स्मार्ट वैक्सीनेशन के माध्यम से कम समय में हर्ड इम्यूनिटी की स्थिति हासिल की जा सकती है: डॉ. पीके सिंह, निदेशक, एम्स पटना
चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: एम्स पटना के निदेशक डॉ. पीके सिंह ने बताया कि किस तरह कोविड टीकाकरण और कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करना संक्रमण की चेन ही नहीं रोकेगा बल्कि इससे हम सरकार को टीकाकरण की वजह से पूरी आबादी पर पड़ने वाले सरकार के आर्थिक बोझ को भी कम कर सकता है। उन्होंने कहा कि स्मार्ट वैक्सीनेशन के माध्यम से कम समय में हर्ड इम्यूनिटी की स्थिति हासिल की जा सकती है जो कि कोरोना को रोकने में बहुत कारगर उपाय साबित हो सकती है।
प्रश्न- कोविड से लड़ने के लिए वैक्सीन इनती अधिक महत्वपूर्ण क्यों है?
कोविड के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीन बहुत महत्वपूर्ण है। नये म्यूटेशन से कोविड की तीसरी लहर का खतरा लगातार बना हुआ है। प्रभावकारी टीकाकरण से कोविड संक्रमण की चेन को ही नहीं बल्कि वायरस के म्यूटेशन को भी रोका जा सकता है। कोविड की अन्य किसी भी लहर से बचने के लिए जल्द से जल्द टीकाकरण और कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करना ही बेहतर हथियार है। ऐसे लोग जिन्हें कोविड संक्रमण हो चुका है उनके शरीर में कोविड से लड़ने के लिए प्राकृतिक रूप से एंटीबॉडी बन जाती है, एक सीरो सर्वेक्षण के जरिए यह देखा गया कि अधिकांश लोगों में वायरस के प्रति एंटीबॉडी देखी गई, लेकिन उन्हें कभी भी कोविड के लक्षण महसूस नहीं हुए, ऐसे मरीज ए सिम्पमेटिक होकर कोविड पॉजिटिव हुए। इस स्थिति को देखते हुए हमें स्मार्ट टीकाकरण योजना तैयार करनी चाहिए, जिससे बहुत जरूरतमंद ऐसे लोग जो अभी तक कोविड पॉजिटिव नहीं हुए हैं, या जो जोखिम के खतरे के बीच हैं, उन्हें सबसे पहले कोविड का वैक्सीन दिया जाना चाहिए। स्मार्ट वैक्सीनेशन के माध्यम से कम समय में हर्ड इम्यूनिटी की स्थिति हासिल की जा सकती है।
प्रश्न- कोविड की दूसरी लहर ने बिहार को किस तरह प्रभावित किया है? इस समय बिहार में कोविड की स्थिति क्या है?
उत्तर-कोविड की दूसरी लहर काफी गंभीर थी, कोविड की पहली लहर में हमारे पास अधिकांश मरीज शहरी क्षेत्र से आए लेकिन इस बार कोविड के मरीज ग्रामीण इलाके से भी देखने को मिले। इस बार की कोविड लहर ने ग्रामीण क्षेत्र की ऐसी आबादी को भी प्रभावित किया, जहां पहली लहर में असर न के बराबर था। उदाहरण के लिए पिछले साल नेपाल से सटे कटिहार, पूर्णिया और रक्सौल में मुश्किल से कोविड का कोई एक मामला देखा गया हो, लेकिन इस साल हमने इन्हीं क्षेत्रों से बड़ी संख्या में कोविड के मरीज देखे। यद्यपि कुछ ऐसे इलाके जैसे, भोजपुर, भागलपुर, पटना, गया, नवादा, बेगूसराय, शेखपुरा में पहली लहर के दौरान भी कोविड मरीज देखे गए, और दूसरी लहर के दौरान भी। लेकिन अब हम रोजाना 90 से भी कम मरीज देख रहे हैं, मरीजों के ठीक होने की दर भी 96.4 प्रतिशत हो गई है।
प्रश्न- क्या आपको लगता है कि लोगों द्वारा कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करने की वजह से अचानक कोविड के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई, आपको क्या लगता है कि हम समुदाय को इस आदत को बदलने में सहायता कर सकते हैं?
