ग्लोबल गुणवत्ता की कसौटी पर खरे हैं लोकल उत्पाद

कृष्णमोहन झा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को 70 वीं बार अपने ‘मन की बात’ देशवासियों से साझा की और अपने इस लोकप्रिय संवाद कार्यक्रम के माध्यम से एक बार फिर त्यौहारों के इस मौसम में कोरोना से बचाव हेतु देशवासियों को अतिरिक्त सावधानी बरतने के लिए आगाह किया। उल्लेखनीय है कि ‘मन की बात’ कार्यक्रम के इस संस्करण के कुछ ही दिन पूर्व प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने  संदेश में भी आने वाले  त्यौहारों के दौरान कोरोना के प्रति अधिक सचेत रहने की जरूरत पर बल दिया था।

देश में कोरोना संक्रमण के आंकडों में तेजी से आ रही गिरावट को देखते हुए कहीं लोग सावधानियों में ढिलाई न बरतने लगें इसलिए प्रधानमंत्री के इस कार्यक्रम, में  उसकी चर्चा तो स्वाभाविक ही थी परंतु प्रधानमंत्री ने देशवासियों से कोरोना काल में महत्वपूर्ण बन गए कुछ अन्य  सामयिक विषयों को भी अपने इस संवाद कार्यक्रम में शामिल किया।  प्रधानमंत्री ने इन  विषयों के प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से कोरोना से संबंधित होने के कारण ही उन्हें इस बार ‘मन की बात’ कार्यक्रम की विषय वस्तु बनाया  और उन पर अपने सारसर्भित विचारों को देशवासियों से साझा किया । इसमें दो राय नहीं हो सकती कि प्रधानमंत्री मोदी  जब भी सहज सरल भाषा और विशिष्ट शैली में  किसी भी  माध्यम से जनता से संवाद करते हैं तो  लोग उनके विचारों से सहमत हुए बिना नहीं रह सकते।

राष्ट्र के नाम अपने संदेश में अथवा लोगों से अपने ‘मन की बात’ साझा करते समय मोदी  बीच बीच में,लोकोक्तियों, संस्कृत श्लोकों, रामायण की चौपाईयों और दोहों के प्रयोग से लोगों के मन मस्तिष्क पर  विशेष प्रभाव छोडने में सफल होते हैं। मन की बात कार्यक्रम की लोकप्रियता का एक राज  यह भी है कि अपने इस मासिक संवाद  कार्यक्रम में प्रधानमंत्री  देश के विभिन्न हिस्सों में कार्यरत किसी भी क्षेत्र की  विशिष्ट प्रतिभाओं का न केवल उल्लेख करते हैं बल्कि उनसे संवाद भी करते हैं ।

‘मन की बात’ कार्यक्रम की 70वीं कड़ी में मोदी ने अपनी बात अगले कुछ दिनों में देश के विभिन्न भागों में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण धार्मिक त्यौहारों की चर्चा से  प्रारंभ करते हुए कहा कि इन त्यौहारों के दौरान लोगों का उल्लास और बाजारों की चमक जब अपने चरम पर होगी तब हमें यह भी ध्यान में रखना होगा कि  कोरोना काल में हमें अतिरिक्त संयम और सावधानी बरतने की आवश्यकता है। त्यौहारों के हर्षोल्लास के अतिरेक में हमें कोरोना से बचाव के ऐहतियाती उपायों को तनिक भी विस्मृत नहीं करना है। इस बार प्रधानमंत्री ने  अपने  ‘ मन की बात’ कार्यक्रम में लोगों से  त्यौहारों के अवसर पर खीदारी करते समय स्थानीय उत्पादों को ही प्राथमिकता देने का जो अनुरोध किया उसके पीछे उनका यह मंतव्य स्पष्ट था कि वोकल फार लोकल के नारे को हमें अपने जीवन में उतारना है।

