रोबोटिक्स और जैव-चिकित्सा अनुप्रयोगों में इस्तेमाल के लिए कम लागत वाले लचीले स्पर्श सेंसर विकसित किए गए

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: एक भारतीय शोधकर्ता ने कम लागत वाले नरम, लचीले और पहनने योग्य स्पर्श सेंसर विकसित किए हैं, जिनका उपयोग किसी मनुष्य में नाड़ी की गति की अस्थिरता को जानने और उसका निदान करने के लिए किया जा सकता है। एक उच्च संवेदनशीलता वाले लचीले प्रेशर/स्ट्रेनसेंसर होने के कारण इसका उपयोग रोबोटिक्स तथा प्रोस्थेटिक्स में संभावित अनुप्रयोगों के साथ-साथ न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी और ट्यूमर/कैंसर कोशिकाओं की पहचान तथा छोटे व बड़े पैमाने पर गति निगरानी के लिए भी किया जा सकता है।

आईआईटी बॉम्बे की डॉ. दीप्ति गुप्ता ने भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के उन्नत विनिर्माण प्रौद्योगिकी कार्यक्रम के सहयोग से पॉलीयूरेथेन फोम और नैनोमेटेरियल-आधारित स्याही का उपयोग करके कम लागत वाले इन स्पर्शक (प्रेशर/स्ट्रेन) सेंसर का निर्माण किया है, जो कई सब्सट्रेट को कोट कर सकते हैं। इसके लिए संवेदन सामग्री के रूप में रिड्यूस्ड ग्रेफीन ऑक्साइड (आरजीओ) का उपयोग किया गया था। सेंसिंग सामग्री के रूप में रिड्यूस्ड ग्रेफीन ऑक्साइड (आरजीओ) पर आधारित सेंसर का निर्माण ग्रेफीन ऑक्साइड स्याही के आंतरिक हाइड्रोफोबिक व्यवहार के साथ-साथ इसमें कुछ कमी के बाद ग्रेफीन ऑक्साइड फ्लेक्स के ढेर के कारण काफी चुनौतीपूर्ण था।

हाइड्राज़िन नामक एक अपचायक एजेंट और एक दोहरे घटक योजक जिसमें बेंज़िसोथियाज़ोलिनोन और मेथिलिसोथियाज़ोलिनोन जैसे यौगिक उचित अनुपात में होते हैं, इनका उपयोग हाइड्रोफिलिक नेचर के साथ आरजीओ स्याही को संश्लेषित करने के लिए किया जाता था।

एक बहुत ही सरल तरीके से मल्टीवॉल कार्बन नैनोट्यूब (एमडब्ल्यूएनटीएस) के साथ मिश्रित इस हाइड्रोफिलिक आरजीओ स्याही का उपयोग करते हुए एमडब्ल्यूएनटी−आरजीओ स्याही (एमडब्ल्यूएनटी− आरजीओ@पीयू फोम) के साथ लेपित पॉलीयुरेथेन (पीयू) फोम पर आधारित प्रेशर सेंसर के निर्माण के लिए इसमें कम लागत वाला दृष्टिकोण  पाया गया। एमडब्ल्यूएनटी− आरजीओ@पीयू फोम-आधारित उपकरणों को अस्थिर प्रेशर सेंसर के रूप में दिखाया गया था, जिसमें छोटे और बड़े पैमाने पर दोनों तरह की हरकतों का पता लगाने की क्षमता थी।

यह शोध एसीएस एप्लाइड मैटेरियल्स एंड इंटरफेसेज पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। वास्तविक समय में ह्यूमन रेडियल आर्टरी की पल्स तरंगों की निगरानी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक को ‘मेक इन इंडिया’ पहल के साथ जोड़ा गया है। डॉ दीप्ति गुप्ता ने इन सेंसरों के लिए 3 राष्ट्रीय पेटेंट के लिए आवेदन किया है।

सूक्ष्म और बड़े पैमाने पर गति की निगरानी जैसे विभिन्न स्तरों के तनावों को समझने के लिए इस सेंसर का परीक्षण किया गया है और इसको बायोमेडिकल उपकरणों, स्किन इलेक्ट्रॉनिक्स और मिनिमल इनवेसिव सर्जरी में प्रयोग करने की संभावनाएं हैं। पहनने योग्य और रोबोटिक उपकरणों के अनुप्रयोगों के वास्ते यह महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी, तकनीकी तैयारी स्तर के तीसरे चरण में है और डॉ गुप्ता आगे भविष्य में सेंसर की एक सारणी के लिए एक प्रोटोटाइप विकसित करने की योजना बना रही हैं।

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