उत्तर- जी मैं आपकी इस बातसे पूरी तरह सहमत हूं कि कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करने के मामले में लोग अधिक गंभीर नहीं हैं, यह बेहद दुखद है कि ग्रामीण इलाकों में आप आज भी ऐसी स्थिति देख पाएगें जहां लोग कोविड अनुरूप आदतों को नजरअंदाज करते हैं, उन्हें लगता है कि वह कोविड से संक्रमित नहीं होगें और कोरोना वायरस उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। लोगों के इस व्यवहार के महत्व को समझना होगा, कोविड की अगली किसी भी लहर से हम तब ही बच सकते हैं जबकि व्यापक स्तर पर कोविड का वैक्सीन लगवाया जाए और वैक्सीन लगने के बाद भी कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन किया जाए।
प्रश्न- एम्स पटना में इलाज के लिए आनेवाले मरीजों को आप कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करने के लिए किस तरहकाउंसलिंग करते हैं और इसके महत्व के बारे में बताते हैं?
उत्तर-हां हम मरीजों को कैब या कोविड अनुरूप व्यवहार के लिए प्रोत्साहित करते हैं, हम उन्हें बताते हैं कि कोरोना से बचने के लिए किस तरह के व्यवहार को आदत में शामिल किया जाए हम उन्हें शिक्षित करते हैं कि कैसे संक्रमण बढ़ता है तो उन्हें क्या नुकसान हो सकता है। यदि वह कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन नहीं करेगें तो किस तरह वह अपने प्रियजनों को हमेशा के लिए खो देगें। कोविड की दूसरी लहर में इतना नुकसान देखने के बाद अब लोगों को समझ जाना चाहिए कि संक्रमण कितना गंभीर है और इससे बचने के लिए हमें हर संभव कोशिश करनी चाहिए। संक्रमण बढ़ने या घटने की संभावना के बीच हमें कोविड अनुरूप व्यवहार पर ही विश्वास करना चाहिए।
प्रश्न- कोविड की दूसरी लहर में सबसे अधिक किस चुनौती का सामना करना पड़ा, संस्थान ने स्थिति को कैसे नियंत्रित किया?
उत्तर-पिछले साल ही कोविड के मरीजों को देखते हुए हमने अपने चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ, नर्सिंग कैडर और अन्य तकनीकी स्टाफ को संक्रामक वायरस केलिए तैयार कर दिया था। संकट की विकट स्थिति से निपटने के लिए हमने अपनी तकनीकी और प्रशासनिक सुविधाओं को विकसित किया। हमने इसके लिए 80 से अधिक प्रशिक्षण शिविर के माध्यम से 200 स्टाफ को प्रशिक्षित किया। इसमें हमने स्टाफ को क्लीनिकल मैनेजमेंट, सुरक्षा और एहतियात के बारे में बताया। हमने अपनी कुल बेड की क्षमता को बढ़ाया, कोविड मरीजों को भर्ती करने के लिए लानेऔर ले जाने के लिए हमने एक्जिट या प्रवेश द्वार को दोबारा बदला, जिससे नियमित स्वास्थ्य सेवाएं बाधित न हों। हमारे पैरा मेडिकल स्टाफ को कोविड प्रबंधन की जानकारी देने के लिए हमने ऑन लाइन क्लासेस आयोजित की, हमने जांच और मरीजों की भर्ती करने की प्रक्रिया को भी सुधारा, इलाज के सभी प्रोटोकॉल फालो किए जाएं इसके लिए स्टॉफ को तैयार किया गया। अस्पताल में प्रयोग किए गए मेडिकल संसाधनों को किस तरह निस्तारित करना है, ग्लब्स और पीपीई किट को किस तरह विसंक्रमित रखना है इसके साथ ही कोविड मृतक व्यक्ति को किस तरह मैनेज करना है, इन सभी विषयों पर काम किया गया। इन सभी उपायों से स्टॉफ कर्मियों का मनोबल बढ़ा तथा संस्थान की चिकित्सीय सुविधाएं उच्च दर्जे की हो पाईं। कोविड मरीजों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान दिया गया। कोविड वार्ड में भर्ती होने वाले मरीजों को मानसिक रूप से तनाव में होने की अधिक संभावना रहती है, हमने प्रयास किया कि आइसोलेशन में रहने के बाद भी वह अपने परिजनों को से नियमित संपर्क में बने रहें। इसके लिए वार्ड में वीडियो कॉल की सुविधा दी गई। इन छोटे लेकिन महत्वपूर्ण प्रयासों के माध्यम से मरीज को घर जैसा माहौल दिया गया। कोविड की दूसरी लहर पहली लहरकी अपेक्षा अधिक गंभीर थी। संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए मरीजों को तुरंत इलाज उपलब्ध कराया गया।