चिराग पासवान के साथ हो गया ‘खेला’

चिरौरी न्यूज़

पटना: बिहार विधान सभा चुनाव में बड़ी बुड़ी तरह से हारी लोक जनशक्ति पार्टी में  में फूट हो गयी और पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व में सभी सांसदों ने पार्टी पर अपना कब्ज़ा कर लिया। लोजपा के सांसदों ने चिराग पासवान से दूरी बनाई है उनमें नवादा से चंदन कुमार, समस्तीपुर से प्रिंस पासवान, खगड़िया से महबूब अली कैसर और वैशाली से वीणा देवी शामिल हैं। कहा जा रहा है कि ये सभी चिराग पासवान के कामकाज से खुश नहीं थे।

इन सभी ने रामविलास पासवान के भाई और हाजीपुर से सांसद पशुपति कुमार पारस को अपना नेता मान लिया है और चिराग पासवान को पार्टी से अलग थलग कर दिया है। हालांकि इसके बाद मिलने मिलाने का खेल शुरू हुआ ज देर रात तक जारी रहा लेकिन बताया जा रहा है कि चिराग पासवान के लाख मनाने के बावजूद भी कोई सांसद टस से मस नहीं हुए।

आज सोमवार को चिराग पासवान खुद चाचा पशुपति कुमार पारस से मिलने उनके दिल्ली स्थित आवास पहुंचे हैं। चिराग को तक़रीबन 30 मिनट गेट के बाहर इंतज़ार करना पड़ा तब जा कर उनको घर के अंदर प्रवेश करने दिया गया।

हालांकि बताया जा रहा है कि पशुपति कुमार पारस घर में मौजूद नहीं थे जिसके कारण उन्हें घर के अंदर प्रवेश होने की अनुमति देर से दी गयी। लेकिन अंदर जाकर भी वो गाड़ी में ही बैठे रह गए।

बता दें कि चिराग जिस तरह पार्टी को चला रहे थे उनके तरीके को लेकर दल में कई नेता नाराज थे।पशुपति कुमार पारस समेत अन्य सांसदों ने आखिरकार चिराग से खुद को अलग करना उचित समझा। पार्टी के पांच सांसद अलग हुए और चिराग को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। पशुपति पारस ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि वो सभी सांसद लोजपा में ही रहेंगे और पार्टी उसी तरीके से चलेगी जैसा रामविलास पासवान चाहते थे। उन्होंने बताया कि मजबूरन ये फैसला उठाना पड़ा।

बता दें कि चारो बागी सांसदों ने पशुपति कुमार पारस को संसदीय दल का नेता मान लिया है। अभी तक चिराग इस पद पर आसीन थे। वहीं पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से चिराग को हटाने के बाद अब इसपर भी मंथन चल रहा है कि किसे ये जिम्मेदारी दी जाएगी। हालांकि आज चुनाव आयोग को इस मामले से जुड़ी जानकारी दी जाएगी और लोजपा के नेतृत्व को लेकर भी बात होगी।

लोकसभा सचिवालय के सूत्रों से जानकारी मिली है कि उन्हें पशुपति पारस के नेता चुने जाने का पत्र मिला है। फिलहाल चिराग पासवान लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। सभी कानूनी पहलुओं की जांच के बाद ही लोकसभा सचिवालय किसी निर्णय पर पहुंचेगा।

 

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