सुजीत के द्रोणाचार्य से जी उठेगा गुरु हनुमान अखाड़ा

राजेन्द्र सजवान
भले ही कोरोना के कारण  देश में खेल गतिविधयां ठप्प पड़ी हैं लेकिन राष्ट्रीय खेल अवार्ड समिति के गठन के बाद से माहौल यकायक बदल गया है। 29 अगस्त को राष्ट्रपति द्वारा श्रेष्ठ खिलाड़ियों और कोचों को राजीव गांधी खेल रत्न, द्रोणाचार्य अवार्ड, ध्यानचंद अवार्ड, अर्जुन अवार्ड दिए जाने हैं।

खेल जानकारों को लगता है कि इस बार देश केश्रेष्ठ कोच को दिए  जाने वाले द्रोणाचार्य अवार्डके लिए कड़ा संघर्ष होने  जा रहा है और यदि सम्मान एक बार फिर से गुरु हनुमान अखाड़े के खाते में जाए तो हैरानी नहीं होनी चाहिए। कारण, एक पहलवान के रूप में बड़ी पहचान रखने वाले और पिछले दस सालों से भी अधिक समय से कोच की भूमिका निभाने वाले सुजीत मान अंकों के  लिहाज़ से अव्वल स्थान पर हैं।
श्रेष्ठ गुरु को दिए जाने वाले द्रोणाचार्य अवार्ड के लिए 63 आवेदन मिले हैं, जिनमें से पांच गुरुओं  का चयन किया जाना है| ज़ाहिर है हमेशा की तरह मुकाबला काँटे का रहेगा। जानकारों की मानें तो कुश्ती द्रोणाचार्य के लिए दावा पेश करने वालों में पाँच नामों के बीच करीबी टक्कर है और चयन समिति के सदस्यों को ख़ासी माथा पच्ची करनी पड़ सकती है  लेकिन सुजीत मान का दावा इसलिए सबसे मजबूत माना जा रहा है क्योंकि उसने एक पहलवान के रूप में शानदार प्रदर्शन किया और कोच रहते  उसे कई नामी पहलवानों को सिखाने पढ़ाने का अनुभव हासिल है।
सुजीत के हक में एक बड़ी बात यह जाती है कि वह उस अखाड़े का पहलवान और कोच रहा है जिसने भारतीय कुश्ती में सबसे बड़ा योगदान दिया है। गुरु हनुमान के शिष्य के बतौर उसने 2002 में अर्जुन अवार्ड पाया। उसे भीम अवॉर्ड, रेल मंत्री अवॉर्ड भी मिले हैं और 2004 के एथेंस ओलंपिक में भाग ले चुका है|

2008 से वह उतर रेलवे और रेलवे बोर्ड की कुश्ती टीमों का कोच है और देश के नामी पहलवानों को कोचिंग देता आ रहा है।  2010 से अब तक वह राष्ट्रीय टीम के कोच का दाइत्व निभा रहा है। गुरु हनुमान बिड़ला व्यायामशाला में  द्रोणाचार्य गुरु हनुमान और पांच अन्य नामी द्रोणाचार्यों  से कुश्ती के गुर सीखने के बाद वह  देश के उभरते पहलवानों को अर्जित ज्ञान बाँट रहा है।  कुश्ती के तमाम डिग्री डिप्लोमे और उच्च शिक्षा पाने वाले सुजीत को तमाम नामी गुरु और मंजे हुए पहलवान अवॉर्ड का सबसे बड़ा दावेदार मानते हैं।

सुजीत की बड़ी उपलब्धि यह रही है कि उसने ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त को राष्ट्रीय शिविर में ट्रेनिंग दी। बजरंग पूनिया, राहुल आवारे, दीपक पूनिया, रवि कुमार, सुमित, सोमवीर, मौसम खत्री, अमित कुमार, पवन कुमार, अमित धनकड, विनोद कुमार जैसे विख्यात पहलवानों को सिखाने पढ़ाने की जिम्मेदारी सुजीत 2010 से निभाता आ रहा है। विश्व चैंपियनशिप, एशियाड, कामनवेल्थ खेल और ओलंपिक में भारतीय टीम के कोच की भूमिका निभा चुका है। लंदन और रियो ओलंपिक में उसके द्वारा प्रशिक्षित  पहलवानों ने शानदार प्रदर्शन किया| पहलवानों और गुरुओं के अनुसार सुजीत पढ़ालिखा कोच है और आधुनिक कुश्ती की बारीकियों को बखूबी समझता है। यदि उसे सही समय पर द्रोणाचार्य अवार्ड मिलता है तो उसके गुरुत्व गुणों मे निखार आएगा और वह देश के लिए ओलंपिक पदक विजेता तैयार करने में बड़ी भूमिका निभाता रहेगा।
देश के सभी बड़े पहलवानों में सुजीत सर्वाधिक लोकप्रिय है। ऐसे में जबकि भारतीय पहलवानों  के सामने टोक्यो ओलंपिक की  बड़ी चुनौती है, सुजीत जैसे कोच भारतीय कुश्ती का मान सम्मान बनाए रखने में भूमिका निभा सकते हैं। यह न भूलें कि पिछले तीन ओलंपिक खेलों में कुश्ती ने पदक जीते हैं। सीधा सा मतलब है कि इस  शुद्ध भारतीय खेल पर भरोसा किया जा सकता है।लेकिन अफसोस इस बात का है कि पिछले दो सालों से कुश्ती के खाते में द्रोणाचार्य अवार्ड नहीं आया है। बेहतर होगा इस बार कुश्ती को उसका वाजिब हक मिले। सुजीत का नाम रेलवे बोर्ड और कुश्ती  फेडरेशन ने रिकमंड किया है। यदि उसे द्रोणाचार्य मिलता है तो साधन सुविधा की कमी के कारण सुस्त पड़ा गुरु हनुमान अखाड़ा भी जी उठेगा। उस अखाड़े का कहनानया जन्म हो सकता है जिसने देश  को सैकड़ों अंतरराष्ट्रीय पहलवान दिए।

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