सुप्रीम कोर्ट से संसद भवन तक न्यायधीशों का सफर– अब रंजन गोगोई बने सांसद
अंकित श्रीवास्तव
केन्द्र की मोदी सरकार ने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए सांसद मनोनीत किया है। रंजन गोगोई 12 वें मनोनीत राज्यसभा सांसद होंगे और वे सेवानिवृत्त सदस्य केटीएस तुलसी की जगह लेंगे।
आगे बढ़ने से पहले हम आपको बता दें कि रंजन गोगोई ने जब अक्टूबर 2018 में भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी, तभी उनकी पहली मुलाकात प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी से राष्ट्रपति भवन में हुई थी। यह भी दिलचस्प था कि प्रधानमंत्री और रंजन गोगोई की मुलाकात के बारे में पत्रकारों को आमंत्रित या सूचित नहीं किया गया था। अगले दिन समाचार पत्रों को किसी तरह हवा मिली और एक फोटो सामने आई जिसमें पीएम मोदी और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई एक कमरे में दो सोफा-कुर्सियों पर बैठे थे।
मुलाकात का ये वो समय था जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा राफेल सौदा मामले की सुनवाई की जा रही थी, तो गौरतलब है कि पीएम मोदी और जस्टिस गोगोई के बीच अभूतपूर्व मुलाकात पर विपक्षी दलों का संदेह होना स्वाभाविक था। और तीन हफ्ते से भी कम समय में सर्वोच्च न्यायालय ने 14 दिसंबर, 2018 को मोदी सरकार को राफेल सौदे के मामलों क्लीन चिट देकर जांच की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया।
रंजन गोगोई सीजेआई के रूप में अपने 13 महीने के लंबे कार्यकाल के दौरान असम के एनआरसी और अयोध्या में राम मंदिर विवाद सहित कुछ सबसे विवादास्पद मामलों में शामिल रहे, संयोगवश ये दोनों मामले भाजपा की राजनीति के अनुकूल थे।
गौरतलब है कि विपक्ष लोकसभा की तुलना में राज्यसभा में अधिक शक्तिशाली है। संवैधानिक रूप से अनुच्छेद 80 में केंद्र सरकार की सलाह पर 12 व्यक्तियों को राष्ट्रपति के द्वारा राज्यसभा में मनोनीत करने का प्रावधान है, जिसके अनुसार मोदी सरकार ने रंजन गोगोई को राज्यसभा का सांसद मनोनीत किया, ताकि राज्यसभा में सरकार को मजबूती मिल सके। अब सवाल ये उठता है कि राज्यसभा सांसद बनाए जाने के बाद क्या रंजन गोगोई औपचारिक तरीक़े से बीजेपी में शामिल होंगे।
आपको बता दें कि अब तक दो और चीफ जस्टिस ने कोर्ट से पार्लियामेंट तक का सफ़र किया है। उनमें पहला नाम जस्टिस बहराल इस्लाम का आता है, जिनका कार्यकाल 4 दिसंबर से 1980 से 12 जनवरी 1983 तक रहा।
जस्टिस इस्लाम इंदिरा गांधी की काँग्रेस सरकार में राज्यसभा सांसद मनोनीत किया गया था। जस्टिस इस्लाम ने कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन उसी समय असम के चुनावों को 1984 के आम चुनाव के लिए स्थगित कर दिया गया था। फिर कांग्रेस की इंदिरा गांधी सरकार ने 1983 में जस्टिस इस्लाम को राज्यसभा का सांसद मनोनीत कर दिया।
इसी कड़ी में दूसरा नाम जस्टिस रंगनाथ मिश्रा का आता है, जो सुप्रीम कोर्ट से चीफ़ जस्टिस के पद से 1991 में सेवानिवृत्त हुए थे, और बाद में कांग्रेस की सरकार उन्हें राज्यसभा में भेजा था।
इसके उपरान्त अब बीजेपी की केंद्र सरकार ने जस्टिस रंजन गोगोई को अब राज्यसभा भेजा है अब देखना दिलचस्प होगा कि रंजन गोगोई औपचारिक तौर पर बीजेपी में शामिल होते हैं या नहीं।
इसके अलावा, न्यायमूर्ति एम हिदायतुल्ला जो भारत के पहले मुस्लिम मुख्य न्यायाधीश थे। ये मध्यप्रदेश के प्रथम न्यायधीश भी रहे तथा उन्होंने दो अवसरों पर भारत के कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में भी कार्यभार संभाला था। इसके साथ ही वो एक पूरे कार्यकाल के लिए भारत के छठे उपराष्ट्रपति भी रहे।