महाभारत के ‘दुर्योधन’ पुणीत इस्सर ने ‘कर्ण’ पंकज धीर को दी भावुक श्रद्धांजलि, “मित्र नहीं, मेरा जीवन आधार था वो”
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: टीवी जगत की ऐतिहासिक श्रृंखला महाभारत में ‘दुर्योधन’ का किरदार निभाने वाले अभिनेता पुनीत इस्सर ने अपने घनिष्ठ मित्र पंकज धीर के निधन पर एक भावुक श्रद्धांजलि साझा की है। पंकज धीर, जिन्होंने महाभारत में ‘कर्ण’ का यादगार किरदार निभाया था, का 15 अक्टूबर को 68 वर्ष की आयु में कैंसर से लंबी लड़ाई के बाद निधन हो गया।
पुनीत इस्सर ने इंस्टाग्राम पर महाभारत के सेट की कुछ पुरानी यादगार तस्वीरें साझा करते हुए लिखा कि पंकज के जाने की सच्चाई अब धीरे-धीरे दिल में उतर रही है। उन्होंने कहा, “मेरा सबसे अच्छा दोस्त, मेरा भाई, अब इस दुनिया में नहीं रहा। यह सिर्फ उनके परिवार, फिल्म इंडस्ट्री या उनके चाहने वालों के लिए नहीं, बल्कि मेरे लिए भी एक निजी क्षति है। हमारी दोस्ती 40 साल से भी ज़्यादा पुरानी और अटूट थी।”
पुनीत ने फिल्म इंडस्ट्री की प्रकृति को लेकर लिखा कि यह एक ऐसी दुनिया है जहां “स्थायी दुश्मन होते हैं और अस्थायी दोस्त,” लेकिन पंकज और उन्होंने इससे अलग एक सच्ची और गहरी दोस्ती साझा की।
उन्होंने आगे लिखा, “हमारे रिश्ते में वही अपनापन था जो कर्ण और दुर्योधन की दोस्ती में दिखता था। हम दोनों एक-दूसरे के लिए हमेशा खड़े रहे। हमारी यात्रा ईमानदारी, स्पष्टवादिता और आत्म-सम्मान से भरी थी।”
श्रद्धांजलि में पुणीत ने पंकज धीर के जीवन के उजले पहलुओं का भी ज़िक्र किया – उनकी पारिवारिक मूल्य, कार्य के प्रति समर्पण, ज़िंदादिली और हास्यभाव को याद करते हुए उन्होंने कहा कि पंकज की विरासत उनके बेटे निकितिन धीर, पत्नी नीता, बेटी नितिका और उनके परिवार में जीवित रहेगी।
पोस्ट के अंत में, पुणीत इस्सर ने महाभारत में दुर्योधन द्वारा कर्ण के अंतिम संस्कार के समय कहे गए संवाद को उद्धृत किया, “मेरे मित्र… मेरे भाई… मेरे जीवन आधार… तेरे प्रेम, तेरी निष्ठा को वंदन मेरा बारम्बार… हे कर्ण… तेरा यश चमकेगा जग में हे मित्र… करोड़ों सूर्य समान… तुम नक्षत्र मित्रता के बन कर चराचर ब्रह्मांड में चमकोगे… यश की अंतिम रश्मि बनकर, रश्मिरथी तुम दमकोगे… हे रश्मिरथी… तुम दमकोगे…”
पंकज धीर के निधन से न केवल भारतीय टेलीविज़न जगत को एक बड़ा झटका लगा है, बल्कि उन लाखों दर्शकों के दिलों को भी ठेस पहुंची है, जिनके लिए ‘कर्ण’ सिर्फ एक किरदार नहीं, बल्कि एक भावना था।
