब” के प्रथम द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित श्री योगेश मालवीय जी रहेंगे और मुख्य वक्ता के रूप में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्री श्रीनिवास जी विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे। हमनें खेल जगत, भारतीय संस्कृति एवं स्वदेशी खेलों में रूचि रखने वाले सभी लोगों से अधिक से अधिक संख्या में इस आयोजन का हिस्सा बनने का आह्वान किया है। इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण पेफी के यूट्यूब चैनल पर किया जएगा।

इस कार्यक्रम की आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. अनिल करवन्दे ने कहा कि इस आयोजन रूपी सकारात्मक प्रयास से भारतीय जनमानस अपने परंपरागत स्वदेशी खेलों को जान पाएंगे और इन खेलों के माध्यम से आधुनिक खेलों के प्रदर्शन में कैसे सुधार किया जा सकता है, यह भी समझ पाएंगे। हम आशा करते है कि आने वाले समय में सरकार एवं अन्य सम्बंधित संगठन/संस्थाओं द्वारा भी इस ओर अधिकाधिक प्रयास कर अपनी पारम्परिक विरासत एवं स्वदेशी विचार को पूर्ण सार्थकता प्रदान करेंगे।

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