त्यौहारों को धूमधाम के साथ मनाने की मंशा से जब खरीददारी करने के लिए हम बाजार तब वोकल फार लोकल के अपने संकल्प को न भूलें और न केवल हम स्वयं स्थानीय उत्पादों को खरीदें बल्कि दूसरों को भी स्थानीय निर्माताओं  द्वारा तैयार की गई वस्तुएं खरीदने के लिए प्रोत्साहित करें। प्रधानमंत्री संभवत: ‘ मन की बात’ कार्यक्रम की इस कडी में लो़गों को यह  संदेश देने के इच्छुक  थे कि वे अपने बच्चों में भी बचपन से ही स्थानीय उत्पादों के प्रति अभिरुचि पैदा करें  इसीलिए उन्होंने इस कार्यक्रम में लोगों से बच्चों के लिए खरीदी करते समय वोकल फार लोकल के संकल्प को याद रखने का अनुरोध किया। गौरतलब है कि अतीत में भी प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से  दीपावली के अवसर पर विदेशी  उत्पाद न  खरीदने की अपील की थी जिस पर  पडोसी देश चीन बौखला उठा था ।सीमा पर चीन की शरारत को देखते हुए प्रधानमंत्री की यह अपील विशेष महत्व रखती है।

प्रधानमंत्री ने चार माह पूर्व राष्ट्र को संबोधित करते हुए जब आत्मनिर्भर भारत अभियान की घोषणा की थी तब उन्होंने वोकल फार लोकल का नारा देते हुए लोकल को ग्लोबल बनाने का आह्वान किया था।

प्रधानमंत्री मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम की 70 वीं कड़ी में सीमा पर सजग प्रहरी के रूप में अपनी सेवाएं देने वाले उन वीर सैनिकों के परिवारजनों को नमन किया जो त्यौहारों के अवसर पर भी घर आने में असमर्थ हैं। प्रधानमंत्री ने देशवासियों का आह्वान किया कि वे आने वाले दीपावली पर्व के शुभ अवसर पर अपने घरों में ऐसे वीर बेटे बेटियों के सम्मान में भी प्रज्ज्वलित करें तथा त्यौहारों के हर्षोल्लास में उन लोगों को भी शामिल करें जिन्होंने लाकडाउन के कठिन समय में भी अपनी समर्पित  सेवाओं से हमारे जीवनचर्या  को सुगम बनाने में महत्वपूर्ण सहयोग दिया। संवेदना, सहृदयता और सम्मान  से युक्त मन की बात की इस कडी में प्रधानमंत्री ने लोगों के दिलों को छू लिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस बार अपने   ‘मन की बात ‘में खादी को भी शामिल करते हुए कहा कि भारत में जिन चीजों की शुरुआत हुई उन्हें अब अंतर्राष्ट्रीय जगत में भी पसंद किया जा रहा है और उनके प्रति यह आकर्षण दिनों दिन बढ रहा है। प्रधानमंत्री के इस कथन से उनके इस आशय को समझना कठिन नहीं था कि देश के लोकल उत्पादों में भी ग्लोबल आकर्षण पैदा करने की क्षमता है।

प्रधानमंत्री ने इस संदर्भ में खादी का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि खादी आज अंतर्राष्ट्रीय जगत में ईको फ्रेंडली फेब्रिक बन गई है। मेक्सिको में भी खादी बुनी जारही है। खादी अब फैशन में आ चुकी है और इसका प्रमाण  इस वर्ष  गांधी जयंती के दिन दिल्ली के कनाट प्लेस में स्थित खादी स्टोर में हुई एक करोड रु की   बिक्री से मिल जाता है। प्रधानमंत्री ने बताया कि कोरोना काल में महिलाओं के स्वसहायता समूहों द्वारा निर्मित खादी के मास्क बहुत पसंद किए गए हैं।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में एक बार फिर कोरोना से बचाव हेतु  दो गज की दूरी और मास्क है जरूरी के मंत्र को जीवन में उतारने पर जोर दिया।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक  हैं .)

 

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