गगनयान मिशन आत्मनिर्भर भारत का नया अध्याय: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को राजधानी स्थित एयर फोर्स ऑडिटोरियम में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि गगनयान मिशन केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत का एक नया अध्याय है, जहां भारत विश्व की अग्रणी अंतरिक्ष शक्तियों की कतार में गर्व से खड़ा है। इस अवसर पर गगनयात्री समूह कैप्टन शुभांशु शुक्ला सहित सभी अंतरिक्ष यात्रियों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और वायुसेना प्रमुख ए.पी. सिंह भी उपस्थित थे।
राजनाथ सिंह ने बताया कि समूह कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अपने अंतरिक्ष मिशन के दौरान मेथी और मूंग की खेती को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। उन्होंने कहा, “जब आप अंतरिक्ष में गए, तब भी आपके भीतर का किसान आपके साथ था। भारत एक कृषि प्रधान देश रहा है, लेकिन किसी ने कल्पना नहीं की थी कि एक दिन कोई भारतीय किसान अंतरिक्ष में भी खेती करेगा। आपकी यह उपलब्धि हमारे भविष्य के मिशनों के लिए बेहद मूल्यवान साबित होगी।”
रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि शुभांशु की यह यात्रा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगी और यह दर्शाती है कि यदि मन में विश्वास और कर्म में ताकत हो, तो आकाश भी सीमा नहीं बनता। उन्होंने कहा कि भले ही शुभांशु वायुसेना की वर्दी पहनते हैं, लेकिन जब वे अंतरिक्ष में गए, तब वे न केवल भारत या सशस्त्र बलों के प्रतिनिधि थे, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के प्रतिनिधि बन गए। उनका यह योगदान इतिहास में दर्ज होगा।
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत अब उस युग में प्रवेश कर चुका है, जहां अंतरिक्ष केवल सैन्य शक्ति या तकनीकी प्रगति का प्रतीक नहीं, बल्कि मानव सभ्यता की सामूहिक यात्रा की एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि भारत चंद्रमा से लेकर मंगल तक अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है और आज हम गगनयान जैसे मिशनों के लिए पूर्णतः तैयार हैं। यह सिर्फ तकनीकी सफलता नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत का नया अध्याय है, जहां हम दुनिया की अग्रणी अंतरिक्ष शक्तियों के साथ खड़े हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम सिर्फ प्रयोगशालाओं और लॉन्च वाहनों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय आकांक्षाओं और वैश्विक दृष्टिकोण का प्रतीक है। चंद्रयान से लेकर मंगलयान तक, भारत ने यह सिद्ध किया है कि सीमित संसाधन भी असीमित संकल्प को रोक नहीं सकते।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत अंतरिक्ष को केवल अनुसंधान का क्षेत्र नहीं, बल्कि भविष्य की अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, ऊर्जा और मानवता के रूप में देखता है। इसी कारण भारत को पीछे नहीं रहना है, उसे नेतृत्व करना है। उन्होंने अंतरिक्ष यात्रियों को इस राष्ट्रीय स्वप्न के अग्रदूत बताया।
राजनाथ सिंह ने अंतरिक्ष तकनीक के लाभों को रेखांकित करते हुए कहा कि संचार, मौसम निगरानी या आपदा प्रबंधन के लिए जो उपग्रह हैं, उनके लाभ अब भारत के गांवों और खेतों तक पहुंच रहे हैं। भविष्य में अंतरिक्ष खनन और गहन अंतरिक्ष अन्वेषण मानव सभ्यता की दिशा को बदल सकते हैं।
उन्होंने हाल ही में इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन की अपनी यात्रा का अनुभव साझा करते हुए कहा कि वहां की सुविधाओं और प्रशिक्षण माहौल से वे गहराई से प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि शुभांशु स्वयं उस प्रशिक्षण और अनुशासन का जीवंत प्रतीक हैं।
रक्षा मंत्री ने बताया कि सामान्यतः अंतरिक्ष यात्री का प्रशिक्षण दो से ढाई वर्षों में पूरा होता है, लेकिन शुभांशु शुक्ला ने यह प्रशिक्षण मात्र ढाई महीने में पूरा कर लिया। यह उनकी व्यक्तिगत क्षमता ही नहीं, बल्कि भारतीयों की मेहनत और समर्पण का प्रतीक है।
समापन करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि यह केवल विज्ञान की जीत नहीं, बल्कि आस्था की गूंज है। यह केवल तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि समर्पण का संदेश है। यह केवल भारत का गर्व नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता की प्रगति का प्रमाण है। उन्होंने प्रधानमंत्री के शब्दों को दोहराते हुए कहा कि यह अंतरिक्ष यात्रा अंत नहीं, बल्कि एक शुरुआत है। भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में अभी बहुत आगे जाना है।