हाइ-टेक अकादमी और खेल यूनिवर्सिटी खोलने का इरादा: अमिता सिंह
राजेंद्र सजवान
देर से ही सही पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी और सक्रिय राजनीति में पहचान रखने वाली अमिता सिंह सालों बाद अपने खेल में लौट आई हैं। अमिता मौजूदा समय में भारतीय जनता पार्टी की नेता हैं। भले ही वह अब राजनीति में ज़्यादा व्यस्त हैं लेकिन दिल्ली में बैडमिंटन की ख़स्ता हालत से वह दुखी हैं और चाहती हैं कि देश की राजधानी के अधिकाधिक खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम का हिस्सा बनें। वह दिल्ली में एक हाइटेक अकादमी खोलने का इरादा रखती हैं।
चार बार की राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियन और दिल्ली कैपिटल बैडमिंटन संघ(डीसीबीए) की अध्यक्ष अमिता सिंह ने कहा कि राजधानी में खिलाड़ियों को बेहतर सुविधा देने के उद्देश्य से वह हाई-टेक अकादमी खोलना चाहती हैं, जिसमें हर प्रकार की अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएँ उपलब्ध रहेंगी। एक वेबिनार में उन्होने भारतीय बैडमिंटनसंघ के पूर्व महासचिव अनूप नारंग के साथ चर्चा के चलते अपनी भावी योजना का खुलासा किया और कहा कि दिल्ली में प्रतिभाओं की कमी नहीं है और बैडमिंटन लाखों का खेल है जिसमें से दिल्ली अब तक कुछ एक चैम्पियन खिलाड़ी भी नहीं निकाल पाया है। उनका सपना है कि राजधानी से अंतर्राष्ट्रीय पदक विजेता निकलें। अमिता ने कहा, “दिल्ली से अंतरराष्ट्रीय पदक जीतने वाले बैडमिंटन खिलाड़ियों की हमारे पास कमी है और हमें इस कमी को दूर करने का प्रयास करना है।”
अपनी योजना के बारे में उन्होने बताया कि चैम्पियन खिलाड़ी रारों रात तैयार नहीं होते ।उन्हें छोटी उम्र से ही ट्रेंड करना पड़ता है और उनकी हाइ टेक अकादमी ऐसा ही कुछ करने जा रही है। अमिता के अनुसार उनका उदेश्य विभिन्न अकादमी से कुछ बेहतरीन खिलाड़यों का चयन करना और फिर उन्हें राष्ट्रीय स्तर की अकादमी में भेजने का है, जहाँ उन्हें बेहतर सुविधाएँ दी जाएँगी। चुने गए खिलाड़ियों को बेहतर उपकरण, सर्वश्रेष्ठ कोच, तकनीक, डॉक्टर, पोषण चिकित्सक, फिजियो और अन्य सुविधाएं मिलेंगी।
उनके अनुसार कुछ दिन पहले कुछ खिलाड़ियों के अभिभावक उनके पास यह फरियाद लेकर आए थे कि उनके बच्चों को किसी कारणवश उतर क्षेत्र बैडमिंटन चैंपियनशिप में भाग लेने नहीं दिया जाता। इस मसले को जब फ़ेडेरेशन अध्यक्ष के सामने उठाया गया तो उन्होने तुरंत कार्यवाही की और अब दिल्ली के खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने माना कि हाई-टेक अकादमी खोलने के लिए वित्तीय चुनौती आड़े आ सकती है। ऐसे में वह सरकार और सीएसआर फंड की मदद लेंगी। वह 18 वर्षों तक बैडमिंटन खिलाड़ी रहीं हैं और बखूबी जानती हैं है कि एथलीटों को अपने खेल में सुधार के लिए क्या कुछ करना पड़ता है। अमिता ने राष्ट्रीय स्तर पर युवा खिलाड़ियों के लिए खेल यूनिवर्सिटी खोलने की वकालत की जिससे खिलाड़ी हरसंभव ट्रेनिंग कर सकें।
अमिता ने कहा, “एक खिलाड़ी जिन चुनौतियों का सामना करता है उसकी तुलना में नियमित छात्रों की चुनौतियां काफी अलग होती है। कोई भी प्रोफेशनल एथलीट हर दिन कम से कम छह से आठ घंटे पसीना बहाता है और तब जाकर वह बड़े खिलाड़ियों की कतार में खड़ा हो पाता है। उनके अनुसार “यूनिवर्सिटी में खिलाड़ियों को जरुरी सुविधा मिल सकती है जिससे उन्हें उच्च स्तरीय एथलीट बनने में मदद मिलेगी।” करीब दो दशक तक राष्ट्रीय स्तर और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग ले चुकीं अमिता खेल से कभी अलग नहीं रही। सभी शीर्ष स्तर के एथलीटों की तरह बैडमिंटन उनके दृष्टिकोण में हमेशा रहा है। एक सवाल के जवाब में उन्होने कहा कि राजधानी के कुछ योग्य खिलाड़ियों के पास मौकों की कमी के चलते वह बेहद आहत हुई और उन्होने फ़ैसला किया कि मौका मिला तो अपने खेल के हित में आगे बढ़ कर प्रयास करेंगी।
अमिता के अनुसार भारतीय बैडमिंटन सही दिशा में चल रही है और उनका मुख्य लक्ष्य दिल्ली के खिलाड़ियों को मुख्य धारा के साथ जोड़ने का रहेगा।