जावेद अख्तर का पाकिस्तानी अभिनेत्री बुशरा अंसारी को तीखा जवाब: “मुझे चुप कराने का हक उन्हें किसने दिया?”

Javed Akhtar's sharp reply to Pakistani actress Bushra Ansari: "Who gave her the right to silence me?"
(File photo/Twitter)

चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: जाने-माने गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने हाल ही में पाकिस्तानी अभिनेत्री बुशरा अंसारी के तंज भरे बयानों पर करारा जवाब दिया है। बुशरा अंसारी ने सोशल मीडिया पर जावेद अख्तर पर निशाना साधते हुए कहा था कि “उन्हें मुंबई में किराए पर मकान भी नहीं मिलता और उन्हें नसीरुद्दीन शाह की तरह चुप रहना चाहिए।”

अब अख्तर ने अपने सधे हुए लेकिन दो-टूक जवाब में कहा, “नसीरुद्दीन शाह चुप रहते हैं, इसलिए मुझे भी रहना चाहिए — ये कहने वाली वो कौन होती हैं? उन्हें ये हक किसने दिया कि मुझे बताएं कि कब बोलूं और कब नहीं?”

“मैं सबसे पहले एक भारतीय हूं” जावेद अख्तर ने लल्लनटॉप को दिए इंटरव्यू में कहा, “हां, भारत में हमारी अपनी समस्याएं हैं। लेकिन जब कोई बाहर से हम पर उंगली उठाता है, तो मैं सबसे पहले एक भारतीय होता हूं। और तब मैं चुप नहीं रह सकता।”

जब बुशरा अंसारी ने यह दावा किया कि अख्तर को मुंबई में मकान नहीं मिलता था, तो इस पर जावेद ने व्यंग्य करते हुए हंसते हुए कहा,
“हां बिल्कुल! शबाना और मैं अब सड़क पर सो रहे हैं।”

उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि यह बात कहां से फैली हो सकती है। “करीब 25 साल पहले शबाना एक फ्लैट खरीदना चाहती थीं। एक ब्रोकर ने बताया कि मालिक मुसलमान को फ्लैट नहीं बेचना चाहता क्योंकि उसके परिवार को बंटवारे के समय सिंध से निकाल दिया गया था। यह गुस्सा धार्मिक नहीं, बल्कि व्यक्तिगत पीड़ा से जुड़ा था। तो बुशरा अंसारी इस बात को तोड़-मरोड़कर मेरे खिलाफ कैसे इस्तेमाल कर सकती हैं?”

पहलगाम हमले पर बयान से शुरू हुआ विवाद

गौरतलब है कि जावेद अख्तर ने हाल ही में गौरवशाली महाराष्ट्र महोत्सव में 26 पर्यटकों की आतंकवादी हमले में मौत पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था, “यह बात हमें नहीं भूलनी चाहिए, यह मामूली बात नहीं है।”

इसके बाद बुशरा अंसारी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा, “उन्हें तो बस बहाना चाहिए… कि उन्हें बंबई में मकान किराये पर नहीं मिलता था। चुप हो जाएं। नसीरुद्दीन शाह भी तो चुप हैं।”

लेकिन जावेद अख्तर ने साफ कर दिया कि वे चुप रहने वालों में से नहीं हैं। “उन्हें पहले अपनी ही तारीख़ पर नज़र डालनी चाहिए, फिर दूसरों पर उंगली उठानी चाहिए,” उन्होंने कहा।

जावेद अख्तर का यह जवाब ना सिर्फ उनके आलोचकों को स्पष्ट संदेश है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वे जब ज़रूरत हो, तो सच के पक्ष में खुलकर खड़े होते हैं — बेबाकी से, बिना किसी डर के।

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