क्या अब वक़्त आ गया है प्रियंका बने कांग्रेस पार्टी का नया चेहरा, सोशल मीडिया में फिर शुरू हुई बहस

Is it now time for Priyanka to become the new face of Congress party, debate started again in social mediaचिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली:

  • सोशल मीडिया पर लोगों की पहली पसंद बनी प्रियंका गाँधी, Koo App पर फिर शुरू हुई प्रियंका गाँधी  को लेकर चर्चा
  • सोशल मीडिया के दबाव से क्या कांग्रेस पार्टी अपने नेता के तौर प्रियंका को प्रमोट करेंगे  
  • क्या प्रियंका उतरेंगी इस बार आने वाले चुनाव के दंगल में

प्रियंका गांधी वाड्रा, भारत की राजनीति का वो एक बड़ा चेहरा जिससे इस वक्त कांग्रेस पार्टी को सबसे ज्यादा ज़रूरी और बड़ी उम्मीदें भी हैं। प्रियंका गाँधी पार्टी में किसी पद पर हो या न हो, उनका कद और रुतबा कई राजनीतिक दिग्गजों को चुनौती देते रही है। फिर चाहे लखीमपुर खीरी का हाल का मुद्दा हो या फिर देश में आगे होने वाले चुनाव।  लेकिन इस बार फिर लखीमपुर मुद्दे में जिस तरह से बेबाक तरीके से लड़ने वाली प्रियंका गाँधी की जहाँ एक तरफ प्रशंसा की गयी है वंही दूसरी और सोशल मीडिया कू (KOO) एप्प  पर एक बार फिर चर्चा में है।

प्रियंका का चुनावी राजनीति में आने का सवाल उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में देखने को मिला जहा प्रियंका गाँधी को रोका गया और वो वीडियो सोशल मीडिया कू ऐप पर इस तरह वायरल हुआ था कि लोगों ने इस मुद्दे के साथ साथ प्रियंका को कांग्रेस पार्टी की कमान अब सँभालने पर भी चर्चा तेज़ कर दी।

जब ये वीडियो मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और एमपी कांग्रेस ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट कू  से शेयर किया था, उसी समय से प्रियंका के तेवर की चर्चा शुरू हो गयी। कई लोगों ने उन्हें इंदिरा गाँधी के दूसरे रूप में देखने लगे। फिर देखते ही देखते शुरू हुई चर्चा कि जिस तरह से कांग्रेस पार्टी आज जिस हालातों से गुज़ार रही है उसे देखते हुए पार्टी को प्रियंका गाँधी की सख्त ज़रुरत है।

हम आपको बता दें कि वायरल वीडियो में पुलिस के साथ जमकर बहस करती प्रियंका गाँधी ने देश की आयरन लेडी इंदिरा गाँधी की याद दिला दिया था।  इस वीडियो को देश भर में एक हिम्मत से भरपूर एक महिला राजनेता के तौर पर देखा गया और प्रियंका की काफी तारीफ़ भी की गयी थी की जिस तरह से वे कभी न झुकती है और गलत करने वालों का पुरज़ोर तरीके से विरोध भी करती हैं ।

जिस तरह से देश के मुद्दे बड़े है और कांग्रेस का उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव का रंग फीका दिख रहा उससे एक बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस पार्टी को फिर एक आयरन लेडी इंदिरा गाँधी की ज़रुरत है। जिस पर पार्टी पूरी तरह निर्भर हो सके। क्या वो चेहरा हैं प्रियंका गाँधी और क्या प्रियंका गाँधी लेंगी पार्टी के बागडोर अपने हाथों में। बहरहाल ये सवाल महज़ सवाल ही हैं पर शायद जल्द ये सच भी हो जाये ।

विरोधियों को उनकी भाषा में ही जवाब देती हैं प्रियंका गाँधी

फिर चाहे उनकी चुनावी रैलियों में भाषण में प्रयोग होने वाली भाषा और शैली देखे या फिर उनके चलने का अंदाज और लुक, बिल्कुल उनकी दादी प्रियदर्शिनी इंदिरा गांधी से मेल खाता है। इस बात को अक्सर उठाया भी जाता है कि वे इंदिरा गांधी का ही रूप है।  इस बात को प्रियंका खुद कह चुकी है कि वे अपनी दादी इंदिरा गाँधी का ही रूप है।

प्रियंका की अपनी दादी से खास लगाव और जुड़ाव रहा है। और गांधी परिवार की एक सशक्ष्त प्रभावशाली महिलाओं में से एक है प्रियंका गाँधी। वे ना सिर्फ गंभीर क़िस्म की इंसान है जिन्होंने अपने पिता के निधन के बाद अपने परिवार को सँभालने में एक एहम भूमिका भी निभाई थी।

घर में परिवार और बच्चों की ज़िम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए वे कभी राजनीति के दंगल में कभी उत्तरी नहीं लेकिन अपने भाई राहुल गाँधी और कांग्रेस पार्टी को जब भी उनकी ज़रुरत पड़ी वे हमेशा से उनके साथ खड़ी रही।  और ऐसा ही कुछ लखीमपुर खीरी मुद्दे में भी देखा गया जब मृतकों और घायल लोगों से वे उत्तर प्रदेश में मिलने गयी थी और उनको मिलने से रोका गया था।

अब सबसे बड़ा सवाल ये उठता हैं कि जिस तरह से प्रियंका को पूरा पार्टी का सहयोग मिलते आया है, क्या प्रियंका गाँधी इस बार उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव प्रचार तक सीमित रहेंगी या फिर इस बार चुनाव में उतर सकती हैं।

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