करुण नायर ने दिखाया ‘स्पिरिट ऑफ क्रिकेट’, चोटिल वोक्स के चलते छोड़ा चौथा रन
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: ओवल टेस्ट के पहले दिन जहां एक ओर मुकाबला रोमांचक मोड़ पर था, वहीं भारत के बल्लेबाज़ करुण नायर ने ऐसा उदाहरण पेश किया जिसने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि क्रिकेट क्यों ‘जेंटलमैन गेम’ कहलाता है। इंग्लैंड के अनुभवी तेज़ गेंदबाज़ क्रिस वोक्स जब एक बाउंड्री बचाने के प्रयास में कंधे की चोट का शिकार हो गए, तब नायर ने चौथा रन लेने से इनकार कर खेल भावना का परिचय दिया।
यह घटना तब घटी जब करुण नायर और वॉशिंगटन सुंदर बल्लेबाज़ी कर रहे थे। नायर ने एक शॉट खेला जो मिड ऑफ की दिशा में तेजी से निकला। वोक्स ने पूरा दम लगाकर गेंद का पीछा किया, लेकिन गीले आउटफील्ड पर फिसलते हुए उनका संतुलन बिगड़ा और वह बाईं ओर के कंधे पर गिर पड़े। गिरने के तुरंत बाद वे दर्द से कराहते हुए ज़मीन पर लेट गए और उनका कंधा बुरी तरह प्रभावित होता दिखा। मेडिकल टीम ने तत्परता से मैदान पर पहुंचकर प्राथमिक इलाज दिया, जिसके बाद वोक्स मैदान से बाहर चले गए। उन्होंने अपनी जर्सी को स्लिंग की तरह इस्तेमाल करते हुए हाथ को सहारा दिया।
इस बीच करुण नायर ने वॉशिंगटन सुंदर को इशारा किया कि वे चौथे रन के लिए ना भागें। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और प्रशंसकों ने करुण की इस खेल भावना की जमकर सराहना की। लोगों ने इसे ‘स्पिरिट ऑफ क्रिकेट’ का सच्चा उदाहरण बताया और कहा कि ऐसे ही पलों के कारण क्रिकेट खास बनता है।
वोक्स की चोट की गंभीरता को देखते हुए यह लगभग तय है कि वे इस टेस्ट में अब और हिस्सा नहीं ले पाएंगे। इंग्लैंड के तेज़ गेंदबाज़ गस एटकिन्सन ने पहले दिन का खेल समाप्त होने के बाद बीबीसी से कहा कि यह अच्छा संकेत नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्हें आश्चर्य होगा अगर वोक्स इस मैच में दोबारा गेंदबाज़ी करते दिखें। एटकिन्सन ने आगे कहा कि जब कोई खिलाड़ी सीरीज के आखिरी टेस्ट में इस तरह चोटिल होता है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण होता है, और टीम वोक्स को पूरा समर्थन देगी।
गौरतलब है कि वोक्स इस सीरीज के हर मैच में खेले थे, लेकिन उनका प्रदर्शन औसत से कम रहा। उन्होंने पांच टेस्ट में 52.18 की औसत से कुल 11 विकेट लिए और उनकी सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ी 3/84 रही। सीरीज के आखिरी टेस्ट में गस एटकिन्सन की वापसी हुई है, जो हैमस्ट्रिंग चोट से उबरकर पहली बार इस सीरीज में खेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो वह अपनी पूरी ताकत झोंकने के लिए तैयार हैं।
करुण नायर का यह छोटा लेकिन बड़ा कदम खेल में नैतिकता और संवेदनशीलता की मिसाल बन गया है, और ऐसे क्षण ही क्रिकेट को एक अलग ऊंचाई प्रदान करते हैं।
